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सुख-दुख

जिसने किया महिला टीचर का सम्मान तार-तार, उसे मिला रामनाथ गोयनका सम्मान

Vineet Kumar : जी न्यूज के दागदार संपादक सुधीर चौधरी को 16 दिसंबर 2012 में हुए दिल्ली गैंगरेप की पीडिता के दोस्त का इंटरव्यू करने के लिए साल 2013 का रामनाथ गोयनका सम्मान दिया गया. ये सम्मान सुधीर चौधरी के उस पत्रकारिता को धो-पोंछकर पवित्र छवि पेश करती है जिसके बारे में जानने के बाद किसी का भी माथा शर्म से झुक जाएगा. पहली तस्वीर में आप जिस महिला के कपड़े फाड़ दिए जाने से लेकर दरिंदगी के साथ घसीटने,बाल नोचने के दृश्य दे रहे हैं, ये शिक्षक उमा खुराना है. इन पर साल 2007 में लाइव इंडिया चैनल ने स्टिंग ऑपरेशन किया और लोगों को बताया कि ये महिला शिक्षक जैसे पेशे में होकर छात्राओं से जिस्मफरोशी का धंधा करवाती है. चैनल ने इस पर लगातार खबरें प्रसारित की.

Vineet Kumar : जी न्यूज के दागदार संपादक सुधीर चौधरी को 16 दिसंबर 2012 में हुए दिल्ली गैंगरेप की पीडिता के दोस्त का इंटरव्यू करने के लिए साल 2013 का रामनाथ गोयनका सम्मान दिया गया. ये सम्मान सुधीर चौधरी के उस पत्रकारिता को धो-पोंछकर पवित्र छवि पेश करती है जिसके बारे में जानने के बाद किसी का भी माथा शर्म से झुक जाएगा. पहली तस्वीर में आप जिस महिला के कपड़े फाड़ दिए जाने से लेकर दरिंदगी के साथ घसीटने,बाल नोचने के दृश्य दे रहे हैं, ये शिक्षक उमा खुराना है. इन पर साल 2007 में लाइव इंडिया चैनल ने स्टिंग ऑपरेशन किया और लोगों को बताया कि ये महिला शिक्षक जैसे पेशे में होकर छात्राओं से जिस्मफरोशी का धंधा करवाती है. चैनल ने इस पर लगातार खबरें प्रसारित की.

नतीजा ये हुआ कि दिल्ली के तुर्कमान गेट पर बलवाईयों ने इस महिला को घेर लिया..कपड़े फाड़ दिए और मार-मारकर बुरा हाल कर दिया. पुलिस की सुरक्षा न मिली होती तो इस महिला की जान तक चली जाती. बाकी देश के लाखों लोगों की निगाह में ये शिक्षक ऐसी गुनाहगार थी जिसका फैसला लोग अपने तरीके से करने लग गए थे. लेकिन जल्द ही पता चला कि चैनल के रिपोर्टर प्रकाश सिंह ने कम समय में शोहरत हासिल करने के लिए जिस स्टिंग ऑपरेशन को अंजाम दिया था वो पुरी तरह फर्जी है. उस वक्त चैनल के प्रमुख यही सुधीर चौधरी थे और उन्होंने अपने रिपोर्टर को क्रिमिनल बताते हुए साफ-साफ कहा कि इसने हमें धोखे में रखा और इस खबर की हमें पहले से जानकारी नहीं थी. चैनल एक महीने तक ब्लैकआउट रहा. प्रकाश सिंह थोड़े वक्त के लिए जेल गए..फिर छूटकर दूसरे न्यूज चैनल और आगे चलकर राजनीतिक पीआर में अपना करिअर बना लिया और इधर खुद सुधीर चौधरी तरक्की करते गए.

