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पंजाब

इन मंदिरों ने हिंदुओं को 1400 साल गुलाम बनाया, सिखों के लिए वही काम ये भव्य गुरुद्वारे करेंगे!

Ajit Singh : आज से कोई 3 साल पहले उन दिनों मैं पटियाला में था। मेरे दो मित्र सहयोगी साथ थे। हम कार से कहीं जा रहे थे। वो दोनों धर्म पारायण cut surds यानि बाल कटे हुए सिख थे। सड़क किनारे पड़ने वाले हर गुरुद्वारे को शीश नवाते। इधर हम। हमने आज तक किसी मठ मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा गुरु बाबा पीर मज़ार औलिया को सर न झुकाया। न कभी गंगा नहाये न विश्वनाथ जी या वैष्णो देवी गए। सो उस दिन बात चल पड़ी पंजाब के विशाल भव्य गुरुद्वारों पे.

<p>Ajit Singh : आज से कोई 3 साल पहले उन दिनों मैं पटियाला में था। मेरे दो मित्र सहयोगी साथ थे। हम कार से कहीं जा रहे थे। वो दोनों धर्म पारायण cut surds यानि बाल कटे हुए सिख थे। सड़क किनारे पड़ने वाले हर गुरुद्वारे को शीश नवाते। इधर हम। हमने आज तक किसी मठ मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा गुरु बाबा पीर मज़ार औलिया को सर न झुकाया। न कभी गंगा नहाये न विश्वनाथ जी या वैष्णो देवी गए। सो उस दिन बात चल पड़ी पंजाब के विशाल भव्य गुरुद्वारों पे.</p>

Ajit Singh : आज से कोई 3 साल पहले उन दिनों मैं पटियाला में था। मेरे दो मित्र सहयोगी साथ थे। हम कार से कहीं जा रहे थे। वो दोनों धर्म पारायण cut surds यानि बाल कटे हुए सिख थे। सड़क किनारे पड़ने वाले हर गुरुद्वारे को शीश नवाते। इधर हम। हमने आज तक किसी मठ मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा गुरु बाबा पीर मज़ार औलिया को सर न झुकाया। न कभी गंगा नहाये न विश्वनाथ जी या वैष्णो देवी गए। सो उस दिन बात चल पड़ी पंजाब के विशाल भव्य गुरुद्वारों पे.

मैंने कहा तुम्हारे ये संगे मर्र मर्र से बने स्वर्ण जड़ित भव्य गुरुद्वारे ही तुम्हारी कौम की मौत का कारण बनेंगे। उन दोनों का मुह कसैला हो गया। मेरी बात उनकी समझ में आई नहीं। आज आलम ये है कि सिखी का हर गुरुद्वारा विवादों की जद में है। गुरुद्वारों पे नियंत्रण के लिए सिख आपस में लड़ रहे हैं। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी दो फाड़ हो गयी है। हरियाणा में सिखों ने कांग्रेस के समर्थन से अलग हरियाणा SGPC बना ली है।

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पंजाब में गुरुद्वारे जातीय आधार पे बँट / बन गए हैं। दस गुरुओं की चाहे जो सोच रही हो और उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना करते हुए बेशक जाति प्रथा खत्म कर दी हो पर ज़मीन पे वो बाकायदा कायम है और पूरी मज़बूती से कायम है। सवर्ण सिख यानि क्षत्रिय ब्राह्मण और जाट सिख दलितों को भरसक अपने गुरुद्वारों में नहीं चाहते। उनसे छुआछूत करते हैं। अपने गुरुद्वारों में दलित सिखों से लंगर (प्रसाद, भोजन) नहीं पकवाते या उन्हें सेवा नहीं करने देते।

इसकी प्रतिक्रया में दलितों ने अलग गुरुद्वारे बना लिए हैं। बाकायदा जातीय गुरुद्वारे हैं। इसके अलावा रविदासी गुरुद्वारे भी हैं जिन्होंने radical सिखों से झगडे के चलते अपने गुरुद्वारों से पवित्र गुरुग्रंथ साहिब का ही परित्याग कर नयी पवित्र पुस्तक लिख ली।

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आज जो ये radical sikhs का सरबत खालसा हो रहा है इस लड़ाई का मुख्य मुद्दा धन दौलत रुपया चढ़ावा की खान बने ये मकराना और Italian Marble से बने भव्य गुरुद्वारे ही हैं। मुख्य मुद्दा इनकी गोलक पे कब्जा ज़माना है जो धन धान्य से भरी रहती हैं। कौम से आह्वाहन किया गया है कि (अगले आदेश तक) जब तक की गुरुद्वारे SGPC के कब्जे में हैं गुल्लक में सिर्फ एक रु ही डालें।

मध्य कालीन भारत में भारत के विनाश का कारण ये मंदिर बने जिनमे अरबों नहीं खरबों रु की दौलत जमा थी। तब इन मंदिरों पे नियंत्रण के लिए भी संघर्ष होते रहे होंगे और जब कोई एक पक्ष मलाई नहीं पाता रहा होगा तो वो गोरी गज़नी को न्योत देता था- आओ यहां बहुत माल रखा है, लूट लो।

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इन मंदिरों ने हमको 1400 साल गुलाम बनाया।

सिखों, अब तुम्हारे लिए वही काम तुम्हारे ये भव्य गुरुद्वारे करेंगे।

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जिला गाजीपुर के निवासी और सोशल एक्टिविस्ट अजित सिंह के फेसबुक वॉल से.

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0 Comments

  1. bhupesh

    May 13, 2016 at 9:41 am

    nice one

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