मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत द्वारा समाचार प्लस चैनल के विवादित सीईओ व एडिटर इन चीफ उमेश शर्मा से बनाई गई दूरी ही स्टिंग के प्रयास का आधार बनी. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के स्टिंग करने का मकसद एक तीर से कई निशाने साधने का था. योजना यह थी कि एक बार सफल स्टिंग होने के बाद इसका भय दिखाते हुए सभी बातें मानने को मजबूर किया जा सके. इससे न केवल आरोपितों के राजनीतिक सहयोगियों का काम पूरा होगा बल्कि वे अधिकारियों से भी अपने काम करा सकेंगे. हालांकि, इस मामले में ऐसा नहीं हो सका और पहले ही पूरे मामले का पर्दाफाश हो गया.
इस पूरे प्रकरण में समाचार प्लस के एसआईटी हेड आयुष पंडित ने चैनल के सीईओ व एडिटर इन चीफ उमेश कुमार की पोलखोल बैठा. मुख्यमंत्री की कड़क छवि इस पूरे प्रकरण का प्रमुख कारण बनी. शिकायतकर्ता आयुष गौड़ उर्फ आयुष पंडित की मानें तो आरोपित उमेश शर्मा व उसके सहयोगियों के प्रदेश में काम नहीं हो रहे थे. मुख्यमंत्री भी उससे दूरी बनाए हुए थे. मुख्यमंत्री से नजदीकी बनाने में सफल न होने के कारण मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश का स्टिंग करने की योजना बनाई गई. इसमें उनका साथ स्थानीय नेताओं व कुछ अधिकारियों ने भी दिया. इसका मुख्य मकसद यह था कि किसी भी तरह मुख्यमंत्री का स्टिंग हो जाए तो फिर आरोपित उनसे अपनी मनचाही बातें पूरी करा सकेंगे और राजनीति व नौकरशाही में उनका रसूख भी बढ़ सकेगा.
इसके लिए उन्होंने पहले मुख्यमंत्री के भाई समेत उनके नजदीकियों का स्टिंग किया. हालांकि, इस स्टिंग में ऐसी कोई बातें सामने नहीं आ पाई जो आरोपितों के काम आती. बावजूद इसके वह इनकी रिकार्डिग अपने पास रखते थे. मुख्यमंत्री के नजदीकियों का स्टिंग करने के बाद योजना मुख्यमंत्री का स्टिंग करने की थी. इसके लिए पहले दिल्ली और फिर देहरादून स्थित आवास में स्टिंग का प्रयास किया गया. दिल्ली में मुख्यमंत्री से मुलाकात का मौका नहीं मिला. देहरादून में यह मौका तो मिला लेकिन यह प्रयास सफल नहीं हो पाया. शिकायतकर्ता आयुष का कहना है कि देहरादून में उसे मुख्यमंत्री से मुलाकात का मौका तो मिला लेकिन वह डर के कारण स्टिंग नहीं कर पाया और मुख्यमंत्री से कुशलक्षेम पूछ वापस आ गया.
भाजपा ने राज्य सरकार को अस्थिर करने के प्रयास को गंभीर मामला बताते हुए कहा कि मामले की जांच से न सिर्फ पूरी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी, बल्कि षड्यंत्र का पर्दाफाश होगा. कांग्रेस ने भी प्रकरण को गंभीर बताते हुए कहा कि इसमें कानून अपना काम करेगा. राज्य में सियासी अस्थिरता पैदा करने के प्रयास व स्टिंग ऑपरेशन जैसे आरोपों में गिरफ्तार उमेश के सत्ता प्रतिष्ठान और नौकरशाहों से संबंध किसी से छिपे नहीं हैं. दोनों ही प्रमुख दलों कांग्रेस और भाजपा से उसकी नजदीकियां रही हैं. वर्ष 2016 में उसके द्वारा किए गए तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुखिया हरीश रावत के स्टिंग ऑपरेशन ने राज्य में सियासी भूचाल ला दिया था. इसके बाद वह भाजपा नेताओं के लिए चहेता बन गया था. अब भाजपा सरकार और उसके नौकरशाह ही उमेश के निशाने पर थे. ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के उन लोगों में बेचैनी है, जिनके उमेश से संपर्क रहे हैं. वे नौकरशाह भी खासे बेचैन हैं, जिनसे वह मिलता-जुलता था. यही वजह भी है कि कोई भी इस प्रकरण पर खुलकर कुछ भी कहने से गुरेज कर रहा है.
समाचार प्लस चैनल के सीईओ उमेश जे कुमार की साजिश में शामिल अन्य चेहरों के साथ उसके मंसूबों को सबूतों के जरिये साबित करने के लिए पुलिस को अभी लंबी कसरत करनी है. पहले तो उमेश के गाजियाबाद स्थित आवास से मिले इलेक्ट्रानिक उपकरणों में कैद स्टिंग और जानकारियों की क्रॉस चेकिंग करनी है और उससे जुड़ी हकीकत को सामने लाना है. इसके बाद अन्य आरोपितों की साजिश में भूमिका का भी पता लगाना है. देहरादून की राजपुर पुलिस ने इन्हीं सब बातों को आधार बनाते हुए अदालत से उमेश की पांच दिन की कस्टडी रिमांड मांग ली है.
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