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इस फर्जी स्टिंग ऑपरेशन के देखने के बाद जनता ने शिक्षक उमा खुराना के साथ जो कुछ भी किया, उसकी कोई भरपाई नहीं हुई..अब वो कहां हैं, क्या करती हैं, किस हालत में है इसकी मीडिया ने कभी कोई खोजखबर नहीं ली लेकिन अब जबकि सुधीर चौधरी को महिलाओं के सम्मान के लिए ये अवार्ड मिला है तो कोई जाकर उनसे अपने चिरपरिचत अंदाज में पूछे कि आपको ये खुबर सुनकर कैसा लग रहा है तब आपको अंदाजा मिल पाएगा कि महिलाओं का सम्मान कितना बड़ा प्रहसन बनकर रह गया है. बाकी जी न्यूज के इस दागदार संपादक पर बोलने का मतलब देशद्रोही होना तो है ही. ‪

कथित दलाली मामले में जेल जा चुके संपादक को मिला रामनाथ गोयनका सम्मान… एक तरफ कथित दलाली मामले में जेल जा चुके ज़ी न्यूज़ के दागदार संपादक सुधीर चौधरी को भारतीय पत्रकारिता का सर्वश्रेष्ठ रामनाथ गोयनका सम्मान मिला है तो दूसरी तरफ हर साल की तरह मेरे उन दोस्तों को जो मीडिया में रहते हुए मेनस्ट्रीम मीडिया के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करते रहे हैं. कायदे से तो ऐसे दागदार संपादक पर हमें बात करनी छोड़ देनी चाहिए. भई जिसे देश की एक बड़ी जमात उसे राष्ट्रवादी मीडियाकर्मी मानकर सम्मान से डीएनए शो देखती है तो दूसरी तरफ खुद मीडिया के भीतर के लोग उन्हें पुरस्कार से नवाजते हैं.लेकिन इन सबके बीच मेरे दिमाग में एक सवाल तो बार-बार उठता ही है- क्या पुरस्कार चयन समिति में वो मीडियाकर्मी भी शामिल रहे हैं जिन्होंने 100 करोड़ की कथित दलाली मामले में कभी सौ सुधीर चौधरी का विरोध किया था? बाकी ब्रांड के मेकओवर के लिए रामनाथ गोयनका अवार्ड तो असरदार विम लिक्विड है ही..सारे दाग-धब्बे साफ़

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और हां, रामनाथ गोयनका सम्मान से मोदी और उनकी सरकार को कोई लेना-देना नहीं है… कुछ लोग जी न्यूज के दागदार संपादक सुधीर चौधरी को पुरस्कार दिए जाने पर मोदी सरकार की आलोचना कर रहे हैं. प्लीज ऐसा न करें. इस पुरस्कार से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है. इस तरह की बातें करने से संदर्भ बदल जाते हैं और एक सीरियस बात मजाक में बदल जाती है. ये पुरस्कार इंडियन एक्सप्रेस समूह के संस्थापक रामनाथ गोयनका की याद में उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए दी जाती है और इसका पूरा खर्च समूह अपने ढंग से वहन करता है. हां ये जरूर है कि कार्यक्रम में रौनक लाने के लिए हर साल बड़े पैमाने पर राजनीतिक और सरकार से जुड़े लोगों को आमंत्रित किया जाता है लेकिन इस पुरस्कार के दिए जाने में उनकी कहीं कोई भूमिका नहीं होती.

युवा मीडिया विश्लेषक और ब्लागर विनीत कुमार के फेसबुक वॉल से.

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मूल खबर>

कुलदीप नैयर को लाइफ टाइम अचीवमेंट… इन 56 पत्रकारों को भी मिला रामनाथ गोयनका एवार्ड…

