Paritosh Singh : स्वरा भास्कर की अल्टीमेट दुर्गत … एक धर्मांध भीड़ जिसको दीन दुनिया का पता भी नहीं … से तालियाँ पिटवा लेना …और एक पत्रकार से fact और फ़ीगर के साथ बहस करना…..दो दीगर चींजें है बल्लू !!
हाथ नचाकर उँचा बोलकर कोरे झूठ को सच नहीं बना सकते..!! I like the way she was asked …. “NRC का ड्राफ़्ट कहाँ है स्वरा”??
एक ही झूठ बार बार दोहरा रही है …तर्क करने पर बस इधर उधर बतिया रही है… रटा रटाया बात बोल रही है.. ड्राफ़्ट कहाँ है पूछने पर बोल रही है- सरकार से माँगिए…
Ranvijay Singh : सिर्फ डराने को कह दो, तार्किक बात का कोई जवाब नहीं इनके पास. वो तो सामने ‘रुबिका’ हैं, ‘अंजना’ होतीं तो बात धर्म विरोध की भी की जा सकती थी. लेकिन अब स्वरा कहें तो कहें क्या, बोलें तो बोलें क्या वाले सिचुएशन में हैं.
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Pankaj Chaturvedi : स्वरा भास्कर एबीपी न्यूज पर रुबिका लियाकत के सामने CAA, NRC मसले पर बेहद कमजोर रहीं। उनकी तैयारी थी नहीं और कूद कर रुबिका के पाले में जा कर खेलने लगीं। उनके पास तथ्य, तैयारी और तकाजे थे नहीं। वे अच्छी वक़्ता हैं लेकिन किसी गोदी मीडिया पर इस विषय पर जिरह के लिए नहीं जाना था। वे टीवी पर अपने अभिनय पर ही बात करें। उनके कमजोर प्रदर्शन से आंदोलनकारियों को नीचा देखना पड़ता है। रुबिका लियाकत बेहत छिछले और संघी तर्क दे रही थीं जिसका जवाब शाहीन बाग़ में बैठी कोई भी महिला सटीक दे देतीं।
Shashi Bhooshan : एंकर कहते हैं, हम सवाल पूछेंगे। सवाल उठता है। सवाल बनता है। आप जवाब दीजिये। आप सवालों से बच नहीं सकते। इस सवाल का क्या जवाब है आपके पास ? आप ऑडिएंस के सवाल का जवाब दीजिये आदि आदि। यह सुनकर लगता है एंकर सवाल का सिपाही है। वह अच्छे जवाबों का रक्षक है। वह जैसे ही अच्छा जवाब पायेगा उसे सर माथे से लगाकर जनता तक पहुंचाएगा। एंकर जवाब निकालने के लिए दिन रात सवालों पर मेहनत करता है।
लेकिन है उलटा। एंकर पहले सवाल पूछता है। मनपसंद जवाब न पाकर समझाता है। फिर चीखता है। फिर डांटता है। कुल मिलाकर एंकर का सवाल उसका आरोप है। वह जवाब नहीं चाहता आरोप की स्वीकृति चाहता है। वह आरोप स्वीकृति की घोषणा करना चाहता है। एंकर बहुत ख़तरनाक हो गया है। वह पूछना या सुनना नहीं चाहता। समझाकर, डपटकर आरोपी साबित करना चाहता है। किसी को लगेगा वह ऐसा सबके साथ करता है। नहीं, एंकर समझाना प्रोटेस्ट करने वालों को चाहता है।
एंकर सदैव विपक्ष को समझाना चाहता है। जो भी किसी आंदोलन या विरोध में है एंकर उसे जल्द से जल्द समझाना चाहता है। आज का एंकर इस अर्थ में खतरनाक है कि वह पूछना नहीं चाहता जवाब देने वाले के बहाने जनता को समझाना चाहता है। इस जबरिया समझाने, एंकर आरोप को मान लेने के दवाब का एक नायाब उदाहरण एबीपी न्यूज़ के एक कार्यक्रम में मिला। इस कार्यक्रम में स्वरा भास्कर से रुबिका लियाक़त सीएए, एनआरसी, एनपीआर पर बात कर रही थीं।
रुबिका लियाक़त : मैं आपको समझा रही हूँ।
स्वरा भास्कर : आप मुझे मत समझाइए। मैं पढ़ी लिखी हूँ। आप मेरा जवाब सुन लीजिये।
एंकर ख़तरनाक हो चुके हैं। पैनल में बैठे लोगों को बलपूर्वक समझाने में उतर आए हैं। आगे क्या करेंगे सोचकर दहशत होती है। टीवी बड़बोले बाउंसर्स में बदल चुका है।
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