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उत्तर प्रदेश

योगीराज में अंधेरगर्दी : सौ से ज्यादा शिक्षकों को मनमाने तरीके से लखनऊ में पोस्टिंग दे दी गई!

पंजाब के लुधियाना से एक बड़ी खबर आ रही है. 31 वर्षीय एक महिला शिक्षिका पर यहां एक नाबालिग लड़के का यौन शोषण करने का आरोप लगा है. साथ ही ब्लैकमेल करने का भी मामला है. दोनों ही आरोपों में पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है. पुलिस ने बताया कि महिला शिक्षिका छात्र को ट्यूशन पढ़ाती थी. पुलिस ने बताया कि पीड़ित आठवीं कक्षा का छात्र है और उसका परिवार जिस मकान में किराये पर रहता था, वह आरोपी के पिता का है.

<p>पंजाब के लुधियाना से एक बड़ी खबर आ रही है. 31 वर्षीय एक महिला शिक्षिका पर यहां एक नाबालिग लड़के का यौन शोषण करने का आरोप लगा है. साथ ही ब्लैकमेल करने का भी मामला है. दोनों ही आरोपों में पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है. पुलिस ने बताया कि महिला शिक्षिका छात्र को ट्यूशन पढ़ाती थी. पुलिस ने बताया कि पीड़ित आठवीं कक्षा का छात्र है और उसका परिवार जिस मकान में किराये पर रहता था, वह आरोपी के पिता का है.</p>

अजय कुमार, लखनऊ

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भले ही साफ-सुथरी और सबको न्याय दिलाने का वादा करती हो लेकिन उसके अधिकारी सरकार की मंशा पर पलीता लगाये हुए हैं। ‘पैसे और पहुंच’ के बल पर कई शिक्षकों का अंतर जनपदीय स्तर पर मनमाने ढंग से तबादला करके ‘प्राइम पोस्टिंग’ दे दी गई। वहीं वे शिक्षक-शिक्षिकाएं दर-दर भटक रही हैं, जिनके पास ‘पैसा और पहुंच’ नहीं है। हाल यह है कि तबादला नीति के लिये स्कोरिंग के जो मापदंड तय किये गये थे, उसमें भी खूब खेल हुआ है।

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हद तो तब हो गई जब अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा ने अपने वीआरएस (रिटायरमेंट) लेने से कुछ दिन पूर्व ही बैक डेट में नियमों को दरकिनार करके अपने निजी सचिव अरविंद सिंह की शिक्षक पत्नी अनुराधा का तबादला लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्र से नगरीय क्षेत्र में करा दिया। इसके लिए दिनांक 28.06.18 का आदेश संख्या 1132 / बे0शि0 अनुभाग पांच देखा जा सकता है। जबकि ग्रामीण क्षेत्र से शहर के लिये तबादले पूरी तरह प्रतिबंधित हैं। इस बात का खुलासा जब हुआ तो बेसिक शिक्षा मंत्री ने तुरंत उक्त आदेश के अनुपालन पर रोक लगा दी। इसी प्रकार प्रदेश के अन्य जिलों से लखनऊ आने की चाहत रखने वाले एक सौ से अधिक शिक्षिकों को निर्धारित मापदंडों को दरकिनार कर मनमाने तरीके से लखनऊ में पोस्टिंग दे दी गई।

बेसिक शिक्षा विभाग ही नहीं, प्राथमिक शिक्षिकों को मनमानी पोस्टिंग देने में मुख्यमंत्री कार्यालय भी अछूता नहीं रहा है। आनलाइन तबादला प्रक्रिया अपनाने से पहले ही 8 शिक्षकों का राजनैतिक दबाव में ‘आफलाइन’ ही तबादला कर दिया गया। इन तबादलों ने मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरी थीं। दरअसल, बेसिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव एस0 राजलिंगम् ने मार्च महीने में ही मुख्यमंत्री कार्यालय का अनुमोदन लेकर राजनैतिक दबाव वाले आठ शिक्षकों का मनचाही जगह स्थानांत्तरण कर दिया था।

