भीलवाड़ा, 1 मई 2017 : राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधराराजे सिंधिया के कृपापात्र और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी के खासमखास माने जाते हैं भीलवाड़ा नगर विकास न्यास के अध्यक्ष गोपाल खंडेलवाल। इसीलिए उनको यूआईटी की बागडोर दी गई। जिले के उभरते हुए ब्राह्मण नेता हैं। दशकों से भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय हैं। पूर्व में पंचायत राज संस्थाओं में चुने जा चुके हैं। खनन क्षेत्र में बड़ा नाम है। भाजपा की राजनीती के साथ साथ खनन व्यवसायी के रूप में भी उनका बड़ा नाम है।
भीलवाड़ा जिले के ही शिवपुर गांव के निवासी एक अनुसूचित जाति के व्यक्ति कन्हैया लाल बलाई ने भाजपा नेता गोपाल खंडेलवाल पर अपनी खान (माईन्स) हड़प जाने का आरोप लगाया है। अजा जजा एक्ट के विशिष्ठ न्यायाधीश, भीलवाड़ा के समक्ष दायर एक वाद में कन्हैया लाल ने आरोप लगाया है कि होडा निवासी गोपाल खंडेलवाल ने नया नगर के ब्लॉक 1 में स्थित उसकी 60×30 मीटर क्षेत्रफल की एक माईन्स जो कि कन्हैया लाल बलाई की है, उस पर जबरन कब्ज़ा कर लिया है।
दरअसल भाजपा नेता की भी एक खान दलित कन्हैया की खान से सटी हुई है, इसलिए उसकी खान पर बीजेपी नेता की शुरू से नजर रही है। दलित कन्हैया के मुताबिक पहले तो गोपाल खंडेलवाल ने सिर्फ पत्थर खरीदने की बात कही, फिर कहा कि पत्थर भी हम खोद लेंगे, आपको भुगतान करते रहेंगे। इस तरह उन्होंने बिना किसी अनुबंध के काम शुरू कर दिया और सैंड स्टोन निकाल कर ले जाने लगे। कोई पैसा नहीं दिया। मांगने पर धमकाने लगे तथा अंततः पूरी खान पर ही कब्ज़ा कर लिया।
पीड़ित दलित कन्हैया इसकी शिकायत करने भीलवाड़ा स्थित यूआईटी के ऑफिस गोपाल खंडेलवाल से मिलने अपने दो साथियों के साथ 16 मार्च 2017 को पहुंचा तथा अपनी खान पर कब्ज़ा करने को लेकर शिकायत की। इस पर यूआईटी चैयरमेन गुस्सा हो गए और उन्होंने यह कहते हुए धक्के मार कर बाहर निकाल दिया कि- “मुझे तो तेरी खान के पत्थर चाहिए थे, वो निकाल लिये, अब जो भी तुझे करना है कर लेना। नीच जात बलाटे तेरी इतनी हिम्मत कैसे हुयी मेरे दफ्तर आ कर हिसाब पूछने की। मैं यूआईटी का चेयरमैन हूँ, बहुत बड़ा नेता, तेरे जैसों को तो अपनी जूतियों के नीचे रखता हूँ। नीच कमीन इंसान दुबारा मत आना खान की बात करने को. मैं तुझे अपने पास वहाँ खनन नहीं करने दूंगा. आज के बाद यूआईटी या खान की तरफ आया तो जान से खत्म करवा दूंगा।”
भाजपा नेता ने दलित खान मालिक को किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं करने की भी चेतावनी दी। इसके बाद पीड़ित कन्हैया लाल ने बिजोलिया और सुभाषनगर थाने में मुकदमा दर्ज करवाने की कोशिश की मगर कोई भी थानेदार बीजेपी नेता के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने को तैयार नहीं हुआ,यहाँ तक कि पुलिस अधीक्षक के यहाँ भी कन्हैया लाल की कोई सुनवाई नहीं हुई।
सुनवाई होती भी कैसे? एसपी, कलेक्टर, भीलवाड़ा विधायक और यूआईटी चैयरमेन सभी एक ही समुदाय से होने के चलते कन्हैया लाल की आवाज़ को सुना ही नहीं गया। ब्राह्मणवादी वर्चस्व ने एक दलित की आवाज़ का दमन कर दिया। मजबूरन कन्हैया ने कोर्ट की शरण ली जहाँ से आज एस सी एस टी प्रकरणों के विशिष्ठ न्यायाधीश एस पी सिंह ने पुलिस को प्रकरण की जाँच कर दर्ज करने के आदेश प्रदान कर दिए हैं। अब देखना यह है कि सर्वव्यापी भाजपा राज में एक दलित खान मालिक को न्याय मिल पाता है या नहीं?
लेखक भंवर मेघवंशी स्वतंत्र पत्रकार एवम सामाजिक कार्यकर्ता हैं. उनसे संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है.