शासन-प्रशासन ने एक विधवा का जीवन सांसत में डाल रखा है। उर्मिला जायसवाल मौजा खैरूद्दीनगं, शिवाजी नगर, मडि़याहूं की रहने वाली एक गरीब विधवा महिला हैं। उनके पति राम दुलार गुप्ता का नगर पंचायत मडि़याहूं में ट्यूबेवैल ऑपरेटर के पद पर रहते हुए निधन हो चुका है। उसके बाद से उर्मिला को अपनी आजीविका चलाने में बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उर्मिला अपने पति के स्थान पर प्रशासन से नौकरी मांग रही हैं।
उर्मिला बताती हैं कि उनका एक सौतेला बेटा राकेश कुमार उर्फ ननकू एक खूंखार अपराधी किस्म का बिगड़ैल किस्म का इंसान है। वह हमेशा उन्हें मानसिक रूप से प्रताडि़त करता रहता है। कई बार जान से मारने की धमकियां दे चुका है। वह सड़क पर की दुकान अपने पिता से पहले ही ले चुका है, जिसकी कुल कीमत 17 लाख थी। यहां तक कि उसने बाप-दादा की पुश्तैनी जमीन भी हथिया चुका है। अब वह उर्मिला के मकान व अपने पिता की मृत्यु के बाद उनकी नौकरी को हड़पना चाहता है। इसके लिये वह अनेक तरह से षड्यंत्र करता रहता है। उसने कई अधिकारियों को पैसा खिलाकर अपने तरफ कर लिया है।
उर्मिला बताती हैं कि शिकायत करने के बाद भी पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर रही है। एक दिन ननकू उनको मारने के लिये घर का दरवाजा तोड़ रहा था, जिसकी उन्होंने जौनपुर पुलिस अधीक्षक से शिकायत भी की। तहसील में सीओ ने उन्हें बुलाया कि उनसे पूछताछ की जायेगी मगर वे सादे कागज पर उनको डरा धमकाकर हस्ताक्षर करवा लिये, जो यह साबित करता है कि शासन-प्रशासन रिश्वत के दबाव में ननकू से मिला हुआ है। मडि़याहूं की रिश्वतखोर पुलिस के आगे अब वह बेबस और लाचार हैं।
अपने पति राम दुलार गुप्त की मृत्यु के बाद से उर्मिला दर-दर की ठोकरें खा रही हैं लेकिन बड़े दुःख की बात है कि उनके पति के विभाग में काम करने वाले कुछ अधिकारी भी उनकी बेबसी और लाचारी का भरपूर लाभ उठाना चाहते हैं। वे उनके इस दुःखद घड़ी में उनके मृत पति के नौकरी के बदले में लाखों रूपए ऐंठ लेना चाहते हैं। ऐसे ही यहां एक नाम का खुलासा किया जा रहा है जिसे सुनकर कोई भी चौंक जायेगा।
उर्मिला बताती हैं कि नगर पंचायत मडि़याहूं, जौनपुर में बड़े बाबू राधेश्याम श्रीवास्तव हेड क्लर्क के रूप में कार्यरत हैं। वह काफी समय से ननकू से मिले हुए हैं और उसी के प्रभाव में काम कर रहे हैं। राम दुलार की जगह नौकरी पाने, फण्ड, पेंशन आदि में हर तरह से तमाम तरह के रोड़े अटका रहे हैं। उन्हें उनके पति ने भी मरने से पहले बताया था कि राधेश्याम 25000 रिश्वत के तौर पर मांग रहा है। उर्मिला के मुताबिक यह मामला करीब डेढ़-दो साल पुराना है।
इतना ही नहीं, उसने उर्मिला से कहा कि तुम्हारे पति रामदुलार ने मुझसे 25000 रूपये व कुल एक लाख रूपये चार किश्तों में लिये थे अगर तुम हमें चारों किश्त यानी एक लाख रूपये वापस कर दोगी तो हम तुम्हारा सारा काम नौकरी, फण्ड, पेंशन आदि का अविलंब कर देंगे लेकिन उर्मिला के मुताबिक उनके पति कभी किसी से उधार लिये ही नहीं थे। यदि लिये होते तो वे हमें अवश्य बताते।
उर्मिला का आरोप है कि उपरोक्त विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा जानबूझकर यह दबाव बनाया जा रहा है कि वह अपने स्वर्गीय पति की नौकरी न करें। रामदुलार का उनके नगर पंचायत विभाग द्वारा करीब 4 लाख का बीमा कराया गया था लेकिन उसका कोई बॉण्ड नहीं दिया गया। बड़े बाबू राधेश्याम ने उनको अपमानित करने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ी है। कई बार उसने उनको अपशब्द बोले, गंदी गालियां दीं हैं। वह उनके पारिवारिक मामले में भी शुरू से ही हस्तक्षेप करता रहा है।