गठबंधन का फायदा किसी राजनीतिक परिवार को सीखना हो तो उसे पंजाब जाना चाहिए. पंजाब सरकार के हालिया ठेकेदार बादल पिता-पुत्र ने गठबंधन की राजनीति के नफे-नुकसान का बड़ा अच्छा उदाहरण पेश किया है. बताया जा रहा है कि ‘बादलों’ के दबाव में प्रवर्तन निदेशालय ने पंजाब के रेवेन्यु मिनिस्टर बिक्रम मजीठिया पर लगे आरोपों की जांच कर रहे अधिकारी को कोलकाता ट्रांस्फर कर दिया है.
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ड्रग रैकेट में शामिल होने के आरोपों से घिरे अपने रसूखदार रिश्तेदार और सूबे के रेवेन्यु मिनिस्टर बिक्रम सिंह मजीठिया को ईडी के शिकंजे से मुक्त कराना चाहते थे. सो उन्होंने तुरंत दिल्ली दरबार को आगाह किया. गठबंधन की राजनीति का हवाला दिया. आगे आने वाले समय में कोई बवाला न हो इसलिए बिक्रम सिंह की जांच कर रहे ईडी के अधिकारी निरंजन सिंह को हटाने की शर्त रख दी. दिल्ली दरबार को भी कुछ नहीं सूझा निरंजन सिंह को पंजाब से उठा कर कोलकाता फेंक दिया गया. हालांकि कांग्रेस सहित विपक्ष के कई नेता प्रधानमंत्री को शिकायत लिखने और दूध का दूध – पानी का पानी करने की बात कह रहे हैं. लेकिन अब होना क्या है. पंजाब में नशे का धंधा खूब फल-फूल रहा है. और इसमें उन रसूखदारों का नाम रोशन हो रहा है जो लाल बत्तियों की गाडी़ में घूमते हैं और कानून के शिकंजे में आने से बचे रहते हैं. मजीठिया के अलावा ऐसे रसूखदारों में पंजाब के पूर्व जेल मंत्री सरवन सिंह फिल्लौर के बेटे धरमवीर सिंह, शिरोमणी अकाली दल के प्रमुख संसदीय सचिव अविनाश चंदर और कांग्रेस सांसद संतोख चौधरी पर ईडी की निगाहें लगी हुई हैं.