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उत्तराखंड

उत्तराखंड में खनन माफिया बेलगाम, दो पत्रकारों पर किया जानलेवा हमला

रामनगर (उत्तराखंड) : खनन माफिया राज्य में बेलगाम हैं। आये दिन ग्रामीणों पर हमले हो रहे हैं। कई बार पुलिस वालों पर भी हमला कर चुके हैं। हालात यह हैं कि अवैध खनन पर विधान सभा में तनातनी के समय मुख्यमंत्री नाम खोलने की बात कहते हैं लेकिन इस पर बोलते-बोलते नामों पर आकर उनकी बोलती बंद हो जाती है। चारों ओर माफिया का राज है। राज्य सरकार माफिया के दबाव में है इसे सर्वत्र अनुभव किया जा रहा है। हजारों-हजार एकड़ जमीनों को उजाड़कर दिन-रात खनन किया जा रहा है। इससे पर्यावरण, खेती और समाज को भारी हानि हो रही है, इस अनैतिक कार्य के खिलाफ जो भी आवाज उठाता है उसे माफिया के कोप का भाजन बनना पड़ता है।

खनन माफिया के हमले में घायल पत्रकार अधिवक्ता प्रभात ध्यानी का इलाज करते चिकित्सक

रामनगर (उत्तराखंड) : खनन माफिया राज्य में बेलगाम हैं। आये दिन ग्रामीणों पर हमले हो रहे हैं। कई बार पुलिस वालों पर भी हमला कर चुके हैं। हालात यह हैं कि अवैध खनन पर विधान सभा में तनातनी के समय मुख्यमंत्री नाम खोलने की बात कहते हैं लेकिन इस पर बोलते-बोलते नामों पर आकर उनकी बोलती बंद हो जाती है। चारों ओर माफिया का राज है। राज्य सरकार माफिया के दबाव में है इसे सर्वत्र अनुभव किया जा रहा है। हजारों-हजार एकड़ जमीनों को उजाड़कर दिन-रात खनन किया जा रहा है। इससे पर्यावरण, खेती और समाज को भारी हानि हो रही है, इस अनैतिक कार्य के खिलाफ जो भी आवाज उठाता है उसे माफिया के कोप का भाजन बनना पड़ता है।

खनन माफिया के हमले में घायल पत्रकार अधिवक्ता प्रभात ध्यानी का इलाज करते चिकित्सक

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राज्य सरकार के किसी तुर्रमखां में खनन माफिया पर नकेल कसने की हिम्मत नहीं बची है। खनन के खिलाफ मुहिम में ग्रामीणों का साथ दे रहे राज्य आंदोलनकारी और पत्रकार अधिवक्ता प्रभात ध्यानी तथा वरिष्ठ पत्रकार और नागरिक के संपादक मुनीष अग्रवाल पर खनन माफियाओं ने लाठी डंडों और धारदार हथियारों से जानलेवा हमला कर दिया। इससे गुस्साए ग्रामीण माफिया की गिरफ्तारी की मांग को लेकर कोतवाली में धरने पर बैठ गए। हमले के विरोध में बुधवार को रामनगर बंद का ऐलान किया गया है। दूसरी तरफ पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है। यह गंभीर घटना ऐसे समय में हुई जब टिहरी के मलेथा और पिथौरागढ़ के डूंगरा गांव में भी अवैध खनन एवं क्रशर माफियाओं के खिलाफ आंदोलन जारी है।

    वीरपुर लच्छी गांव की सड़क पर एक स्टोन क्रशर है। क्रशर के वाहनों की आवाजाही होने से गांव के लोगों को परेशानी होती है। ग्रामीणों ने क्रशर के वाहनों की आवाजाही बंद कराने के लिए कुछ समय पहले सड़क पर जगह-जगह गड्ढे खोद डाले थे। मंगलवार को एसडीएम एसएस जंगपांगी, सीओ मिथिलेश कुमार, कोतवाल कैलाश पंवार पुलिस ने पीएससी की मौजूदगी में सड़क में गड्ढे भरवा दिए। गड्ढे भरने के दौरान ग्रामीणों की अधिकारियों से तीखी नोकझोंक भी हुई। गड्ढों को भरवाने के बाद अधिकारी लौट आए, लेकिन कुछ पुलिसकर्मियों को वहीं छोड़ दिया।

