Connect with us

Hi, what are you looking for?

उत्तर प्रदेश

लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार सुभाष राय के घर में घुसकर बोला- ”मैं STF से रणजीत राय हूँ, जो उखाड़ना हो, उखाड़ लो…”

Subhash Rai : मैं एसटीएफ से रणजीत राय हूँ, जो उखाड़ना हो, उखाड़ लो… (जब पुलिस और एस टी एफ के लोग इस तरह क़ानून तोड़ने वाले, अराजक और अपराधी क़िस्म के मित्रों और रिश्तेदारों की मदद में आम जीवन जीने वालों का जीना हराम करने के लिए बिना किसी सक्षम अधिकारी की अनुमति लिए, बिना किसी असाइनमेंट के गुंडों की तरह कहीं भी हमला करने लगेंगे तो हम जैसे आम और साधारण लोगों का जीवन कभी भी संकट में पड़ सकता है)

‘अब तुम किसी पुलिस वाले को, किसी दरोग़ा को, एस पी को, जिसको चाहो बुला लो. देखता हूँ तुम्हारी औक़ात क्या है. ये देखने से ही गुंडा लगता है, पत्रकार है, गुंडई करता है. अब बता कौन आएगा तुझे बचाने, बोल कौन है बुला. नम्बर दे मैं बुलाता हूँ, ‘ एक गुस्साया हुआ आदमी दर्जन भर लोगों के साथ रविवार शाम तीन से चार के बीच मेरे विराज खंड स्थित आवास पर आ धमका. तब मैं और मेरी पत्नी केवल हम दो ही घर पर थे. उनमें से कई हथियारों से लैस थे. वे सब धड़ाधड़ रैम्प फलाँगते हुए मेरे दरवाज़े के अंदर आ गए. चीख़ते, चिल्लाते और अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए. हमलावर अन्दाज़. एक झटके में डरा देने की कोशिश. हम अवाक थे. लगा कि वह किसी भी क्षण मुझे थप्पड़ जड़ देगा, मेरी पत्नी पर हमले कर देगा.

Advertisement. Scroll to continue reading.

मैं एकबारगी डर गया लेकिन अपने डर से बाहर आते हुए मैंने उससे कहा, आप बाहर जाइए, दरवाज़े से हटिए, मैं आप से बात नहीं कर रहा हूँ. वह खौखियाते हुए बोला, तुम्हें मुझसे बात करनी पड़ेगी, क्यों नहीं बात करेगा? बोल कौन पुलिसवाला है जो तुम्हारी मदद करेगा. बुला, फ़ोन कर. मैंने पूछा, आप हैं कौन? वह मुझे डपटते हुए चीख़ा, मैं एस टी एफ से हूँ, रणजीत राय. क्या उखाड़ लेगा. लग रहा था कि वह कभी भी मुझे घसीट लेगा, मार देगा. उसकी भाषा में खिसियाहट, उग्रता, आक्रामकता और गंदगी भरी हुई थी. चिल्लाते हुए उसके हाथ बिलकुल मेरे सिर के पास तक लहरा रहे थे. मेरी पत्नी डर गयीं थीं, वे मुझे अंदर खींचने का प्रयास कर रहीं थीं. मैं जितना पीछे हट रहा था, वह उतना आगे बढ़ रहा था. लगभग आधे घंटे तक वह और उसके मवाली साथी मेरे घर पर हंगामा करते रहे.

मुझे नहीं पता कि कोई भी एस टी एफ वाला इस तरह सादी वर्दी में कैसे किसी भी आम नागरिक को डरा-धमका सकता है. मुझे यह भी नहीं पता कि वह किसी असाइनमेंट पर था या अपने अधिकारियों को सूचित करके आया था या निजी तौर पर ही अपने रिश्तेदारों, मित्रों की ग़ैरक़ानूनी मदद करने आया था. इस तरह किसी फ़ोर्स का कोई आदमी रंगबाज़ी और सरासर गुंडई की मुद्रा में किसी सभ्य नागरिक के घर धावा बोलकर केवल एस टी एफ की छवि को ही बट्टा लगाएगा और उसने ऐसा ही किया.

