नमस्कार
हमें पता है कि सरकार के प्रतिनिधियों और पत्रकार संगठनों के बीच जो समझौता हुआ है उसको लेकर कई तरह की चर्चाएं होगी। इनमें कुछ नकारात्मक भी हो सकती है। जो समझौता हुआ है, उसकी प्रक्रिया लगभग 4 दिनों से जारी थी। पत्रकार संगठनों के प्रतिनिधि भी इस बात के प्रयास में थे कि पत्रकारों की इन प्रमुख मांगों पर राज्य सरकार का रुख एक बार फिर स्पष्ट हो और उनको पूरा करने की क्रियान्विति शुरू हो। 4 दिन की बातचीत के बाद शनिवार को हम सब लोग एक नतीजे पर पहुंचे।
राज्य सरकार के नुमाइंदे से हुई बातचीत के बाद इस आंदोलन को स्थगित करने का निर्णय लिया। मैं आपको यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि पत्रकारों की मांगो को लेकर जो आंदोलन सभी संगठनों ने 13 दिसंबर से शुरू किया था उसको लेकर कहीं ना कहीं कुछ भ्रांतियां जरूरत थी। इनके चलते राजस्थान सरकार के प्रतिनिधि भी पत्रकारों से बातचीत के लिए तैयार नहीं थे।आंदोलन कर रहे पत्रकार संगठनों के पदाधिकारी भी इस बात से खफा थे कि पत्रकारों की जायज मांगे होने के बाद भी सरकार की तरफ से सकारात्मक रवैया नहीं मिला। धीरे-धीरे यह भ्रांतियां दूर हुई और 4 दिन तक दोनों पक्षों के बीच बातचीत के कई दौर हुए।
मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार महेंद्र भारद्वाज ने भी इस पर पहल की और मुख्यमंत्री से बातचीत के बाद उन्होंने सरकार का रुख स्पष्ट किया। मेरे परिवार में एक हादसा होने के कारण मैं मुख्यमंत्री निवास पर हुई बातचीत में तो शामिल नहीं हो पाया था किंतु जो भी साथी उसमें शामिल थे उन पर हमें पूरा भरोसा था। बातचीत के बाद अंतिम निर्णय के लिए साथियों ने मुझे एक बार बातचीत में शामिल होने के लिए बुलाया। पिंक सिटी प्रेस क्लब के महासचिव श्री मुकेश मीणा जी भी जयपुर पहुंचे। मेरी भी मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार महेंद्र भारद्वाज जी से फोन पर बात हुई। जो कुछ उन्होंने बताया उस से स्पष्ट हुआ कि सरकार पत्रकारों की मांगों को लेकर सकारात्मक है।
दोनों पक्षों के बीच वार्ता के बाद राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अतिरिक्त निदेशक प्रेम प्रकाश त्रिपाठी और कविया जी पिंक सिटी प्रेस क्लब पहुंचे। वैसे तो प्रतिनिधि के रूप में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की निदेशक अनु प्रेरणा सिंह कुंतल को आना था लेकिन वह बाड़मेर के लिए रवाना हो चुकी थी। सरकार और पत्रकार संगठनों के पदाधिकारियों के बीच जो भी समझौता हुआ है उसका एक प्रेस नोट आपके पास पूर्व में भेजा जा चुका है।
इस समझौते में वर्तमान पदाधिकारी शामिल हैं जिन्होंने आंदोलन की शुरुआत की थी। हम लोगों को पता है कि सरकार और पत्रकार के बीच सहमति बनने में पूरे 32 दिन लगे हैं। इसके पीछे कई कारण रहे हैं, जिनका यहां खुलासा करना कतई ठीक नहीं है। इसमें दोनों पक्षों के बीच गलतफहमियां पैदा होना भी एक बड़ा कारण रहा है। हो सकता है कि आज हमारे कुछ साथी गण आंदोलन को स्थगित किए जाने पर नाराज होंगे या फिर पत्रकार संगठनों के पदाधिकारियों पर टीका-टिप्पणिया करेंगे। लेकिन सत्यता यह है कि इस आंदोलन में जुड़े तमाम पत्रकार संगठनों के पदाधिकारियों ने जो एकजुटता का परिचय दिया है वह वाकई में काबिले तारीफ है।
हम सभी पत्रकार संगठन के पदाधिकारी उन तमाम पत्रकार साथियों का आभार प्रकट करते जिन्होंने इस आंदोलन में अपनी महती भूमिका निभाई। हमें उम्मीद ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि भविष्य में भी उनका योगदान इसी तरह मिलता रहेगा।
आपका
एल एल शर्मा
वरिष्ठ पत्रकार
जयपुर
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