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    राज्य आंदोलनकारी प्रभात ध्यानी और पत्रकार मुनीष अग्रवाल भी ग्रामीणों का साथ देने के लिए वीरपुर लच्छी गांव गए थे। शाम पांच बजे प्रभात ध्यानी और मुनीश कुमार बाइक से रामनगर लौट रहे थे। थारी गांव में प्रीति कौर और 14-15 लोगों ने कथिततौर पर प्रभात ध्यानी और मुनीश को रोक लिया। आरोप है कि प्रीति कौर ने प्रभात ध्यानी का मोबाइल और बाकी लोगों ने मुनीष अग्रवाल का टैबलेट छीन लिया। इन लोगों ने एकजुट होकर ध्यानी और मुनीश पर लाठी-डंडों और धारदार हथियारों से हमला बोल दिया। बताया जाता है कि हमलावरों ने धमकियां दी कि तुम बहुत बड़े नेता बनते हो। अब देखते हैं तुम वीरपुर लच्छी गांव कैसे आते हो। सरकार हमारी है और तुम कुछ नहीं बिगाड़ सकते। हमलावरों ने प्रभात ध्यानी को सड़क पर लेटाकर मारा, जिससे उनके कमर, पैर, हाथों में चोटें आई हैं। मुनीश कुमार के शरीर में भी चोटें लगी हैं। प्राइवेट वाहन से दोनों को रामनगर अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसके बाद प्रभात ध्यानी को हल्द्वानी एसटीएच रेफर किया गया है। हमले की जानकारी होने पर लोगों में आक्रोश फैल गया। दर्जनों लोगों ने हमलावरों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर कोतवाली में धरना दिया। इसकी सूचना पर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी वहां पहुंच गए। मुनीश कुमार के मुताबिक एक मई 2013 को वीरपुर लच्छी मेें ढिल्लन स्टोन क्रशर स्वामी सोहन सिंह पुत्र रतन सिंह इत्यादि ने बुक्सा जनजाति बाहुल्य गांव में घुसकर फायरिंग, मारपीट और आगजनी की घटना की। इस मामले में प्रभात ध्यानी और वो मुकदमे में ग्रामीणों की मदद कर रहे थे। तभी से सोहन सिंह की तरफ से हमें धमकियां मिल रही थीं। मुनीश कुमार का आरोप है कि हमलावर खनन माफिया हैं। उन्होंने स्टोन क्रशर स्वामी के इशारों पर ही उन लोगों पर जानलेवा हमला किया है। मुनीश कुमार ने प्रीति कौर के अलावा बचन सिंह, देबू दीन, शेर सिंह, वीर सिंह, सुखविंदर सिंह, क्रशर स्वामी सोहन सिंह ढिल्लन समेत 14-15 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस ने इनके खिलाफ धारा 147, 148, 323, 341, 392, 120 के तहत मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबिशें दीं। एडीएम उदय सिंह राणा भी देर रात रामनगर पहुुंचे।

    कुछ दिन पहले वन निगम अध्यक्ष हरीश धामी ने अवैध खनन पर अंकुश और माफिया को बेनकाब करने का दावा किया था। धामी का दावा तो पूरा नहीं हुआ, लेकिन रामनगर में खनन माफियाओं ने राज्य आंदोलनकारी और पत्रकार पर जानलेवा हमला बोल दिया। करीब दो साल पहले भी रामनगर क्षेत्र में अवैध खनन रोकने गए तत्कालीन प्रशिक्षु आईएफएस नीतिश मणि त्रिपाठी के गले में दरांती लगाकर जान से मारने की धमकी दी गई। कई बार टीमों पर हमला किया गया।

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    घटना की जानकारी मिलने पर सरकारी अस्पताल में भर्ती ध्यानी और मुनीश को देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ने लगा। एसडीएम के अस्पताल पहुंचने पर उन्हें लोगों का आक्रोश झेलना पड़ा। मामला बिगड़ता देख एसपी सिटी यशवंत चौहान, कालाढूंगी एसओ भारी पुलिस बल के साथ कोतवाली पहुंचे। एसपी सिटी ने कहा हमलावरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। 

