पिथौरागढ़, 06 मई 2016 : जे.एन.यू. के छात्रों पर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा लगाये गए निष्कासन और आर्थिक दंड के फैसले को वापस लिए जाने की माँग को लेकर आज यहाँ भाकपा (माले) ने जिला अधिकारी के माध्यम से केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री को ज्ञापन दिया। भाकपा माले के जिला सचिव गोविंद सिंह कफलिया ने कहा कि जेएनयू छात्र संघ के नेतृत्व में 19 छात्र जे.एन.यू. के छात्रों पर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्रों के अन्यायपूर्ण निष्कासन और जुर्माना लगाये जाने के फैसले की वापसी की मांग पर 27 फरवरी से आमरण अनशन पर हैं।
जिस जांच कमेटी द्वारा जेएनयू छात्रों के खिलाफ फैसला दिया गया उसकी निष्पक्षता और जरुरत पर जेएनयू के छात्र पहले ही सवाल उठा चुके थे. वैसे भी 9 फरवरी की घटना के बाद जब मामला माननीय न्यायालय के समक्ष है तब अतिरिक्त सक्रियता दिखाकर छात्रों को दण्डित करने में जल्दबाजी सवाल खड़े करती है. साफ़ है कि विश्वविद्यालय के कुलपति ऊपरी दबाव में छात्रों के खिलाफ फैसले ले रहे हैं.
ज्ञापन में मांग की गयी है कि…
1. जेएनयू विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जेएनयू छात्रों पर लगे सभी निष्कासन– जिसमें हॉस्टल से निष्कासन, कैंपस से निष्कासन, कोर्स से निष्कासन शामिल हैं— वापस लिया जाय व आर्थिक जुर्माना लगाये जाने का फैसला रद्द किया जाय.
2. विश्वविद्यालयों में सरकारी हस्तक्षेप बंद किया जाय क्योंकि इसी अनावश्यक हस्तक्षेप के चलते हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला की जान चली गयी और इसी हस्तक्षेप को जेएनयू में भी साफ़ महसूस किया जा सकता है.
3. विश्वविद्यालयों व उच्च शैक्षणिक संस्थाओं में दलित, आदिवासी, सामाजिक रूप से पिछड़े छात्रों नामांकन काफी कम संख्या में हो पाता है. परन्तु इन संस्थाओं में उनका उत्पीड़न आम बात हो गयी है. इसे रोकने के लिए रोहित वेमुला के नाम पर ‘रोहित एक्ट’ बनाया जाय.
ज्ञापन सौंपने वालों में भाकपा (माले) के विमल दीप फिलिप, हेमंत खाती आदि थे। ज्ञापन की एक प्रति कुलपति, जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली को भी भेजी गयी है।