Manish Srivastava : यूपी के शेर आईएफएस को आखिरी सलाम… मन आज बहुत दुखी है। यूपी की नौकरशाही ने भ्रष्टों से लोहा लेने वाले एक जिंदादिल शेर आईएफएस एके जैन को खो दिया। दो दिन पहले ही बात हुई थी कि ”मनीष तुम आये क्यों नहीं मिलने”। मैंने बोला- ”सर कुछ बुखार सा लग रहा है, जल्द ही आता हूँ। अब तो आप लखनऊ में ही रहेंगे।”
उधर से वे बोले- ”बेटा जवानी में बुखार से डरते हो। आओ तुम्हे इस बार बड़ा मसाला देता हूँ”। लेकिन इस मुलाकात की कसक दिल में लिए ही जैन सर दुनिया से विदा हो गए। आज ही उत्तरप्रदेश के अपर प्रधान वन संरक्षक व लखनऊ में जायका के डायरेक्टर वरिष्ठ आईएफएस एके जैन की कार सुबह शाहजहांपुर के तिलहर में एक ट्रक से टकराई और जिंदगी ने उनका साथ छोड़ दिया। एक बारगी तो मुझे सहसा विश्वास ही नहीं हुआ और मन में ख्याल आया कहीं जानबूझकर कोई साज़िश तो नहीं हो गयी। फिर तिलहर सीओ से विस्तार से बात की। वे बोले ये एक सड़क दुर्घटना ही है।
वरिष्ठ पत्रकार साथी गोलेश स्वामी सर से नम्बर लेकर जब मैंने एके जैन सर के भाई से बात की तो वाकई उन्होंने कुछ चौकाने वाले तथ्य बताये हैं जिससे ये प्रथम दृष्टया बेहद संदिग्ध प्रकरण बन रहा है। कुछ भी सम्भव है क्योंकि सिर्फ उन्ही की मौत हुई और बाकी अर्दली और ड्राइवर सिर्फ घायल हैं। सुनियोजित साज़िश के तहत हत्या की प्रबल आशंका है। इस बेहद संगीन प्रकरण की जांच किसी निष्पक्ष एजेंसी से कराई जानी चाहिए। कुछ और जानकारी के बाद मैं पूरे तथ्य पोस्ट करूंगा।
मुझे इतने जिंदादिल अफसर का यूं हादसे का शिकार होना अंदर से कचोट रहा है। मौके पर न होने के कारण कुछ और कर भी क्या सकता था। जैन सर अब इस दुनिया से रुखसत हो चुके हैं, यही अकाट्य सत्य सामने था। क्या कहूँ। खबरों के संसार से शुरू होते-होते जैन सर मानो ह्रदय में उतर गए थे। बतौर युवा पत्रकार मुझे उनका अपने ही सिस्टम से लड़ने का माद्दा बेहद पसंद था। बेबाकी ऐसी कि पूछिये मत। उनकी अकस्मात मौत से मुझे गहरा धक्का लगा।
गत वर्ष आगरा के चीफ कंजर्वेटर रहते इसी ईमानदार और बेबाक आईएफएस ने यूपी के महाभ्रष्ट व तत्कालीन अपर मुख्य सचिव वन संजीव सरन को बेनक़ाब करते हुए एक कर्रा पत्र सरकार को लिखा था जिसमे 4000 करोड़ से ऊपर के घोटाले के आरोपी संजीव सरन के प्रमोशन से लेकर नोटबन्दी के दौरान वन विभाग के ही बैरियर से करोड़ों की उनकी अवैध करेंसी को नई नगदी में बदलवाने और विदेशों में काली कमाई से खड़े किए गए होटलों का पूरा सिजरा था। लेकिन सरकार ने आईएएस संजीव सरन के खिलाफ जांच व कार्रवाई करने के बजाय एक ईमानदार आईएफएस जैन को ही प्रतीक्षारत कर दिया।
अपने ही महकमे के सबसे शीर्ष अफसर के भ्रष्टाचार को उजागर करने का जिगरा कुछ ही लोग रखते हैं। खैर भ्रष्टाचार का खुलासा करना उनका सबसे प्रिय शौक था। उन्होंने ही सोनभद्र में हज़ारों करोड़ के वन भूमि समेत पूरे प्रदेश में बड़े वन घोटालों को उजागर किया। जिसका खामियाजा भी इस ईमानदार अफसर को भुगतना पड़ा। जब मैंने संजीव सरन के खिलाफ खबर के लिए जैन सर से बात की तो ये प्रकरण वाकई अरबों की काली कमाई और मनीलांड्रिंग का लगा। जिसके पूरे साक्ष्य भी उनके पास थे। उन्होंने बोला मनीष चाहे आप जितना लिख लो। सरकार कुछ नहीं करेगी।