    वरिष्ठ पत्रकार और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने प्रभात ध्यानी और मुनीष अग्रवाल पर हुए हमले को लेकर कहा कि खनन माफियाओं को सरकार ने संरक्षण दिया है। माफिया के खिलाफ आवाज उठाने वालों पर हमले हो रहे हैं। कहा कि सरकार कानून व्यवस्था नहीं संभाल सकती तो तत्काल इस्तीफा दें। आंदोलनकारी सम्मान परिषद के उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने उपपा महासचिव प्रभात ध्यानी पर हमला करने वाले खनन माफियाओं को गिरफ्तार करने की मांग की है। कहा पानी अब सिर से ऊपर हो गया है। आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने पर सत्याग्रह आंदोलन की चेतावनी दी है।

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प्रभात और मुनीष पर हमले के खिलाफ रामनगर बंद, चारों ओर माफिया के खिलाफ गुस्सा

रामनगर। वरिष्ठ पत्रकार, राज्य आंदोलनकारी, अधिवक्ता और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के महासचिव प्रभात ध्यानी और पत्रकार मुनीष अग्रवाल पर वीरपुर लच्छी गांव में खनन माफिया द्वारा किए गये जानलवा हमले के विरोध में बुधवार को सैकड़ों लोगों ने रामनगर में जुलूस निकाला। सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए दुकानें बंद करा दी गईं। वकील भी घटना के विरोध में कार्य से विरत रहे। उन्होेंने फैसला किया कि हमलावरों का केस कोई नहीं लड़ेगा। प्रदर्शनकारियों ने पैठपड़ाव में सभा कर हमलावरों पर जानलेवा मुकदमा दर्ज करने समेत कई मांग रखी। पुलिस ने घटना के आरोपी एक महिला समेत चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया। घटना को लेकर पहाड़ में भी जगह-जगह जुलूस-प्रदर्शन हुए। घटना के बाद से वीरपुर लच्छी गांव में दहशत का माहौल है। सुरक्षा के लिए पीएसी के जवान गांव में डेरा डाले हुए हैं।

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    मालूम हो कि मुनीष और प्रभात उत्तराखंड के चोटी के जनपक्षीय लोगों में से हैं। उन पर हमले से राज्य से लेकर दिल्ली तक में लोगों में गुस्से की लहर दौड़ गई है। एसएसआई मोहन चंद्र पांडे ने बताया एसआई कमलेश भट्ट ने काशीपुर में दबिश देकर नामजद प्रीति कौर पत्नी बचन सिंह ग्राम थारी को दोपहर 12ण्50 बजे चामुंडा हॉस्पिटल के बाहर से गिरफ्तार किया। वहीं, करनैल सिंह पुत्र बचन सिंह, देशराज पुत्र बचन सिंह, जसवीर सिंह पुत्र बचन सिंह निवासी थारी को देशराज सिंह के घर से पकड़ा। एसएसआई पांडे ने बताया कि चारों को कोर्ट में पेशी के बाद जेल भेज दिया गया, जबकि महिला को रिमांड पर छोड़ दिया गया। पकड़े गए आरोपियों के खिलाफ धारा 147, 148, 323, 341, 392 आईपीसी में मुकदमा दर्ज किया गया है।