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बेसिक शिक्षा विभाग में तबादले के नाम पर किस तरह का खेल हुआ, इसकी बानगी देखना हो तो उन आठ जिलों का उल्लेख जरूरी है जहां केन्द्र सरकार के एक आदेश का हवाला देकर शिक्षिकों के तबादलों पर ही रोक लगा दी गई। गौरतलब हो केन्द्र सरकार ने यूपी के आठ जिलों शामली, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती, बहराइच, सोनभद्र, चंदौली, फतेहपुर, चित्रकूट और बलरामपुर को विकास की दृष्टि से पिछड़ा घोषित कर रखा है। इसी की आड़ लेकर बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने मनमाना रवैया अख्तियार करते हुए उक्त जिलों के शिक्षकों के तबादलों पर ही रोक लगा दी। यह तब हुआ जबकि अन्य विभागों ने इन जनपदों में तैनात अपने अधिकारियों / कर्मचारियों के खूब तबादले किए।

बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने आफलाइन तबादलों मे तो खेल किया ही आनलाइन प्रक्रिया में भी जमकर गड़बड़ियां की। शिक्षकों के अंतर जनपदीय आनलाइन तबादला प्रक्रिया के पीछे मकसद यही था कि पूरी प्रक्रिया में पारर्दिशता दिखे, लेकिन अधिकारियों द्वारा इसको भी गोपनीय बना दिया गया। हालात यह हुए कि एक शिक्षक को यह नहीं पता चल पाया कि उसका तबादला क्यों नहीं हो पाया और दूसरे का क्यों हो गया? तबादलों में मनमानी के इस खेल का खुलासा तब हुआ जब मिर्जापुर के बीएसए ने जिले के शिक्षकों से कहा कि जिनका तबादला हुआ है, वह सभी अपना विवरण उनके वाट्सअप पर भेजें जिससे संबंधित शिक्षकों का सत्यापन किया जा सके।

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तब पता चला कि मिर्जापुर के एक पूर्व माध्यमिक विद्यालय कनकसरांय के विकलांग शिक्षक का तबादला करने की बजाये उसी स्कूल की महिला शिक्षक का तबादला मनचाही जगह वाराणसी सिर्फ इस आधार पर कर दिया गया क्योंकि वह रसूख वाली थी। उसके ससुर बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर दबाव बनाने में कामयाब रहे थे। उक्त प्रकरण जब बेसिक शिक्षा मंत्री के संज्ञान में लाया गया तो उन्होंने अपर मुख्य सचिव को जांच के आदेश दे दिए। इसके बाद तो इस तरह की सैकड़ों शिकायतें सामने आना शुरू हो गई।

इसी बीच एक और नया खुलासा यह भी हुआ कि तबादले के लिये बनाये गये नियमों को तोड़कर कई शिक्षिकों की स्कोरिंग बढ़ा दी गई, ताकि उनको तबादले में प्राथमिकता मिल सके। स्कोरिंग बढ़ाने के काम में एडी बेसिक, बीएसए और नेशनल इंफारमैटिक सेंटर यानि एनआईसी (आनलाइन तबादला प्रक्रिया संचालित करने वाली संस्था) पर आरोप लग रहे हैं. इसी गड़बडी़ के सहारे लखनऊ में ही तमाम जिलों के सौ के करीब शिक्षिकों को यहां नगरीय क्षेत्र में समायोजित कर दिया गया था, इसमें खासकर जिला सीतापुर के दो-तीन ब्लाकों के शिक्षकों की अच्छी खासी संख्या थी।

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अपर मुख्य सचिव के निजी सचिव की पत्नी के स्थानांतरण वाले प्रकरण में बेसिक शिक्षा मंत्री ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद को निर्देशित किया है कि इस आदेश का अनुपालन रोकते हुए सम्पूर्ण प्रकरण की जांच की जाये। बताते चलें कि निजी सविच के बारे में चर्चा है कि उनका लखनऊ के शारदा नगर योजना में आलीशान बंगला भी बन रहा है।

लेखक अजय कुमार लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं.

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