वाह रे उत्तराखंड सरकार और यहां के मुख्यमंत्री हरीश रावत! शराब और खनन माफिया के साथ सीएम रावत व उनकी चंडाल चौकड़ी के मायाजाल के स्टिंग में शर्मनाक आचरण के आरोपी, उनके निजी सचिव मोहम्मद शाहिद (आईएएस) का अब तक बाल भी बांका नहीं हुआ। मात्र 10 दिन पहले कांग्रेस आलाकमान को रावत ने आश्वस्त किया था कि स्टिंग आपरेशन के कुछ ही घंटों में उन्होंने अपने निजी सचिव को सस्पेंड कर दिया है लेकिन उनका यह ऐलान झूठा निकला। शाहिद का सिर्फ विभाग बदला है। अब सीएम रावत स्टिंग की जांच के नाम पर उत्तराखंड की जनता को ही नहीं, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व उपाध्यक्ष राहुल गांधी की आंखों में धूल झोंकने की शर्मनाक कोशिशों में जुट गए हैं।
यहां के मीडिया ही नहीं, आम लोग मानते हैं कि जांच सीबीआई जैसी सर्वोच्च एजेंसी के नीचे कराने से सच सामने नहीं आने वाला। हैरत यह है कि मुख्यमंत्री ने लोगों को मूर्ख बनाने के लिए यह सनसनीखेज जांच एक दूसरे दागदार आइएएस अधिकारी ओमप्रकाश को सौंप दी है। मजेदार बात है कि ये सज्जन खुद ही मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव हैं। सवाल यह है कि स्टिंग की जांच के लपेटे में जब खुद मुख्यमंत्री हरीश रावत हैं तो उनके सामने सुबह- सुबह घर जाकर नत मस्तक होने वाला कोई नौकरशाह कैसे मुख्यमंत्री और उनके निजी सचिव के विरुद्ध लगे आरोपों की स्वतंत्र जांच कर सकेगा।
राज्य बनने के बाद 12 वर्ष से ज्यादा वक्त तक मुख्यमंत्री का प्रमुख सचिव ओमप्रकाश एग्रीकल्चर सेक्रेटरी रहा। इस दौरान जो दर्जनों घोटाले हुए, उसमें राज्य के खजाने की लूट से जुड़ा करोड़ों रुपए का हरी खाद का ढैंचा बीज घोटाला भी एक है। यह घोटाला बिहार के चारा घोटाले की तर्ज पर हुआ, जिसमें कई करोड़ के हरी खाद के बीजों से भरे वाहन उत्तराखंड आए ही नहीं। टेंडर कागजों पर हो गए। बीजों का करोड़ों का भुगतान दिखा कर मंत्री से संत्री तक ने अपनी संपत्ति चौगुनी कर डाली।
गौरतलब है कि हाल में 20 जुलाई 2015 को ढैंचा घोटाले पर पेश याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीष न्यायमूर्ति के एम जोसफ की सयुंक्त बैंच ने हरीश रावत सरकार को तीन सप्ताह के भीतर कृत कार्यवाही का शपथ पत्र तलब किया था।
लोगों को हैरत है कि त्रिपाठी आयोग ने जांच एक साल पहले राज्य सरकार को सौंप दी थी। ढैंचा बीज घोटाले में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव ओमप्रकाश, उत्तराखंड की पूर्व भाजपा सरकार के मंत्री रहे व भाजपा के झारखंड के प्रभारी त्रिवेंद्र सिंह रावत पर नैनीताल हाईकोर्ट कोर्ट का शिकंजा कसा हुआ है। राज्य की जनता को हैरत इस बात से भी है कि जिस घोटाले के तार पूर्व भाजपा सरकार व उसके मंत्री, नौकरशाहों से सीधे जुड़े हुए हैं, उन पर सीएम हरीश रावत साल भर से मौन क्यों हैं?
देहरादून से एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित
aniruddha garbyal
July 31, 2015 at 5:01 am
aur is omprakash ka khaas sharp shooter amar ujala ka ajeet rathi hai.usko bol k omprakash apne virodhi afsaron aur neta ke khila amar ujala me khabre chhapwata hai.yeh baat rajul maheshwari ko chhod puri duniya ka pata hai.amar ujala ki vishwasniyata ka jo bantadhar hua uske pichhe sirf rathi ki party ban kar mota maal koot kar likhi gayi khabre hain.warna aaj hindustan aur jagran amar ujala ke saamne kahin nahi tikte.chetan gurung k chief rahne ke dauran amar uajal ka jalwa dekhte hi banta tha.halanki unme guroor bhi jhalakta tha lekin akhbar ke liye wo behatarin daur tha.tab baaki akhbar kahir race me hi nahi hote thhe.ab ratthi ias afsar rakesh sharma ke sath mil kar mota maal koot raha hai.apni ulti seedhi file dabaav daal ke sachivon se kara raha rathi.rajul ji ki aankhen abhi b shayad band hain.