    हमले की घटना से क्षुब्ध रामनगर और कुमाऊ-गढ़वाल के विभिन्न संगठनों से जुड़े लोग विरोध जताने को सुबह से ही रामनगर पहुंचने लगे थे। प्रदर्शनकारी लखनपुर स्थित शहीद पार्क में एकत्र हुए। इसके बाद जुलूस निकाला, जो शहर के विभिन्न मार्गों पर दुकानों को बंद कराता हुआ पैठपड़ाव पहुंचा, जहां हुई सभा में माले के वरिष्ठ नेता राजा बहुगुणा ने कहा कि इस वक्त हर जिले में एक सीएम बन गया है, जो समानांतर सत्ता चला रहा है। इसके इशारे पर पुलिस-प्रशासन काम कर रहा है। माफिया पर इन्हीं नेताओं का संरक्षण है। मुनीष अग्रवाल ने कहा कि स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी स्टोन क्रशर स्वामी और अराजक तत्वों के मोहरे बने हैं। इको सेंसेटिव जोन के ललित उप्रेती ने कहा कि ताकत, भय के जरिए जनसरोकारों के लिए उठने वाली आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है। अन्य वक्ताओं ने धारा 307 लगाए जाने, मुख्य साजिशकर्ता सोहन सिंह, डीपी सिंह एवं अन्य नामजद सहित अज्ञात लोगों को तत्काल गिरफ्तार करने, वीरपुरलच्छी गांव में गूल और खेतों को निष्पक्षता के साथ भौतिक सत्यापन के समय खनन माफिया को शामिल नहीं करने, समूची प्रक्रिया की वीडियोग्राफी करने, गांव के बीच से भारी वाहनों, डंपरों की आवाजाही बंद करने, वीरपुर लच्छी गांव में पुलिस चौकी बनाने की मांग की। जुलूस-प्रदर्शन में केसर राणा, कुलदीप सिंह, अमर सिंह, गणेश रावत, इंदर मनराल, हरिमोहन शर्मा, नवीन नैथानी, डा. धनेश्वरी घिल्डियाल, नीलम गुप्ता, भूपेंद्र खाती, धनो देवी, कमलेश ध्यानी, पंकज, छात्रसंघ अध्यक्ष हेमंत रावत, नवीन सुनेजा, मनिंदर सिंह सेठी, मनमोहन अग्रवाल, मनमोहन बिष्ट, सुरेश घुघत्याल, आलोक गुंसाई, यशपाल रावत, गोपाल असनोड़ा, सुमित्रा बिष्ट, विमला आर्या, चंदन नेगी आदि शामिल थे। शाम को प्रदर्शनकारियों ने एडीएम को मांगों के संबंध में एक ज्ञापन सौंपा।

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    नवीन नैथानी के नेतृत्व में प्रगतिशील सांस्कृतिक परिषद पैठपड़ाव में हुई बैठक में राज्य आंदोलनकारियों ने हमले की निंदा की। वक्ताओं ने तय किया कि आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए बृहस्पतिवार को शहीद पार्क लखनपुर से जुलूस निकाला जाएगा। राज्य आंदोलनकारी सम्मान परिषद के उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप, पुष्कर दुर्गापाल, शेरसिंह लटवाल, डा. निशांत पपनै, डा. धनेश्वरी घिल्डियाल, सुमित्रा बिष्ट, कमला जोशी, पीतांबरी रावत, कमला पांडे, गंगा पाठक, कमला पाठक, इंद्रसिंह मनराल, दिनेश सत्यवली आदि थे। 

    ध्यानी पर जानलेवा हमला से बार एसोसिएशन में भी आक्रोश है। बुधवार को वकीलों ने न्यायिक कार्यों का बहिष्कार करते हुए कहा ध्यानी के हमलावरों की रामनगर का कोई भी वकील पैरवी नहीं करेगा। वकीलों ने पुलिस-प्रशासन को चेताया कि यदि 24 घटों के अंदर नामजद आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया गया तो रामनगर बार एसोसिएशन के वकील उत्तराखंड के सभी वकीलों के सहयोग से अनिश्चितकालीन आंदोलन करेंगे। अध्यक्ष बालम बिष्ट, सचिव चंद्रशेखर नैनवाल, सुरेश नैनवाल, केएन कुकरेती, ललित तिवारी, जगदीश मासीवाल, राजेंद्र सिंह लटवाल, जगतपाल रावत, रतन सिंह चौहान, प्रेमचंद्र नैनवाल, गिरधर बिष्ट, नीलकमल जोशी, विनोद अग्रवाल, मनोज अग्रवाल, संतोष देवरानी, मनोज अग्रवाल, अरुण रौतेला, आनंदबल्लभ बिष्ट, निसारूद्दीन, दीनू भंडारी, धर्मेंद्र अग्रवाल, संजय आदि थे। 

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    ध्यानी ने कहा कि एक मई 2013 को वीरपुर लच्छी में दलित परिवारों की चार झोपड़ी जला दी गई थीं और कई राउंड गोलियां चली थीं। उन्होंने कहा कि सरकार या विपक्षी पार्टी का कोई भी नेता अब तक वहां नहीं गया। एससी-एसटी आयोग में भी मामले की शिकायत की गई थी, मगर नतीजा सिफर ही रहा। उन्होंने कहा कांग्रेस अपने को दलितों का हितैषी कहती है, ये महज छलावा है।

