Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

गोरखपुर से निकलने वाला वीकली अखबार ‘4यू टाइम्स’ बंद

गोरखपुर में वीकली अखबार की कैटगरी में सबसे ज्यादा बिक्री वाला साप्ताहिक अखबार 4यू टाइम्स बंद हो गया। इस अखबार के बंद होने से स्थानीय खबरों की धारदार विश्लेषण करने वाले एक अदद अखबार की कमी पाठक शिद्दत से महसूस कर रहे हैं। लेकिन, जब बात धन की हो तो पाठकों की सुनता कौन है। इस अखबार का पंजीकरण कराने का काम डा. संजयन त्रिपाठी ने किया था। वही इसके मालिक-संपादक थे। मैं कार्यकारी संपादक था। 25 दिसंबर 2012 को डा. त्रिपाठी ने मुझे खुद से जोड़ा था।

<p>गोरखपुर में वीकली अखबार की कैटगरी में सबसे ज्यादा बिक्री वाला साप्ताहिक अखबार 4यू टाइम्स बंद हो गया। इस अखबार के बंद होने से स्थानीय खबरों की धारदार विश्लेषण करने वाले एक अदद अखबार की कमी पाठक शिद्दत से महसूस कर रहे हैं। लेकिन, जब बात धन की हो तो पाठकों की सुनता कौन है। इस अखबार का पंजीकरण कराने का काम डा. संजयन त्रिपाठी ने किया था। वही इसके मालिक-संपादक थे। मैं कार्यकारी संपादक था। 25 दिसंबर 2012 को डा. त्रिपाठी ने मुझे खुद से जोड़ा था।</p>

गोरखपुर में वीकली अखबार की कैटगरी में सबसे ज्यादा बिक्री वाला साप्ताहिक अखबार 4यू टाइम्स बंद हो गया। इस अखबार के बंद होने से स्थानीय खबरों की धारदार विश्लेषण करने वाले एक अदद अखबार की कमी पाठक शिद्दत से महसूस कर रहे हैं। लेकिन, जब बात धन की हो तो पाठकों की सुनता कौन है। इस अखबार का पंजीकरण कराने का काम डा. संजयन त्रिपाठी ने किया था। वही इसके मालिक-संपादक थे। मैं कार्यकारी संपादक था। 25 दिसंबर 2012 को डा. त्रिपाठी ने मुझे खुद से जोड़ा था।

योजना थी, बच्चों के चरित्र और नैतिक विकास को प्रमोट करने वाले एक साप्ताहिक अखबार के प्रकाशन की। सवा साल तक वह अखबार चला। 16 हजार प्रतियां तक हमने छापी। हर हफ्ते। एक छोटे से शहर से साप्ताहिक अखबार की 16 हजार प्रतियों को छापना और डंके की चोट पर उसे बेचना कोई सामान्य काम नहीं था। पर यह हुआ। दूसरे साल से लोग (दूसरे स्कूल वाले) खिसकने लगे। लोगों को लगता था कि नवल्स का प्रचार, हमारे स्कूलों में किया जा रहा है। यह महज शक था। नवल्स की एक लाइन भी (बाद के दिनों में) 4यू टाइम्स में नहीं छपती थी। पर, लोगों के मन में जब चोर बैठ जाता है तो क्या कर सकेंगे आप। लिहाजा, उसे पाक्षिक कर दिया गया। वह अब तक छपता रहा था। शायद आगे भी छपे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

7 मई 2014 को तीन दिन के शार्ट नोटिस पर राजनीतिक 4यू टाइम्स की शुरुआत हुई। इस अखबार की बाजार में धमाकेदार एंट्री हुई। लोगों ने इसे हाथों-हाथ लिया। ईश्वर सिंह, अरविंद श्रीवास्तव की खोजी रपटों ने इसे लोकप्रिय बनाने में काफी भूमिका निभाई। एक वक्त ऐसा भी आया जब बाजार में 4यू टाइम्स 10-10 रुपये का, ब्लैक में बिका। विज्ञापन के मामले में भी यह अखबार बेजोड़ रहा। बेशक, 2 लाख 50 हजार रुपये प्रतिमाह के खर्च में हम लोग आधा ही विज्ञापन से पूरा कर पाते थे। फिर भी जो विज्ञापन आए, जानदार आए। हम लोग यानी, मैं आनंद सिंह, आशुतोष समीर, पुनीत श्रीवास्तव, डा. आर.डी. दीक्षित, सुनील पटेल, अरविंद श्रीवास्तव, ईश्वर सिंह, मनोज त्रिपाठी, अजय मिश्रा, बबुंदर यादव, एस.पी.राय, शाकंभ शिवे त्रिपाठी, संदीप दुबे, प्रमिला…….सभी लोगों ने अखबार को आगे बढ़ाने में जोरदार भूमिका निभाई। सभी अपना काम करते रहे। बस, विज्ञापन में मात खा गए। अजय सोनकर विज्ञापन तो लाते रहे पर वो नाकाफी था। अकेला बंदा कितने का विज्ञापन लाएगा। अजय सोनकर मूलतः संवाददाता रहा। उसे हम लोगों ने जबरिया विज्ञापन में ठूंस दिया। उसने बेहतर काम किया।

4यू टाइम्स के मालिक डा. संजयन त्रिपाठी की दाद देनी होगी। इन्होंने अढ़ाई साल में कभी भी नहीं कहा कि ये खबर लगाएं, ये हटाएं। कभी भी नहीं। उन्होंने पूरा अखबार मेरे भरोसे छोड़ दिया। पता नहीं, मैंने कितनी ईमानदारी बरती। अपने होश-औ-हवास में 24 घंटे भी 4यू टाइम्स के नाम ही रखा। आज, यानी 6 जुलाई को सभी साथियों को पूरी की पूरी सैलिरी मिल गई। बड़े अदब के साथ अरशद और शादाब भाई ने हमें लिफाफा पकड़ाया। सभी लिफापों में पूरे पैसे। अफसोस इस बात का रहा कि संजयन जी ने अखबार बंद करने में दूसरों की बात को ज्यादा तवज्जो दी। अगर हमें सात माह और मिल जाते तो यह अखबार बंद नहीं होता। हम घाटे को जनवरी 2016 में खत्म कर देते। लेकिन चलिए, जो होता है सभी के भले के लिए ही होता है। इसमें भी कुछ भलाई होगी जो आज नहीं दिख रही है, कल दिखेगी। मेरे सारे साथियों, आप सभी का आभार। आपने हमारी हर बात को मान लिया। जब खबर मांगी, खबर दे दी। विज्ञापन मांगा, विज्ञापन दे दिया। आप लोग मेरे जीवन का हिस्सा हैं। जब तक जीवित रहूंगा, आप लोगों को भुला नहीं पाऊंगा। अगली मंजिल दिख तो रही है पर सब कुछ मैच्योर हो जाने दें। तब फिर बात करके बुलाऊंगा। आप लोगों के बगैर आनंद सिंह कुछ भी नहीं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

आनंद सिंह
संपादक
मेरी दुनिया मेरा समाज
गोरखपुर
08004678523

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement