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उत्तराखंड

पत्रकारिता दिवस मनाने प्रेस क्लब जा रहे उत्तराखंड के सीएम को देहरादून के पत्रकारों की एक पाती

सीएम साहब के नाम पत्रकारों की पाती

आदरणीय मुख्यमंत्री जी, सुना है आप पत्रकारिता दिवस मनाने प्रेस क्लब जा रहे हैं। महोदय जाना न जाना आपका विवेकपूर्ण निर्णय होना चाहिए। कुछ तथ्य आपके ध्यानार्थ हैं।

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सीएम साहब के नाम पत्रकारों की पाती

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आदरणीय मुख्यमंत्री जी, सुना है आप पत्रकारिता दिवस मनाने प्रेस क्लब जा रहे हैं। महोदय जाना न जाना आपका विवेकपूर्ण निर्णय होना चाहिए। कुछ तथ्य आपके ध्यानार्थ हैं।

1- उत्तरांचल प्रेस क्लब विवाद और कलह में घिरी संस्था है। यह पत्रकारों की नहीं चंद मठाधीशों की संस्था है, जिनका अपना कोई आधार नहीं है। चंद बैनरों की आड़ में व्यक्तिगत मंसबे पूरे करने के लिए प्रेस क्लब को ‘अड्डा’ बनाया गया है।

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2- पत्रकारों के हितों, सामाजिक सरोकरों और राज्य के विषयों पर इस संस्था का कोई योगदान नहीं है। प्रेस क्लब  की आड़ में अवैध कब्जा, दलाली और ठेकेदारी इसका मुख्य मकसद है।

3- चंद मठाधीश किसी भी हाल में इस संस्था पर कब्जा नहीं छोड़ना चाहते, चाहे इसके लिए उन्हें किसी भी हद तक क्यों न जाना पड़े। आठ साल तक यह संस्था बंद पड़ी रही।

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4- वर्तमान में संस्था में 197 सदस्य हैं, लेकिन बीते वर्ष सरकार के साथ सांठगांठ कर मात्र 34 लोगों में कार्यकारिणी का चुनाव कराया गया। पत्रकारों ने विरोध किया तो पुलिस लाठीचार्ज करवाया गया। लाठीचार्ज में दर्जनभर से ज्यादा पत्रकारों को गंभीर चोटें आईं।

5- उच्च न्यायालय नैनीताल में प्रेस क्लब का मामला विचाराधीन है। राज्य मानवाधिकार आयोग ने लाठीचार्ज की घटना पर पुलिस को कठघरे में लिया है। घटना की मजिस्ट्रेट स्तर की जांच तत्कालीन सीडीओ  हरिद्वार, डाक्टर एमएस बिष्ट को सौंपी गई थी।

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6- प्रेस क्लब के नाम पर सरकार पर सिर्फ दबाव बनाया जाता है। सच यह है कि प्रेस क्लब की आड़ में  सरकारी जमीन पर कब्जा हो रहा है।

7- राजधानी में पांच सौ से ज्यादा पत्रकार हैं, मगर प्रेस क्लब के कर्ता-धर्ताओं से यह पूछा जाना चाहिए कि वर्तमान में कितने पत्रकारों को क्लब की सदस्यता प्राप्त है? किसी कार्यक्रम में भीड़ बढ़ाने के लिए सदस्यों की जगह अपने परिजनों और कालेजों में पढ रहे युवाओं को प्रेस क्लब बुलाया जाता है।

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8- मुख्यमंत्री जी, आपको जाना है आप शौक से जाएं पर पिछली सरकार ने जो किया उस पर बैठी जांच की बात करें। क्यों नहीं रिपोर्ट सामने आ रही है, इसका पता करवाएं।

9- शिलान्यास का पत्थर लगाएं, तो यह जरूर पूछें कि क्लब जिस जमीन पर शिलान्यास करवा रहा है, उसका मालिक कौन है? कृपया यह भी कर्ता-धर्ताओं से पूछें कि पंद्रह साल से मंजूर लाखों रूपया खर्च क्यों नहीं हुआ?

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10- मुख्यमंत्री जी यह भी पूछें कि पिछले साल 30 दिसंबर को प्रेस क्लब गेट पर रजिस्ट्रार का कथित मुंह काला क्यों हुआ? लाठीचार्ज क्यों हुआ? ‘सरकार मुर्दाबाद’ का नारा क्यों लगा? चुनाव के दिन क्लब के सदस्यों को प्रेस क्लब परिसर में क्यों नहीं आने दिया गया?

11- हां, यह भी जरूर पूछिएगा कि कितने पुराने पत्रकार इस संस्था के सदस्य हैं? कितने नए युवा पत्रकार इसके सदस्य हैं? उत्तरांचल प्रेस क्लब क्या पूरे मीडिया का क्लब है?

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12- यह जानने की कोशिश भी जरूर कीजिएगा कि क्यों प्रेस क्लब पर चंद कथित बड़े मीडिया समूह में काम करने वाले तथाकथित पत्रकारों का प्रभुत्व है?

13- मुख्यमंत्री जी आप खुद पत्रकारिता से जुड़े रहे हैं लिहाजा आप भली भांति जानते हैं कि, मीडिया सिर्फ चंद अखबारों में काम करने वाले मुट्ठीभर लोग नहीं, बल्कि बहुत बड़ा है। आप यह भी जानते हैं कि मीडिया षडयंत्रकारी नहीं होता, जिम्मेदार और जवाबदेह होता है।

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14- सरकार निश्चत रूप से एक ‘ताकत’ है। सरकार को यह सोचना चाहिए कि इस ताकत का सही इस्तेमाल हो रहा है या दुरूपयोग?

मुख्यमंत्री जी, हम सब उन तथाकथित बड़े मीडिया घरानों में काम करने वाले ऊंची पहुंच वाले ‘बड़े’ पत्रकार नहीं, जिनकी आप तक आसानी से पहुंच है। फिर भी उम्मीद के साथ पत्र के माध्यम से आप तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं। उम्मीद है आप तक हमारी बात अवश्य पहुंचेगी और आप इन सभी तथ्यों पर विचार करेंगे।

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सादर

हम सब राजधानी के पत्रकार

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(भड़ास को एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.)

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