कभी उत्तरकाशी की मीडिया सामाजिक मुद्दों पर बड़ी मुखर हुआ करती थी। आंदोलनों को धार देनी हो या फिर नया आंदोलन खड़ा करना हो, उत्तरकाशी की मीडिया ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई। लेकिन, बीते दो सालों से यहां मीडिया का हाल ऐसा है मानों सभी को सांप सूंघ गया हो। यह सांप असल में कोई नहीं, उत्तरकाशी स्थित नेहरु पर्वतारोहण संस्थान के प्राचार्य कर्नल अजय कोठियाल का नशा है।
उत्तरकाशी के पत्रकारों में एक दौड़ यह है कि कौन कर्नल कोठियाल के सबसे नजदीक रह सकेगा। अमर उजाला, दैनिक जागरण, हिंदुस्तान, जी टीबी, इ टीबी समेत सभी मीडियाकर्मी खुद को उनके नजदीक लाने का पूरा प्रयास करते है। उनके शहर में पहुंचते ही नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में पत्रकारों की दावतों का खूब इंतजाम हो जाता है और वहां पत्रकारों का मेला लग जाता है। कर्नल कोठियाल फिलहाल एनआईएम से ज्यादा केदारनाथ के काम में जुटे पड़े है। लेकिन पत्रकारों की अंध भक्ति लोगों के समझ से परे है। उनके खिलाफ खबर लिखने की कोई हिम्मत नहीं जुटा सकता तो जो उनके खिलाफ कुछ लिख या छाप दे उसके पीछे सभी लग जाते है।
कर्नल कोठियाल की अंध भक्ति का असर का फायदा भी जमकर उठाया जा रहा है। कोई पत्रकार हेलीकोप्टर से चक्कर काट रहा है कोई पत्रकार लाखों रुपये उनके चक्कर में कमा चुके है। एक टीवी पत्रकार जिनके चैनल तो बंद हो गए लेकिन वह कर्नल कोठियाल का गुणगान करने वाले वीडियो बनाते है जिससे उनकी मोटी कमाई होती है तो एक प्रिंट मीडिया के पत्रकार तो तनखा भी पा रहे हैं उनसे। एक पत्रकार जो उत्तरकाशी से देहरादून आए थे वह तो हेलीकोप्टर से केदारनाथ तक के चक्कर काट आए। बदले में अपने अखबार में दो तीन खबरे छापी जो कर्नल कोठियाल के गुणगान ने भरी हुई थी। पत्रकारों के कर्नल प्रेम से नुकसान उत्तरकाशी का हो रहा है जिससे असली समस्याएं सामने नहीं आ पा रही है।
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.