हम चमकेंगे मेहराबों पर , मीनारों पर… विकट पत्रकार यशवंत सिंह ने भड़ास महोत्सव आयोजित कर मुझे स्वयं की ईर्ष्या का पात्र बना लिया।
दलितों के समुद्धारक बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर जानबूझ कर सूटेड बूटेड रहते थे, ताकि वह अपने समाज को दारिद्र्य की कुंठा से निकाल सकें। इसी तरह यशवंत ने यह आयोजन एक आलीशान होटल में कर दलाल और कलाल पत्रकारों को चुनौती दी।
मैं ऐसे भी एक आराम पसन्द और अय्याश पुरुष हूँ। मेरे पिता 92 साल की उम्र में कहीं आवागमन नहीं कर पाते। भूले बिसरे उनके इनविटेशन मुझे आ जाते हैं। यह परिवार और परम्परा पूजक देश है। ऐसे ही मुझे एक बुलावा आया मथुरा से।
आयोजक ने भूमिका बांधी- आप एक त्यागी और तपस्वी पिता के पुत्र हैं, अतः आपके आवागमन और अधिवास के लिए हमे चिंतित होने की आवश्यकता नहीं।
मैंने रिप्लाई दिया – गफलत में मत रहना। त्यागी तपस्वी मेरे पिता हैं, मैं नहीं। मेरे लिए कार का पेट्रोल और ठंडा कमरा तय्यार रखना। अन्यथा भरी सभा मे तेरा भांडा फोडूंगा कि तू पेट्रोल में मिट्टी के तेल की मिलावट करता है। तेरे बारे में सब मालूम कर लिया है।
यशवंत मेरी ही तरह मस्त, बिन्दास और झक्कास मनुष्य है। प्रवाह के विरुद्ध तैरने वाला। फिर भी उसने मेरे आवागमन की आलीशान व्यवस्था की। जबकि इसकी अपरिहार्यता नहीं थी। यशवंत जैसों के लिए 200 मील पैदल चल कर भी आ सकता हूँ।
संत पत्रकार और मेरे शिक्षक Qamar Waheed Naqvi बाबा का इस बहाने सानिध्य अविस्मरणीय रहेगा।
यहां भी आपके टुकड़ों पे पल रहे है हम…
ब रोज़े हश्र भी रखना भरम ग़रीब नवाज़ ”
ऐसा झल्ला हर साल किया कर यार यशवंत…
राजीव नयन बहुगुणा जी की एफबी वॉल से.
अब देखें-सुनें राजीव जी का संबोधन…