उसके बाद मैंने संजीव सरन के भ्रष्टाचार पर कई स्टोरियां उनके सहयोग से की। जैन सर हमेशा हौसलाअफजाई और मेरा साथ देते रहे। वो मानो पूरा जंगल महकमा अपनी जेब मे रखते थे। आगरा का भ्रष्ट डीएफओ केके सिंह फर्जी तरीके से कैसे नियुक्ति पाकर आईएफएस बन गया, इसकी जांच करके सीबीआई जांच की सिफारिश उन्होंने ही की थी। लेकिन सरकार में बैठे संजीव सरन ने पूरी फाइल मोटा पैसा लेकर दफन करा दी। शासन में तमाम आईएफएस अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के संगीन मामलों की जांचें लंबित थी, जिसके भी साक्ष्य जैन सर के पास थे।
सरकार भी जानती थी कि ये अफसर पूरे महकमे की बखिया उधेड़ सकता है, इसलिए साइडलाइन ही रखा। पिछले महीने की शुरुआत में कई आईएफएस अफसरों संग एके जैन सर का तबादला सीधे लखनऊ में जायका के चीफ प्रोजेक्ट डायरेक्टर के पद पर हुआ तो उन्होंने तुरन्त फोन किया। मुझे भी बेहद खुशी थी कि अब यूपी के एक बेहद ईमानदार अफसर से जल्द ही भेंट होगी। मुझसे बोले बेटा पता नहीं कैसे सरकार ने जायका में भेज दिया। मैं तो आगरा में ही रहना चाहता था, ”बेटी है नोएडा में। थोड़ा आसानी हो जाती है।”
खैर मैं भी इधर अपने करियर की उथल पुथल के पीछे जैन सर के पास न जा सका। दो दिन पहले उन्होंने मुझे फोन करके कहा ”मनीष बेटे, तेरे से मिलने की बड़ी तमन्ना है। शुक्ला जी की डेथ पर भी नहीं आ सका।” मुझसे बोले- ”यार मिल लो जिंदगी फिर न मिलेगी दुबारा”। उन्हें शेर कहने का भी बड़ा शौक था। मुझे हंसी आ गयी। मैं बोला पक्का सर दो तीन दिन में आता हूँ, मेरी भी मुलाकात की बड़ी ख्वाहिश है। जैन सर ने कहा- ”आओ तो तुम्हें धमाका देता हूँ, जब मन करे लिख देना।” मैं भी आज कल में उनसे मिल ही लेता। लेकिन मुझे क्या पता था कि दो ही दिन में जिंदगी खुद उन्हें मौत का धमाका देने जा रही है।
यूपी के इस आईएफएस अफसर की रीढ़ की हड्डी बिल्कुल सीधी थी। न पद का लालच न ही वेतन से अतिरिक्त अवैध कमाई की लालसा। जैन सर आपसे मुलाकात की ख्वाहिश अधूरी रहने का अफसोस अब मुझे ताउम्र रहेगा। आपके जैसे ईमानदार आईएफएस को ह्रदय के कण कण से अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि। ईश्वर आपकी आत्मा को शांति और शोकागुल परिजनों को इतना महान दुख सहने की हिम्मत दे। आपकी जिंदादिली के हम कायल है सर। आप वाकई बहुत याद आएंगे क्योंकि देश के ईमानदार अफसर ही हमारे जैसे नौजवान पत्रकारों की न सिर्फ हौसलाअफजाई करते हैं बल्कि प्रेरणा स्त्रोत भी है। आईएफएस एके जैन सर को आखिरी सलाम संग मेरी दो लाइने
कहानी ख़त्म हुई और ऐसी ख़त्म हुई
कि लोग रोने लगे तालियाँ बजाते हुए
अलविदा एके जैन सर….
लखनऊ के खोजी पत्रकार मनीष श्रीवास्तव की एफबी वॉल से.
https://www.youtube.com/watch?v=BnYX-BA4c4E