Himanshu Kumar : कल पत्रकार विश्वदीपक को गिरफ्तार करने महाराष्ट्र की पुलिस दिल्ली आई. पत्रकार विश्वदीपक पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने जेल में बंद दिल्ली विश्वविद्यालय के विकलांग प्रोफेसर जीएन साईं बाबा की रिहाई की मांग के लिए करी जाने वाली एक पत्रकार वार्ता के लिए दिल्ली प्रेस क्लब बुक करवाने के लिए अपना नाम दिया था.
प्रेस क्लब का नियम है कि अगर किसी भी संगठन या आन्दोलन के लोगों को प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता करनी होती है तो किसी जान पहचान के ऐसे पत्रकार के हस्ताक्षर ज़रूरी होते हैं जो प्रेस क्लब का मेम्बर हो मुझे याद है जब पुलिस ने सात फर्जी मामले बना कर सोनी सोरी को जेल में डाला था तो हम भी सोनी सोरी की रिहाई के लिए दिल्ली में प्रेस वार्ता करते थे उस समय हमारे जान पहचान के पत्रकार हमारी बुकिंग के फ़ार्म पर आराम से दस्तखत कर देते थे.
कांग्रेस की सरकार थी हमारी लड़ाई मनमोहन सिंह और गृह मंत्री चिदम्बरम से थी क्योंकि हम मानते थे कि ये लोग कार्पोरेट के लिए आदिवासियों की ज़मीनें छीन रहे हैं और सोनी सोरी जैसे आदिवासी नेता उसके खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं इसलिए सोनी सोरी को खामोश करने के लिए सरकार ने सोनी सोरी और उनके पत्रकार भतीजे लिंग कोडोपी को जेल में डाला है. लेकिन कभी पुलिस ने हमें या हमारे लिए प्रेस क्लब बुक करने में मदद करने वाले किसी पत्रकार को जेल में नहीं डाला.
अंत में सोनी सोरी जेल से बाहर आयीं उन्होंने संसद का चुनाव लड़ा। आज वे देश की जानी मानी मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं उन्हें फ्रंट लाइन डिफेंडर संस्था ने एशिया से इस वर्ष के साहस पुरस्कार के लिए चुना है. इसी तरह दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जीएन साईं बाबा आदिवासियों की ज़मीनें छीनने के लिए किये जाने वाले सरकारी दमन के खिलाफ लिखते और बोलते थे. प्रोफेसर जीएन साईं बाबा विकलांग हैं और व्हील चेयर के बिना चल फिर नहीं सकते. सरकार ने उन्हें नक्सली कहा और जेल में डाल दिया. निचली अदालत ने उन्हें विकास में बाधा पहुंचाने वाला कह कर उन्हें उम्र कैद की सज़ा दे दी. कानून के जानकार जानते हैं कि बिना सबूतों के दी गई यह सज़ा ऊपरी अदालत में नहीं टिकेगी. सबसे पहले तो सरकार ने जीएन साईं बाबा का मुकदमा लड़ने वाले वकील को पकड़ कर जेल में डाल दिया.
फिर जीएन साईं बाबा की रिहाई की मांग करने के लिए करी जाने वाली पत्रकार वार्ता के लिए प्रेस क्लब बुक करने में मदद करने वाले पत्रकार के ऊपर राजद्रोह या फिर उसी तरह की गंभीर धाराओं से जुड़े केस ठोकने की तैयारी शुरू हो गयी है। इस सिलसिले में पुलिस को पूना से दिल्ली भेज दिया गया। ये सब हो क्या रहा है? क्या सरकार पागल हो गई है? क्या लोग अबसे पत्रकार वार्ता नहीं कर सकते? क्या भाजपा सरकारें भगवान ने बनाई हैं? क्या जनता अब भाजपा सरकार के कामों का विरोध नहीं कर सकती? क्या भाजपा सरकार का विरोध करना राष्ट्रद्रोह है? यह देश क्या खो रहा है इसका आपको अंदाज़ा नहीं है। आप अपना लोकतंत्र, अपनी आज़ादी, अपनी आवाज़ अपनी अंतरात्मा खो रहे हैं।
आपके सामने गरीबों को आदिवासियों को मारा जाएगा, मजदूरों को लूटा जाएगा, गरीब को उजाड़ा जाएगा, दलित को पीटा जाएगा लेकिन आप बोल नहीं सकेंगे। आप बोलेंगे तो आपको देशद्रोही जेएनयू वाला, कांग्रेसी, वामी कह कर पीटा जाएगा, जेल में डाल दिया जाएगा, डरा दिया जाएगा। जिस आज़ादी, लोकतंत्र और जनता की ताकत को आज़ादी की लड़ाई और उसके बाद साठ सालों में जनता ने हासिल किया था उसे आप एक झटके में गँवा देंगे। आप सोचेंगे कि आप मोदी जी को इसलिए समर्थन दे रहे हैं क्योंकि उन्होंने मुल्लों को टाईट कर दिया।
लेकिन असलियत में मोदी जी आपको ही टाईट कर रहे हैं। आप इतने टाईट हो जायेंगे कि सरकार के खिलाफ सोचने में आपकी रूह कांपेगी। सोचिये आप अपने बच्चों को कितना डरावना माहौल देकर मरेंगे।
मानवाधिकार कार्यकर्ता हिमांशु कुमार की एफबी वॉल से.
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