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0 Comments

  1. bhadas

    November 27, 2015 at 12:27 am

    ज़ी ग्रुप की इज्ज़त को पहले तो सुधीर चौधरी ने तार तार किया , अब ज़ी के प्रादेशिक चैनलों का भट्ठा बैठ रहा है , भट्ठा बिठाने वाले दिनेश शर्मा और दलीप तिवारी है जो ज़ी पंजाब और ज़ी एम पी को दस साल पीछे ले गए है , पहले सुधीर चौधरी ने पैसे का लालच दिखा ऐसी तेसी करवा दी , अब दिनेश शर्मा और दलीप तिवारी पैसे की लिए पता नही क्या क्या कर रहे है , परन्तु ज़ी ग्रुप के कर्ता धर्ता सो रहे है ,
    सुभाष चंद्रा जागो , आपके प्रदेशिक चैनलों को आपके चहेते संपादक दिनेश शर्मा और दलीप तिवारी बर्बाद करने पे तुले है | है | क्या दलीप तिवारी ने ज़ी को जो सड़क का ठेका दिलवाया उस कारण ज़ी ने आंखे बंद कर ली |
    – —-
    आशीष पंडित , दिनेश शर्मा और दलीप तिवारी तीनों की दोस्ती और घपले करने के लिए की गई यारी ज़ी ग्रुप को बर्बाद कर रही है , आशीष पंडित को तो सुभाष चंद्रा ने थप्पड़ मार कर निकाल दिया क्योंकि उसका घपला तो सामने आया गया पर दिनेश शर्मा और दलीप तिवारी के लिए ज़ी ग्रुप मौन क्यों है , क्या प्रबंधकों को कुछ दिखाई नही दी रहा , क्या अब तक पता नही चला की तीनों मिल कर घपले कर रहे है , क्या उनको अभी तक यह पता नही चला कि दिनेश शर्मा मिट्टी का माधो है , जो कुछ दलीप तिवारी ज़ी एमपी में करता है वही कुछ दिनेश शर्मा ज़ी पंजाब हरियाणा में करता है , अब तक का चिट्ठा उठा कर देख लो , जो कुछ दलीप तिवारी ने किया वही कुछ दिनेश ने अपने चैनल में लागू किया , साफ़ है कि दिनेश का पाना दिमाग तो है ही नही , चैनल क्या चलेगा , सुभाष चंद्रा जागो , जाँच करो कही यह सब कही नवीन जिंदल के लिए तो नही काम कर रहे ,जो ज़ी को बर्बाद कर रहे हों | ज़ी ग्रुप आप नीचे लिखी इन बातों पर ध्यान दो दलीप तिवारी ने ज़ी एमपी में किया वही कुछ ज़ी पंजाब हरियाणा में हुआ , कैसे आ रही है बर्बादी –
    बर्बादी का कारण है पुराने लोगों को निकाल कर नए लोगों को भर्ती करना , नए लोग अनुभवहीन है , वो सुभाष चंद्रा को कुछ दिन में करोड़ों कमा कर देने का वादा कर के कुर्सिओं पर काविज हों गए है , जबकि वो कुछ भी नया करके दिखा नही पाए , हाँ यह जरूर किया है कि पुराने लोगों को निकाल नए लोग भर्ती कर लिए है जो कि ज़ी ग्रुप के काबिल नही है , यह काम ज़ी एमपी और ज़ी पंजाब हरियाण में एक समान हुआ | जिस कारण अब अच्छी खबर प्रदेशिक चैनलों पर नही चलती , सब से बुरी हालत इस समय ज़ी पंजाब हरियाणा हिमाचल की है , रिपोर्टर से संपादक बने दिनेश शर्मा का ध्यान अब खबर की तरफ कम है , मालिक को पैसे कैसे अधिक से अधिक कमा कर दिए जाए इस तरफ अधिक है , क्या ज़ी ग्रुप में एक भी ऐसा जिम्मेवार नही रहा जो पिछले सालों में चल रही ख़बरों और अब गिरते स्तर की चल रही ख़बरों में कोई फर्क देख कर कोई कारवाई कर सके , क्या पैसे ही सब कुछ है , हिन्दोस्तान से ले कर विदेशों तक बनी इज्ज़त क्या सुभाष चंद्रा के लिए कोई मतलब नही रखती , क्या सुभाष चंद्रा को हों रही बर्बादी दिखाई नही दी रही , उन को पता क्यों नही चल रहा कि ज़ी पंजाब हिमाचल हरियाणा को दिनेश