आई-नेक्स्ट (जागरण प्रकाशन लि.) के कर्मचारी रहे सुशील राणा को प्रबंधन ने मजीठिया से बचने की अपनी चालबाजियों के चलते अन्य कर्मियों की तरह एडिटोरियल से हटा कर प्रोडक्शन में भेज दिया था। इतना ही नहीं उन्हे डिमोट करके आर्ट डायरेक्टर से चीफ ग्रैफिक डिज़ाईनर बना दिया गया। राणा ने जब प्रबंधन के इस कदम का विरोध किया तो उनसे जबरिया रिलीविंग लैटर साइन करा कर नौकरी से निकाल दिया गया। राणा जागरण प्रबंधन की इस तानाशाही के सामने झुके नहीं और पूरे मामले की शिकायत 30 जून, 2014 को श्रम आयुक्त, कानपुर के यहां कर दी। श्रम आयुक्त ने जागरण प्रबंधन को नोटिस जारी करते हुए वार्ता के लिए बुलाया। मामले की सुनवाई 17 जुलाई को थी।
राणा का कहना है कि जागरण प्रबंधन की मंशा मामले को लम्बा घसीट कर उन्हे परोशान करने की है। 17 जुलाई की सुनवाई के दौरान जागरण के वकीलों ने कहा कि मामले से संबंधित कागज़ातों के इकट्ठा करने के लिए उन्हे और समय चाहिए। मामले की सुनवाई अब 22 जुलाई को होगी। उन्होने बताया कि श्रम आयुक्त ने उनकी बात को माना और कहा ही कि उन्होने इस्तीफा नहीं दिया है और उनकी ‘रिलीविंग’ ग़ैर कानूनी है।
राणा कहते हैं कि उन्हे जागरण प्रबंधन पर अब बिल्कुल भरोसा नहीं है। आई-नेक्स्ट से पहले दैनिक जागरण में काम कर चुके हैं। जब उनको एडिटोरियल से हटाकर प्रोडक्शन में किया गया तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। दुबारा उन्हें जब आई-नेक्स्ट में ज्वाइन कराया जा रहा था तो उन्होने कहा कि वे डिजायनिंग और आर्ट से जुड़े व्यक्ति हैं जिसका विभाग संपादकीय होता है, न कि प्रोडक्शन, इसलिए वह इसी शर्त पर आएंगे कि उन्हें संपादकीय में रखा जाए और पिछली बार की तरह प्रोडक्शन में न धकेला जाए। लेकिन कुछ समय बाद ही उन्हे फिर संपादकीय से हटाकर प्रोडक्शन में डाल दिया गया।
अब चूंकि मामला लेबर कोर्ट में है और जागरण प्रबंधन मामले को लटकाने और उससे बचने का भरसक प्रयास कर रहा है तो राणा को लगता है कहीं जागरण उनके खिलाफ ही कोई झूठा केस न कर दे। राणा ने बताया कि उनकी बेटी पूना में पढ़ती है, उसकी फीस के लिए उन्होने संस्थान से लोन मांगा था। जब काफी पत्राचार करने के बाद भी एकाउंट विभाग ने उनकी लोन ऐप्लीकेशन पर कोई कार्यवाही नहीं की तो उन्होने हार कर स्वयं कह दिया के उन्हे कोई लोन नहीं चाहिए। लेकिन बाद में जब राणा ने अपनी पे स्लिप देखी तो उनके होश उड़ गए। उसमें 86,417 रुपए का लोन बैलैंस दिखाया जा रहा था। उन्होने तुरन्त इस बारे में एकाउन्ट विभाग से शिकायत करी। कई मेल भेजीं, लेकिन इस संबंध में उनकी किसी भी बात का जवाब नहीं दिया गया। अब सवाल ये है कि ये एकाउन्ट विभाग की ग़लती ही है या कोई घोटाला?
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Subject: Loan that was never granted
Sent: Sun, Jul 13, 2014 9:30:26 AM
Dear Pankaj ji,
Not a single loan has been granted by organisation to me during my service. But in my salary slip of May 2014, Loan Balance of Rs. 86417.00 is being displayed which is a mistake of account department. Please rectify this mistake and clear this balance amount from my account, failing which I will put it in the court of law.