Advertisement. Scroll to continue reading.

मामला क्या था, यह बताऊँ तो आप आसानी से समझ जाएँगे कि किस तरह पुलिस संगठनों के कुछ लोग अपने पद की धौंस दिखाकर क़ानून का दायरा लाँघते हुए अपने अराजक, रंगबाज़ और दलाल सम्बन्धियों की मदद कर रहे हैं. मैं और मेरी पत्नी, दोनों एक जून को बाहर चले गए थे, जब आठ की रात दो बजे वापस लौटे तो यह देखकर सन्न रह गए कि किसी ने घर के सामने कई ट्रक मोरंग इस तरह गिरवा दिया था कि मैं अपनी गाड़ी बाहर नहीं निकाल सकता था. पता करने पर मालूम हुआ कि मोरंग मिस्टर राकेश तिवारी ने डलवाया था. अगले दिन नौ को मैंने उनसे कहा कि भाई घर के सामने से सिर्फ़ इतना मोरंग हटा लें कि मैं गाड़ी निकाल सकूँ और कार्यालय जा सकूँ. उसने कहा, जी बिलकुल अभी करवा दूँगा. जब दस बज गया और कोई हलचल नहीं हुई तो मेरी पत्नी उसके घर गयीं और वही आग्रह दुहराया. राकेश और उसकी पत्नी दोनों ने आश्वस्त किया की बहुत जल्द वे मोरंग हटा लेंगे पर शाम तक कुछ नहीं हुआ. मैं कार्यालय नहीं जा सका और हम अपने घर में लगभग क़ैद हो गए. मेरे पास अपने हर काम के लिए पैदल निकलने के अलावा कोई और चारा नहीं बचा. मेरे लिए इस उम्र में यह सम्भव नहीं था.

शाम को मैंने राकेश तिवारी से कहा कि आप यहाँ से मोरंग हटा लें अन्यथा मुझे क़ानून की मदद लेनी पड़ेगी. पहले तो वह सामान्य ढंग से बात करता रहा और कहता रहा कि अब आप ही बताइए इसे कहाँ ले जाऊँ. मैं जानता हूँ कि आप को तकलीफ़ हो रही है लेकिन मेरे पास कोई और चारा नहीं है. वह मेरी मुश्किल समझने को कतई तैयार नहीं था. बात करते -करते अचानक उसकी भोंहें तन गयीं और भाषा बदल गयी. वैसे भी वह मुहल्ले में अकारण लोगों से झगड़ता रहता है. वह बंदूक़ भी रखता है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

वह ग़ुस्से में बोला, अब मोरंग यहीं रहेगा, आप को जो उखाड़ना हो, उखाड़ लीजिए. मजबूरन मुझे 100 पर पुलिस को ख़बर करनी पड़ी. पुलिस आती, इसके पहले तिवारी ने अपने कुछ लोगों बुला लिया. वे आए, मेरी घंटी बजायी और धमकाने वाली भाषा में बात करने की कोशिश की. मैंने किसी से बात करने से इनकार किया और दरवाज़ा बंद करके घर में चला गया. मैंने पुलिस के उच्च अधिकारियों को भी सूचना दे दी थी. रात आठ बजे के आस-पास एक पुलिस अधिकारी आए, उन्होंने सब देखा, राकेश तिवारी को बुलवाया और उनसे कहा, आप इस तरह सड़क बंद नहीं कर सकते. कल सुबह जे सी बी मंगवाइए और यहाँ से मोरंग हटवाइए. तिवारी ने सहमति जतायी और पुलिस अफ़सर को आश्वस्त किया कि सवेरे काम हो जाएगा.

अगला दिन 10 जून. सवेरा हुआ. दस बजा, बारह बजा. सब ख़ामोश. वहाँ एक चुटियावाला आदमी तिवारी का काम करा रहा था. मैंने उससे कहा तो उसने रूखा जवाब दिया, अभी सुबह नहीं हुई है, कर रहे हैं, कर देंगे. हटा देंगे, ज़्यादा हाइपर न होईए. दोपहर गुज़र गयी मगर उनकी सुबह नहीं आयी. मैंने फिर पुलिस अधिकारी से सम्पर्क किया तो पता चला कि मिस्टर तिवारी को जे सी बी नहीं मिल पा रही है. मैंने कहा कि अगर मैं जे सी बी मँगवा दूँ तो..अधिकारी ने कहा, आप को मिल जाय तो मँगा लीजिए और जब जे सी बी आ जाए तो मुझे फ़ोन कर दीजिएगा, मैं फ़ोर्स भेज दूँगा, आप मोरंग हटवा दीजिएगा.

Advertisement. Scroll to continue reading.

मैंने जे सी बी मंगा ली. उसके आते ही मिस्टर तिवारी आए, उन्होंने मुझे बताया कि खाली प्लॉट में डलवा दीजिए. मैंने उनको बताया कि इसे तीन हज़ार रुपए भी देने हैं. मिस्टर तिवारी ने कहा, कोई बात नहीं, हो जाएगा. मुझे लगा, समस्या हल हो गयी लेकिन जे सी बी ने अभी एक तिहाई भी मोरंग नहीं उठायी होगी कि तिवारी की पत्नी आकर मशीन के सामने खड़ी हो गयी और गाली देने लगी, चिल्लाने लगी. तिवारी के तेवर भी अचानक बदल गए, वह भी अनाप-शनाप बोलने लगा. जे सी बी वाला डर कर भाग गया.

मैंने सुना, तिवारी की पत्नी ने किसी को फ़ोन किया और कुछ ही पलों में एक गाड़ी से दनदनाते हुए एक दर्जन हथियारबंद लोग आ गए. आते ही उन्होंने मेरे घर पर धावा बोल दिया, गरियाते हुए, औक़ात पूछते हुए और धमकाते हुए. शोर सुनकर मेरे एक पत्रकर साथी भी आए, उन्होंने हस्तक्षेप करने की कोशिश की लेकिन हमलावर किसी की कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे.

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस बीच मैंने पुलिस अधिकारी को कई बार फ़ोन करने की कोशिश की मगर नाकाम रहा. उनका जब तक फ़ोन आया, तब तक मिस्टर तिवारी के बुलावे पर आए लोगों ने मुझे, मेरी पत्नी को झुकाने, डराने, धमकाने और मैनहैंडलिंग के हर सम्भव जतन कर लिए. जब हम नहीं डरे तो वे सब बाहर निकलकर खड़े हो गए और तिवारी दम्पती चीख़-चीख़ कर चुनौती देने लगे, अब जिसे बुलाना हो बुला लो और एक इंच भी मोरंग हटवा कर दिखा दो.

मैं पसोपेश में था. समझ में नहीं आ रहा था क्या करूँ. इसी बीच पुलिस अधिकारी का फ़ोन आया. मैंने उन्हें सारी बात बतायी, अपमानजनक घटना का पूरा ब्योरा दिया. तब तक मेरे मित्र अरुण सिंह और रामबाबू भी आ गए थे. आधे घंटे बाद पुलिस आयी. जे सी बी बुलाने की बहुत कोशिश हुई पर वह भाग चुका था, मिला नहीं. फिर पुलिस ने आस-पास काम कर रहे मज़दूरों को लगाकर मोरंग हटवायी.

Advertisement. Scroll to continue reading.