शर्मा बर्वाद करने पे तुला है , दिनेश शर्मा ने सम्पादक के कुर्सी सम्भालते ही चैनल में पुराने काम करने वाले ( जो लोग पंद्रह साल से जब चैनल की शुरूआत हुई तब से थे ) सब लोगों को निकाल बाहर किया है , सुभाष चंद्रा और मैनेजमेंट को कुछ क्यों नही दिखाई नही दे रहा | अगर समय रहते सुभाष चंद्रा ना जागे तो ज़ी पंजाब हरियाणा हिमाचल का डूबना तय है | पंजाब की न्यूज़ ज़ी पंजाब से खत्म हों रही है , क्योंकि दिनेश को सिर्फ़ हिंदी आती है , दिनेश ने अपने चापलूस भर्ती कर लिए है और अब उसकी मंशा ज़ी पंजाब को खत्म कर सिर्फ़ हरियाणा हिमाचल बनाने की है , ज़ी पंजाब के कारण ज़ी ग्रुप की पहचान विदेशों में है वो भी खत्म हों जायगी , पता चला है के दिनेश ने पंद्रह करोड़ जुटा के मैनेजमेंट को देने है , इस कारण दिनेश ब्लैकमेलरों को भर्ती कर उन के द्वारा पैसे जुटाना चाहता है | लगता है जल्दी ही ज़ी ग्रुप को नवीन जिंदल जैसे एक और स्टिंग का सामना करना पडेगा | जब सुधीर चौधरी जैसा स्टिंग में फस सकता है तो दिनेश तो सुधीर के पांव की जूती जितना काबिल भी नही है, सुभाष जी जागिए , पुराने लोगों के साथ एक मीटिंग करो आप को सब सच पता चल जायगे , दिनेश शर्मा ने ज़ी के सर पर अब तक कितने कम लिए इस बात की पड़ताल करने के लिए आप को हिमाचल में जाँच करवानी पडेगी , सब सच सामने आ जायगे | इज्ज़त को सब कुछ समझने वाला गोयनका परिवार जुलम होते हुए क्यों देख रहा है क्यों दिनेश शर्मा जैसे लोगों के कारण अपनी इज्ज़त नीलाम कर रहा है | पैसे तो पहले भी आ रहे थे बस फरक इतना है कि वो इज्ज़तदार टीम द्वारा इज्ज़त के साथ कमा कर दिए जा रहे थे | दिनेश शर्मा ने अधिकतर पुराने रिपोर्टर हटा दिए उनके स्थान पर नए अनुभवहीन जो कि ब्लैकमेलरों के रूप में जाने जाते है उनकी भर्ती शुरू कर दी है , जिस कारण जल्दी ज़ी ग्रुप पर कलंक का तिलक लगना तय है , सुभाष जी आप खुद नए लोगों की जांच करे , पुराने रिपोर्टर दस पन्द्रह साल से काम कर रहे है , उनको खबर के नब्ज का भी पता है और अब तक कभी कोई कलंक नही लगने दिया , फिर किस कारण वो लोग निकाले गए , मुझे तो नए स्थान पर नौकरी मिल गई है परन्तु मैंने अपनी जवानी आप के चैनल पे लगी दी , बदले में मुझे दिनेश ने निकाल कर आप के चैनेल के बर्वादी शुरू कि जो अब तक जारी है , मैंने वफादारी से काम किया सो अब बर्बादी देखते हुए मेरी आंखे भर आती है , आप जागो , नही तो एक दिन आप की आँखों में भी आंसू होंगे |
    जाँच करो दलीप तिवारी और दिनेश शर्मा ने जो लोग स्टाफ में रखे है उनकी दूसरे चैनलों में क्या पोजीशन थी क्या सेलरी थी अब ज़ी में एक दम से बढ़कर कितनी हों गई , अगर वो काबिल लोग है तो जिन चैनलों में रहे उनको क्यों कामयाब नही कर सके , उनके दामन पर कितने दाग है यह भी जाँच का विषय है , उनका बात करने का ढंग कैसा है वो पेशेवर लोग नही है , ज़ी में आ कर भी वो गुंडों की तरह हे बात करते है , जैसे वो अपने पिछले और निम्न दर्जे के चैनल में करते थे , क्या ज़ी ग्रुप भी अब टुच्चों का हों गया है , दिनेश शर्मा और दलीप तिवारी की कॉल डिटेल निकलवाओ सब साफ हों जायगा

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