    वीरपुर लच्छी में करीब छह साल पहले लगे एक स्टोन क्रशर ने गांव की खुशियां छीन ली। यहां के बच्चे अब कखग नहीं बल्कि डंपरों से कैसे बचा जाए सीख रहे हैं। जब से गांव की नवीं की छात्रा आशा की मौत हुई है, तब से अधिकांश बच्चों का स्कूल जाना बंद पड़ा है। ग्रामीणों कहते हैं बाबू पढ़ाई जरूरी है, लेकिन जिंदगी से बड़ी तो नहीं। वहीं, स्कूल में ग्रामीणों की सुरक्षा को पीएसी ने डेरा डाला हुआ है। कुछ दिन पहले पढ़कर कुछ बनने का सपना देख रही नवीं की छात्रा आशा के एक डंपर के चलते मौत हो गई। तब से गांव में भय बना हुआ है। आशा का भाई कमल सिंह कहते हैं कि सैकड़ों डंपर दिन-रात सड़क, गलियों को रौंद रहे हैं। इनसे पत्थर उछल कर गिरते रहते हैं, इसी से आशा की मौत हो गई। अब बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं। सुनीता और फूलदेवी कहती हैं कि बच्चों की जान का खतरा है… कैसे स्कूल भेजे। चंदरी राम कहते है कि कुछ दिन तो माता-पिता अपने सुरक्षा में में जैसे तैसे स्कूल बच्चो को लाने और छोड़ने जाते थे, पर आशा की मौत ने हिम्मत तोड़ दी। स्कूल तो छोड़ो घर के पास ही डंपर दौड़ रहे हैं, बच्चो को आंगन तक भेजने में खतरा लगता है। करीब एक महीने से अधिकांश बच्चे स्कूल नहीं गए हैं, यह बच्चों की जिंदगी का सवाल है।

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    गांव वालों और खनन से जुड़े लोगों का मुख्य विवाद करीब 800 मीटर सड़क को लेकर है। गांव के अंदर जाती, इस कच्ची सड़क ने लोगों का चौन छिन लिया हुआ है। स्टोन क्रशर पर पत्थर कोसी नदी से लाते हैं। पास में एक अलग खनिज जमा करने को दूसरा भंडार है। इसमें सैकड़ों डंपर दिन रात चलते रहते हैं। वीरपुर लच्छी गांव के लोग कहते हैं कि गांव के अंदर कच्ची सड़क है, जो करीब आठ सौ मीटर तक होकर स्टोन क्रशर की तरफ जाती है। बस इसी पर दिन-रात डंपर दौड़ते रहते हैं। आंदोलन से जुड़े मुनीष कुमार के अनुसार प्रशासन ने लिख कर दिया हुआ है कि इस सड़क पर केवल हल्के वाहन चल सकते हैं, लेकिन इस पर डंपर दौड़ रहे हैं। उनका आरोप है कि मंगलवार को जबरन प्रशासनिक अधिकारियों के संरक्षण में स्टोन क्रशर वाले पत्थर भरे। गांव के कमल सिंह आरोप लगाते हैं कि स्टोन क्रशर मालिक ने डंपर चलाने के लिए गोपाल सिंह, मान सिंह, बुद्धल देवी समेत कई लोगों के खेत को जबरन दबा दिया। अगर विरोध करो, तो उनके लोग मारने-पीटने को आ जाते हैं। 

    राज्य आंदोलनकारी प्रभात ध्यानी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हरीश रावत के आने के बाद से प्रदेश में माफिया राज हावी हो गया है। माफिया के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लिए जा रहे हैं। रावत को सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। एसटीएच के जे वार्ड में भर्ती ध्यानी ने बुधवार को रावत सरकार पर जमकर आरोप लगाए। बोले, हमला करने वालों ने कहा कि वे ही सरकार है और वे ही प्रशासन हैं, सरकार और प्रशासन हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती। ध्यानी ने कहा कि मुख्यमंत्री हरीश रावत एवं पूर्व विधायक रंजीत सिंह रावत से माफिया और क्रशर स्वामी सोहन सिंह ढिल्लन की बीजापुर गेस्ट हाउस में मुलाकात हुई थी। उन्होंने कहा कि एसडीएम, सीओ और कोतवाल को अपने ऊपर होने वाले हमले का अंदेशा जता दिया था, मगर किसी ने भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया।

