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पत्रकार से तो मैं पटवारी भला, ये कह सुखविन्दर ने छोड़ा भास्कर

हरियाणा के कैथल में भास्कर में बारह साल से काम कर रहे हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकारों में से एक सुखविन्दर ने पत्रकार रहने की बजाए पटवारी बनना ज्यादा सही समझा. काफी समय से पत्रकारिता छोड़ दूसरी जगह जाने की जुगत सुखविन्दर लगा रहे थे. चिंता थी कि नौकरी की उम्र न निकल जाए. लेकिन हर किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता. आखिरी विकल्प के तौर पर सरकारी नौकरी में पटवारी का पद ही मिल सका. सुखविंदर ने इस काम को भी पत्रकारिता से बेहतर मानते हुए लपक लिया.

<p>हरियाणा के कैथल में भास्कर में बारह साल से काम कर रहे हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकारों में से एक सुखविन्दर ने पत्रकार रहने की बजाए पटवारी बनना ज्यादा सही समझा. काफी समय से पत्रकारिता छोड़ दूसरी जगह जाने की जुगत सुखविन्दर लगा रहे थे. चिंता थी कि नौकरी की उम्र न निकल जाए. लेकिन हर किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता. आखिरी विकल्प के तौर पर सरकारी नौकरी में पटवारी का पद ही मिल सका. सुखविंदर ने इस काम को भी पत्रकारिता से बेहतर मानते हुए लपक लिया.</p>

हरियाणा के कैथल में भास्कर में बारह साल से काम कर रहे हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकारों में से एक सुखविन्दर ने पत्रकार रहने की बजाए पटवारी बनना ज्यादा सही समझा. काफी समय से पत्रकारिता छोड़ दूसरी जगह जाने की जुगत सुखविन्दर लगा रहे थे. चिंता थी कि नौकरी की उम्र न निकल जाए. लेकिन हर किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता. आखिरी विकल्प के तौर पर सरकारी नौकरी में पटवारी का पद ही मिल सका. सुखविंदर ने इस काम को भी पत्रकारिता से बेहतर मानते हुए लपक लिया.

सुखविन्दर एक अच्छे इंसान और लगातार सक्रिय रहने वाले पत्रकार माने जाते हैं. भास्कर के लिए जमकर काम किया लेकिन भास्कर वाले सिर्फ आश्वासन देते रहे, पैसा नहीं बढ़ाया. इससे दुखी होकर सुखविंदर ने नौकरी छोड़ दी. सरकारी नौकरी पाना चाहे वो पटवारी जैसे सामान्य से पद की बात हो, आसान नहीं है. लेकिन सरकारी नौकरी में तो चपरासी भी भास्कर के रिपोर्टर से कहीं ज्यादा सेलरी पाता है. पटवारी की एक नंबर की कमाई भी भास्कर के पुराने से पुराने ब्यूरो चीफो को पीछे छोड़ देती है.  हरियाणा के पुराने पत्रकारों में से एक सुखविन्दर को भास्कर के पत्रकारों सहित और कई लोगों ने कहा कि कहां पत्रकार और कहां पटवारी. सुखविन्दर ने कहा कि पत्रकार को सिर्फ नमस्कार ही मिलती है, जिससे घर नहीं चलता, एक वक्त बाद दिल जलता है। यही कारण है कि भास्कर और जागरण और अमर उजाला में हरियाणा के अधिकांश जिलों में जगह खाली है, लेकिन रिपोर्टर नहीं आते. 

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0 Comments

  1. rajindersoni

    August 4, 2014 at 8:52 am

    brother theek farmaya

  2. rajindersoni

    August 4, 2014 at 8:53 am

    right

  3. manoj prajapat

    August 9, 2014 at 7:36 am

    yahi haal raha to rahdi chalane wala bhi patrakaro se jyada kamayega
    sarkaar media ko curruption mukt banane ke liye koi kanoon banaye or us kanoon me parakaro ko sammanjanak salery ka kanoon jarur ho taki patrakar balckmailing se kamai band kar de

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