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उत्तर प्रदेश

दैनिक जागरण में कार्यरत रहे मजीठिया योद्धा सुधांशु श्रीवास्तव का हार्ट अटैक से निधन

सुधांशु श्रीवास्तव

उत्तर प्रदेश के जनपद शाहजहांपुर में मजीठिया योद्धा सुधांशु श्रीवास्तव का हार्ट अटैक से निधन हो गया। वे करीब 57 वर्ष के थे। सुधांशु दैनिक जागरण, बरेली में कार्यरत थे और मजीठिया के मुद्दे पर वर्ष 2012 से लेबर कोर्ट, बरेली में मुकदमा लड़ रहे थे। उनका मुकदमा बरेली लेबर कोर्ट में लंबित है, जिसमें शुक्रवार 6 दिसम्बर को सुनवाई की तिथि नियत थी। उनका शुद्धि हवन 7 दिसम्बर को उनके खिरनीबाग, शाहजहांपुर स्थित निवास पर होगा।

बताते हैं कि सुधांशु श्रीवास्तव बुधवार को दोपहर में घर पर अकेले थे, उनकी पत्नी मधुरिमा श्रीवास्तव जोकि आर्य कन्या इंटर कॉलेज शाहजहांपुर में शिक्षिका हैं, वह कॉलेज गई हुई थीं, जब अपराहन तीन बजे वह कालेज से लौटी तो बेल बजाने पर दरवाजा नहीं खुला, तब उन्होंने सुधांशु श्रीवास्तव के मोबाइल पर घंटी की। मोबाइल की घंटी बजती रही लेकिन कॉल रिसीव ना होने पर अनहोनी की आशंका में उनका माथा ठनका। मोहल्ले में रहने वाले एक लड़के को बुलाकर उसे बाउंड्री पार कराकर घर के अंदर प्रवेश कराया, तब किसी तरह अंदर से बंद दरवाजे की कुंडी खुली तो सुधांशु श्रीवास्तव बेड पर पड़े मिले।

आनन-फानन में उनको चिकित्सक के यहां ले जाया गया लेकिन चिकित्सक ने उनकी कुछ देर पहले ही हार्ट अटैक से मौत हो जाना बताया। सुधांशु श्रीवास्तव ने करीब डेढ़ साल पहले लखनऊ में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के लारी हार्ट सेंटर में हार्ट की बाईपास सर्जरी कराई थी। उनके दो बच्चे हैं। बेटा और बेटी दोनों ही दिल्ली में जॉब करते हैं।

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शाहजहांपुर में वह व उनकी पत्नी दो ही लोग रहते थे। सुधांशु श्रीवास्तव बरेली में दैनिक जागरण की यूनिट लगने के समय से ही कार्यरत थे। मजिठिया के चलते उनका प्रबंधन से टकराव हो गया तो प्रबंधन ने उनका स्थानांतरण पंजाब कर दिया तो वह गए नहीं और जागरण पर श्रम न्यायालय में केस ठोंक दिया।

सुधांशु कुछ समय दैनिक जागरण के शाहजहांपुर, पीलीभीत व बदायूं ब्यूरो में भी कार्यरत रहे। वह अधिक समय तक दैनिक जागरण के बरेली यूनिट कार्यालय पर डेस्क पर कई संस्करणों के प्रभारी रहे। वे मूल रूप से लखनऊ के रहने वाले थे लेकिन कई दशकों से शाहजहांपुर में स्थाई रूप से रह रहे थे।

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उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन, बरेली मंडल बरेली के अध्यक्ष निर्मल कान्त शुक्ल ने शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि बहुत ही दुख भरी खबर है। यकीन ही नहीं हो रहा है कि हम सबके प्रिय सुधांशु जी अब हमारे बीच नहीं है। जन्म और मृत्यु इस सृष्टि (प्रकृति) का नियम है। जिसका जन्म हुआ है, उसकी मृत्यु निश्चित है।

कुछ लोग मर तो जाते हैं पर उनके विचार हमेशा जिन्दा रहते हैं और उनके किये कार्य दूसरों के लिए प्रेरणा बना जाता है। होनी को कौन टाल सकता हैं, ईश्वर की इच्छा के सामने इंसान बेबस होता है। मृत्यु सत्य है और शरीर नश्वर हैं, यह जानते हुए भी अपनों के जाने का दुःख होता है।

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हम सभी को ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि दिवंगत की आत्मा को शांति और मोक्ष प्रदान करें।अच्छे लोग दिलों में इस तरह उतर जाते हैं कि मरने के बाद भी अमर हो जाते हैं। सुधांशु जी के निधन से पत्रकार जगत को न सिर्फ गहरा दुःख हुआ बल्कि यह हम सभी के लिए एक अपूरणीय क्षति है। वक्त के साथ जख्म तो भर जायेंगे, मगर जो बिछड़े सफर जिन्दगी में फिर ना कभी लौट कर आयेंगे। मजीठिया योद्धा निर्भय सक्सेना, रमेश चंद रॉय, अरुण द्विवेदी ने सुधांशु श्रीवास्तव के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए उनको श्रद्धांजलि अर्पित की।

बरेली से वरिष्ठ पत्रकार निर्मलकांत शुक्ला की रिपोर्ट.

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