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    मंगलवार को गड्ढे भरकर डंपर के लिए रास्ता बनाने पहुंचे एसडीएम ने साफ शब्दों में कहा कि हम दबाव में हैं। ध्यानी ने कहा कि वार्ता के दौरान एसडीएम ने एक सप्ताह के भीतर गूल, खेत और रास्ते का नापजोख कराने का लिखित आश्वासन दिया था। मंगलवार को गड्ढे भरने के दौरान खनन माफिया के पांच सौ लोग बाइकों पर सवार होकर आए थे। उन्होंने कहा कि ढिल्लन और उनके साथियों के खिलाफ एक मई 2013 की घटना में जो मुकदमे दर्ज हैं, उन्हें वापस लेने की सरकार तैयारी कर रही है। आरोप लगाया कि सरकार ने हरिद्वार में भी कई खनन माफिया पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ध्यानी ने कहा कि माफियाराज के खिलाफ फिर एकजुट होना पड़ेगा।

    वीरपुर लच्छी गांव बुक्सा जनजाति के लोगों के अनुसार स्टोन क्रशर, खनिज भंडारण करने से उनकी जिंदगी से खुशियां ही गायब हो गई। स्टोन क्रशर करीब छह साल से चल रहा है और तभी से गांव में रिश्ते आना काफी कम हो गए हैं। वीरपुर लच्छी गांव में लोगों को रिश्ते मिलने दुर्लभ हो गये हैं।  गांव के मोहन सिंह कहते हैं कि रिश्ता मिलना ही मुश्किल हो गया है। लोग डंपर, शोर के कारण रिश्ता करने से इंकार कर रहे हैं। गांव वालों के अनुसार यहां पर सबकुछ है, पर लोग हमारे गांव से कटने लगे हैं। मान सिंह कहते हैं कि घर के आंगन तक में जाने में खतरा लगने लगा है। डंपर की टक्कर से ही उनका हाथ तक टूट गया। फूलवती देवी कहते हैं कि हमारा सुख, चैन डंपरों ने छिन लिया है। 

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    हमलावरों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर राज्य आंदोलनकारी सम्मान परिषद के अध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में रामनगर में आंदोलनकारियों एवं ग्रामीणों की बैठक हुई। राज्य आंदोलनकारियों ने कहा कि प्रभात ध्यानी पर हमला करने वाले सभी नामजदों की 72 घंटे में गिरफ्तार नहीं होने पर सत्याग्रह किया जाएगा। धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि जरूरत पड़ने पर पद छोड़कर सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे। सत्याग्रह आंदोलन की रणनीति बनाने के बाद धीरेंद्र प्रताप एसटीएच में भर्ती राज्य आंदोलनकारी प्रभात ध्यानी की कुशलक्षेम पूछने गए। उन्होंने कहा कि राज्य आंदोलन के दौरान दोनों ने पुलिस की लाठियां खाई थीं, यह हमला ध्यानी पर नहीं उन पर हुआ है। ध्यानी से बात करते-करते सिंह भावुक हो गए। बोले, आंदोलनकारियों पर इस तरह के हमले के बाद पद पर बने रहने का कोई मतलब नहीं है। ध्यानी पर हमला करने वाले सभी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए मुख्यमंत्री, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष समेत अन्य बड़े नेताओं से बात की जाएगी।

    इधर, प्रेस क्लब अध्यक्ष बीसी सिंघल की अध्यक्षता में रुद्रपुर में हुई बैठक में प्रभात और मुनीष पर किए गये हमले की घोर निंदा करते हुए निर्णय लिया गया कि 4 अप्रैल को डीएम से मिलकर विरोध प्रकट किया जाएगा और आगे आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी। बैठक में सामाजिक कार्यकर्ता मुकुल, अमर सिंह, एपी भारती, महेश चंद्र पंत, प्रताप सिंह सहित अनेक लोग शामिल थे।

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