मजीठिया मामले में डीएलसी के खिलाफ वारंट के आदेश से श्रम विभाग में मचा हड़कंप….
उत्तर प्रदेश के बरेली से बड़ी खबर आ रही है। तीन क्लेमकर्ताओं की सेवा समाप्ति के आदेश को रद्द कर एक सप्ताह में समस्त बकाया अदा करने का आदेश देने वाले बरेली के उपश्रमायुक्त रोशन लाल गुरुवार को याचिका पर सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट में ना तो स्वयं पेश हुए और ना ही स्टैंडिंग काउंसिल को विभाग या राज्य सरकार का पक्ष भेजा। इस पर नाराजगी जताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने बरेली डीएलसी के खिलाफ वारंट जारी कर दिया। अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी।
मजीठिया मामले में बरेली के उपश्रमायुक्त के समक्ष हिन्दुस्तान के वरिष्ठ उपसंपादक राजेश्वर विश्वकर्मा, मनोज शर्मा, निर्मल कांत शुक्ल, चीफ रिपोर्टर पंकज मिश्रा ने धारा 17(1)के तहत माह फरवरी’17 में केस किया था।
मालूम हो कि बरेली में 31मार्च’17 को डीएलसी के स्तर से हिंदुस्तान के चीफ रिपोर्टर पंकज मिश्रा के पक्ष में 25,64,976 रूपये, सीनियर कॉपी एडिटर मनोज शर्मा के पक्ष में 33,35,623 रूपये और सीनियर सब एडिटर निर्मलकांत शुक्ला के पक्ष में 32,51,135 रूपये की वसूली के लिए हिन्दुस्तान बरेली के महाप्रबंधक/यूनिट हेड और स्थानीय संपादक के नाम आरसी जारी हो चुकी है।
आरसी जारी होने बौखलाकर हिन्दुस्तान प्रबंधन ने क्लेमकर्ताओं के विरुद्ध मनमानी जांच बैठा दी और सेवाएं समाप्त कर दीं, तो मजिठिया क्रांतिकारी मनोज शर्मा, राजेश्वर विश्वकर्मा, निर्मल कांत शुक्ला ने उपश्रमायुक्त से शिकायत की कि हिन्दुस्तान प्रबन्धन मजिठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन-भत्तों व एरियर का उनके निर्णय व आदेश के क्रम में लाखों का भुगतान न करके उनका उत्पीड़न करने पर उतारू है। विधि विरुद्ध डोमेस्टिक जांच बैठा दी ताकि दबाव बनाया जा सके। मनमानी कार्रवाई व धमकियां दी जा रही हैं। ना तो वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट और ना ही माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन किया जा रहा है।
इस शिकायत पर 30 दिसंबर को डीएलसी ने कंपनी की कार्रवाई को अवैधानिक घोषित कर तीनों शिकायतकर्ताओं को एक सप्ताह के अंदर कार्य पर वापस लेते हुए उनके समस्त ड्यूज अदा करने के आदेश दिए।
हिन्दुस्तान प्रबंधन ने डीएलसी के उस आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी जिसमें कंपनी को तीनों कर्मचारियों को काम पर वापस लेने का आदेश दिया। हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कंपनी के पक्ष में स्टे नही दिया। हाईकोर्ट ने 15 मई को अदालत में मौजूद असिस्टेंट स्टैंडिंग काउंसिल, एडिशनल अटार्नी जनरल को निर्देश दिए कि वह श्रम विभाग से निर्देश मंगवाएं और अगली तिथि 24 मई को बरेली के डीएलसी स्वयं अदालत में मौजूद रहेंगे।
गुरुवार को हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने असिस्टेंट स्टैंडिंग काउंसिल से पूछा कि लेबर डिपार्टमेंट से प्राप्त निर्देशों से अवगत कराया जाय। असिस्टेंट स्टैंडिंग काउंसिल ने उपश्रमायुक्त बरेली द्वारा कोई भी निर्देश प्राप्त ना होना बताया।
तब न्यायमूर्ति ने पूछा- क्या डीएलसी बरेली आज अदालत में उपस्थित हैं। अदालत में डीएलसी बरेली की नामौजूदगी पर न्यायमूर्ति ने काफी नाराजगी जताते हुए उनके (डीएलसी बरेली) खिलाफ वारंट जारी करने का फरमान जारी कर दिया।
अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी।
बरेली के उपश्रमायुक्त रोशन लाल के खिलाफ वारंट जारी होने की खबर अदालत से बाहर आते ही उत्तर प्रदेश के श्रम विभाग के अफसरों में हड़कंप मच गया है। ये पहला मामला है, जब मजीठिया प्रकरण में यूपी में लेबर विभाग के किसी बड़े अफसर के खिलाफ हाईकोर्ट ने वारंट जारी कर दिए हैं।
Madan kumar tiwary
May 25, 2018 at 2:15 am
plz provide me details of justice Manoj mishra, it is not only shocking rather ridiculous that a justice act I. such irresponsible manner, I have taken serious note of this and may write a letter in the capacity of legal professional belonging from same fraternity .Details means, his date of appointment, whether he is promoted or selected by collegium , any controversy surrounding his judicial activities .etc .