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बंगाल में मुख्‍यमंत्री सचिवालय में घूमने वाले पत्रकार होंगे गिरफ्तार

कोलकाता : एक के बाद एक विवादों में घिरनेवाली तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने अब मीडिया पर भी अंकुश लगाने की तैयारी शुरू कर दी है. सरकार ने नया फरमान जारी किया है, जिसके तहत पत्रकारों को गिरफ्तार भी किया जा सकता है. शुक्रवार को नवान्न भवन की सुरक्षा करनेवाले पुलिस के अधिकारियों ने कहा कि अब नवान्न भवन में पत्रकार किसी भी विभाग में नहीं घूम पायेंगे. उन्हें प्रथम तल्ले पर स्थित प्रेस कॉर्नर में ही बैठना होगा. अगर वे प्रेस कॉर्नर से बाहर निकलते हैं, तो उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है.

<p>कोलकाता : एक के बाद एक विवादों में घिरनेवाली तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने अब मीडिया पर भी अंकुश लगाने की तैयारी शुरू कर दी है. सरकार ने नया फरमान जारी किया है, जिसके तहत पत्रकारों को गिरफ्तार भी किया जा सकता है. शुक्रवार को नवान्न भवन की सुरक्षा करनेवाले पुलिस के अधिकारियों ने कहा कि अब नवान्न भवन में पत्रकार किसी भी विभाग में नहीं घूम पायेंगे. उन्हें प्रथम तल्ले पर स्थित प्रेस कॉर्नर में ही बैठना होगा. अगर वे प्रेस कॉर्नर से बाहर निकलते हैं, तो उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है.</p>

कोलकाता : एक के बाद एक विवादों में घिरनेवाली तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने अब मीडिया पर भी अंकुश लगाने की तैयारी शुरू कर दी है. सरकार ने नया फरमान जारी किया है, जिसके तहत पत्रकारों को गिरफ्तार भी किया जा सकता है. शुक्रवार को नवान्न भवन की सुरक्षा करनेवाले पुलिस के अधिकारियों ने कहा कि अब नवान्न भवन में पत्रकार किसी भी विभाग में नहीं घूम पायेंगे. उन्हें प्रथम तल्ले पर स्थित प्रेस कॉर्नर में ही बैठना होगा. अगर वे प्रेस कॉर्नर से बाहर निकलते हैं, तो उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है.

कोलकाता पुलिस के रिजर्व फोर्स के डीसी ने कहा कि इसके लिए ऊपर से निर्देश आया है. हालांकि यह निर्देश कौन दिया है, उन्होंने नहीं बताया. इस आदेश से मीडिया जगत में हलचल है. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हावड़ा स्थित राज्य सचिवालय नवान्न भवन में बैठती हैं. नवान्न में ही राज्य सरकार के कई वरिष्ठ मंत्रियों के कार्यालय भी हैं. ऐसी स्थिति में वहां रोजाना विभिन्न समाचार पत्र व न्यूज चैनल के प्रतिनिधि खबर के लिए जाते हैं. 

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सरकार का यह फरमान मीडिया के अधिकारों का हनन है. अब चाह कर भी पत्रकार किसी भी विभाग के अधिकारी से मिल नहीं पायेंगे. उन्हें प्रेस कॉर्नर में ही बैठना पड़ेगा. अगर कोई सरकारी अधिकारी आकर कोई सूचना देता है, तो ठीक है, नहीं तो उन्हें बिना खबर के ही वापस लौटना होगा. एक समय ऐसा भी था, जब मुख्यमंत्री स्वयं पत्रकारों से बात करती थीं, लेकिन जिस प्रकार से सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ मीडिया मुखर हुई है, उसे देखते हुए सुश्री बनर्जी ने अब खुद ही पत्रकारों से दूरी बना ली है.

सरकार के इस आदेश के बाद बंगाल के पत्रकारों में गहरी नाराजगी है. पत्रकार पहले अपनी बात मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी के सामने रखने की तैयारी कर रहे हैं. इसके बाद भी अगर उनके बातों पर कोई सुनवाई नहीं हुई तो पत्रकार आंदोलन का रास्‍ता अख्तियार कर सकते हैं. प्रदेश सरकार के इस फरमान को विपक्षी दलों के नेताओं ने तानाशाही बताते हुए मीडिया के अधिकारों का हनन बताया है. पत्रकार अगर इस मामले को लेकर आंदोलन करते हैं तो विपक्षी दल उनका साथ देंगे. 

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