Thanks
Sushil Kumar Rana
Employ Code – 0112
Mobile – 9411027172 and 8090990792
Sent from Yahoo Mail on Android
जैसा कि राणा का कहना है कि प्रबंधन ने उन पर दवाब डाल कर 7 जून को इस्तीफा ले लिया था और 25 जून को उसे स्वीकार भी कर लिया था। राणा प्रबंधन की इस तानाशाही के खिलाफ लेबर कोर्ट चले गए। जैसा कि उपर बताया गया है कि श्रम आयुक्त ने उनकी रिलीविंग को ग़ैर कानूनी माना इसलिए अब जागरण प्रबंधन ने एक और चाल चली है। हुआ यूं कि पिछले साल राणा जागरण के एक प्रोजेक्ट ‘सूफिया बिहार बुक’ पर काम कर रहे थे। इसके लिए फोटोग्राफरों का चयन आलोक सांवल ने किया था। फोटो क्वालिटी की वजह से किताब कुछ अच्छी नहीं लग रही थी। इसका ठीकरा सांवल ने राणा के सर फोड़ दिया जबकि उनका काम आर्ट डायरेक्शन का था। राणा को अपने काम पर उंगली उठना बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होने सांवल से कहा कि जब आपको मेरा काम ही पसंद नहीं तो मैं काम छोड़ देता हूं। ये अगस्त 2013 की बात है। बात शैलेष गुप्ता तक पहुंची। राणा ने शैलेष से कह दिया कि वे जागरण के लिए तो काम कर सकते हैं लेकिन सांवल के लिए काम नहीं करेंगे। फिर अपने एक मित्र के कहने पर वे सांवल से मिले। और बातचीत में सांवल ने कहा कि गलतफहमियों हो जाया करतीं है आप इस्तीफे को भूल जाइए और काम कीजिए।
अब जागरण ने किया ये कि जिस 25 जून, 2014 के पत्र के द्वारा राणा का 7 जून, 014 का इस्तीफा स्वीकार किया था उसके संबंध में 19 जुलाई को एक भूल-सुधार पत्र राणा को भेजा है। इस पत्र में राणा द्वारा दिए गए इस्ताफे और उसकी स्वीकृति की तारीखों को बदल कर पिछली साल की ‘8 अगस्त, 2013’ कर दिया गया है। जागरण की मंशा स्पष्ट है कि राणा ने पिछली साल ही इस्तीफा दे दिया था तो इस केस का कोई मतलब ही नहीं। लेकिन राणा का सवाल है कि जब उन्होने पिछली साल ही इस्तीफा दे दिया था तो वो जागरण प्रकाशन में काम किस हैसियत से कर रहे थे और संस्थान उन्हे वेतन किस बात का दे रहा था? इससे एक बात साफ है कि ऐसा ही कुछ करने के लिए जागरण लेबर कोर्ट में मामले को लटका रहा था।
[email protected]
To [email protected]@inext.co.in and 1 More…
Jul 18 at 10:49 PM
E-Mail / Regd. A.D.
To, Date 19th July 2014
Mr. Sushil Kumar Rana
Address 1:
Village – Tigian
Post – Khatauli
Muzaffar Nagar (UP)
PIN – 251201
Address 2 :
C/O Mr. K.K. Singh
Basanti Nivas
158-B, Khyeora
Thana – Nawab ganj – 208002
Dear Sushil ji,
Corrigendum
Due to some typographical mistake and clerical error it has been wrongly typed in the first line “ 7Th Jun 2014” of the letter dated “25/6/14”, while it should “8th Aug 2013”. In second line of the said letter,it has been wrongly typed “25th June 2014” while it should be “8th Aug 2013”. It has further wrongly been typed “released” in second line of said letter while it should be “relieved” and now it has been replaced as stated above and read it accordingly.
Add “already “in between “has” and “been” in the first line of the letter dated “25th June 2014”. Lastly read it “Relieving” in place of “Resignation Acceptance” in the “Subject “of E- Mail dated “25th June 2014”.
Pankaj Kr. Pandey Sr. General Manager
After the said corrigendum the correct wording of letter dated “ 25th June 2014” is now become as under :-
Dear Sushil ji,
Your resignation dated 8th Aug 2013 send by you through official mail ID([email protected]) has already been accepted with immediate effect from dt 8th Aug 2013. You are relieved from services and accordingly relationship of employee and employer is also ceased. You are instructed to deposit all the properties and belongings of the company mentioned as under with immediate effect:
1. Visiting Card.
2. I card.
3. Hard Disc (SEAGATE (1 TB)
4. Laptop (Apple Mac Book Pro 15”/MD104HN/A ; Serial No. : – C02J7063DV35)
Your legal dues will be released within 7 days time after the deposition of above said belonging of company to the undersign.
Best Wishes…
Pankaj Kr. Pandey
Sr. General Manager
जागरण प्रबंधन की इन्ही चालबाज़ियों से सुशील राणा को लगता है कहीं अपनी गरदन बचाने के लिए प्रबंधन उन्हे किसी झूठे केस में न फंसवा दे।
भड़ास को भेजे गए पत्र और सूचना पर आधारित।
मूल ख़बरः
सुशील राणा ने आई-नेक्स्ट और दैनिक जागरण के खिलाफ लेबर कमिश्नर को शिकायती पत्र भेजा (पढ़ें लेटर)
sahid
September 26, 2014 at 3:03 am
ISki …ma….ka ………………phon aaya….