वैसे तो मैं क़ानून के अलावा किसी से डरता नहीं हूँ , और अन्यायी, अपराधी और गुंडे मवालियों से तो बिलकुल ही नहीं लेकिन सोचता हूँ कि जब पुलिस और एस टी एफ के लोग इस तरह क़ानून तोड़ने वाले, अराजक और अपराधी क़िस्म के मित्रों और रिश्तेदारों की मदद में आम जीवन जीने वालों का जीना हराम करने के लिए बिना किसी सक्षम अधिकारी की अनुमति लिए, बिना किसी असाइनमेंट के गुंडों की तरह कहीं भी हमला करने लगेंगे तो हम जैसे आम और साधारण लोगों का जीवन कभी भी संकट में पड़ सकता है.

बाद में मैंने जानना चाहा कि वह सचमुच एस टी एफ वाला था या नहीं. फ़ेसबुक पर ढूँढा तो उसका प्रोफ़ाइल मिला, वह एस टी एफ से ही है, दो चित्र उस समय के हैं जब मेरे घर के सामने मोरंग पटा था और दो चित्र एस टी एफ वाले रणजीत राय के .

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस घटना के तुरंत बाद मैंने एसटीएफ के आईजी अमिताभ यश को एक पत्र भी भेजा, जो यहां दे रहा हूँ
—-
Dear Amitabh Ji
Namskar,

I want to convey you an incident happened today on 10th June. We were out on tour and came back on 8rth night. I was wonderstruck to see that someone poured a truck of sand in front of my house. It was placed in such a way that I could not move out of my house. I enquired and knew that it belongs to Mr Rakesh Tiwari. I told my problem to Mr Tiwari and asked him to remove sand in such a way that I can take my car out. When I saw him reluctant to do anything I complained police, police intervened and Rakesh Tiwari agreed to do the needful. But today he again showed no interest, I contacted police and police said me to use JCB to remove the sand. I was told to call police if needed.

Advertisement. Scroll to continue reading.

I called JCB and when work started, Mr Tiwari’s wife stood before JCB calling my names. She also phoned somewhere and dozen of hooligan looking people came, abused us, threatened and tried to manhandle me and my wife. There was an young man very furiously misbehaving and using threatening language. When I asked him who he is, almost challenging me to do whatever I can, he scolded me telling him an STF Inspector. He was using filthy and humiliating language incessently. I asked his name and he told me in scolding voice, main Ranjeet Rai hoon, STF men, Jo chaho kar lo. Really I felt fearful being a senior journalist, an editor and a senior citizen. I do not know in what capacity he came on D-1/109, Viraj Khand, Gomatinagar on 10th June 2018 between 3.15 to 4PM. Was he deputed or assigned any job or he was free to settle scores for his relatives anyway.

I have regards for upstf in my mind but Mr Ranjeet Rai like persons broke that. Please do the needful so that I feel better about your organisation.

Advertisement. Scroll to continue reading.

Thanking u.

Subhash Rai
Editor, Jansandesh Times
D-1/109, Viraj Khand, Gomatinagar
Lucknow, 226010
Mo 8840427896

Advertisement. Scroll to continue reading.

(I retrived Mr Ranjeet Rai photo from Facebook for easy to recognise him, photo attached)

अमर उजाला अखबार में लंबे समय तक संपादक रहे और इन दिनों लखनऊ से प्रकाशित अखबार जनसंदेश टाइम्स के संपादक के रूप में कार्यरत वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार सुभाष राय की एफबी वॉल से.

Advertisement. Scroll to continue reading.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. madan ti wary

    June 15, 2018 at 1:32 am

    अगर कार्रवाई नही हुई हो तो पुनः लिखे, मानवाधिकार को भी शिकायत करें अन्यथा इस तरह के लफ्फुओं की हिम्मत बढ़ जाएगी । हालांकि इससे बहुत फायदा तो नही होगा, इस मुल्क के अर्द्धसैनिक बल, राज्य पुलिस ,सब एक संगठित अपराधी गिरोह हैं, न्यायपालिका ही एक रक्षक है, आप चाहे तो एक रिट खुद लखनऊ पीठ में दायर कर सकते हैं ,उसपर जरुर कार्रवाई होगी ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement