उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत पक्के वाले नेता है. कुछ कुछ ओवर स्मार्ट नेता हैं. काफी समय से इन्होंने कई पत्रकारों को सूचना आयुक्त बनाने का लालीपाप दे रखा था लेकिन बना किसी को नहीं रहे थे. राजीव नयन बहुगुणा तो खुद को नया सूचना आयुक्त अब बना तब बना मान कर चल रहे थे और लोगों से बधाइयां आदि भी ले रहे थे. पर हरीश रावत इतनी आसानी से किसी को कुछ देते कहां.
अब जब चुनावी अधिसूचना जारी हो गई है तो आनन फानन में हरीश रावत ने तीन सूचना आयुक्तों के पद के लिए कुल आठ नाम प्रस्तावित कर राज्यपाल के पास भेज दिए. इन आठ में सात पत्रकार हैं और एक अवर सचिव लोकसभा. राज्यपाल ने चुनावी आचार संहिता का हवाला देते हुए और प्रस्ताव में ढेर सारी कमियों का जिक्र करते हुए वापस लौटा दिया. इस तरह सात पत्रकारों के दिल के अरमां आसूओं में बह गए. हरीश रावत को अच्छे से पता था कि आधा अधूरा प्रस्ताव मान्य न होगा.
साथ ही चुनाव आचार संहिता के बीच यह काम होना मुश्किल है. पर हरीश रावत ने सभी पत्रकारों को लालीपाप थमा रखा था और सभी को हां हां कह रखा था इसलिए उनने सबका मान रख दिया, सबका नाम लिख दिया और पद किसी को नहीं मिला. यानि सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी. जिन सात पत्रकारों के नामों का प्रस्ताव सीएम रावत ने किया है, वे इस प्रकार हैं-
पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा
पत्रकार केवल नंद सती
पत्रकार जन सिंह रावत
पत्रकार दर्शन सिंह रावत
पत्रकार चंद्र सिंह ग्वाल
पत्रकार हरीश लखेड़ा
पत्रकार डीएस कुंवर
देवेंद्र सिंह (अवर सचिव लोकसभा)