-अर्पिता शर्मा-
अगर आप सोचते हैं कि दुनिया का सर्वाधिक आधुनिक देश अमरीका है तो आप गलत हैं। दुनिया का सबसे आधुनिक देश फ्रांस है, जिसने धर्म सहित कई प्रतिष्ठित स्थापनाओं को ध्वस्त किया है।
मैंने हाल ही में एक अंग्रेजी सीरीज “एमिली इन पेरिस” देखकर खत्म किया। शिकागो से एक लड़की फ्रांस की राजधानी पेरिस में ऑफिशियल काम से आती है और कुछ दिन रूकती है।
पूरी सीरीज में हल्के-फुल्के रूप में बहुत गंभीर बातें कह दी गईं हैं। मसलन, फ्रांस का तमाम विश्व से विभिन्नता। जहां समृद्ध और आधुनिक देश अमरीका की सोच भी फ्रैंच के सामने छोटी और पारंपरिक नजर आती है। एक डॉयलोग कुछ इस तरह है – Entire world offends you in your back bu French offends you in your face.
फ्रैंच लोगों के लिए प्रचलित है कि जहां दुनियाभर में लोग राइट टू स्पीच, एडूकेशन, फ्री विल या लिव पर अटकी पड़ी है, वे कहते हैं कि आपको ऑफेंड करना भी हमारा राइट है। दीगर है कि फ्रांस शायद एकमात्र ऐसा आधुनिक देश हैं, जहां सार्वजनिक रूप से किसी भी धार्मिक चिह्न पहनने पर प्रतिबंध हैं। शैर्ली हैब्दो दुर्घटना के बाद उसने बुर्के पर रोक लगा दी थी।
आपको शायद पता ही होगा कि फ्रांस फैशन का दुनियाभर का पहला स्रोत है। पेरिस, कांस जैसे शहर फैशन के सिरमौर हैं, पर यह शायद ही पता होगा कि वैक्सिंग करते बालों को हटाकर जो कृत्रिम सुंदरता महिलाएं पाती हैं, उसको नकारने का आंदोलन भी फ्रैंच ही हैं।
कुछ दिनों पहले मेरे एक मित्र ने मुझे एक लिंक भेजा था, जिसमें दुनियाभर में महिलाओं की सुंदरता के मापदंड पर एक खबर थी। उसमें किसी देश में सुंदर होंठ तो कहीं भौंहे तो कहीं चौड़े जबड़े को सुंदरता का पैमाना माना गया था, पर फ्रांस ऐसा देश था, जो अच्छे खानपान से अंदर से आने वाली सुंदरता पर विश्वास करता था। माने बढ़िया खाओ और चमकीली और स्वस्थ स्कीन पाओ।
वाइन के लिए मशहूर देश अपने बच्चों को किशोरवय से ही हल्का-फुल्का वाइन देना शुरू करते हैं, ताकि परंपरा चलती रहे।
शैर्ली हैब्दो से शायद ही कोई अपरिचित हो, पर यह बात कम लोग जानते हैं कि शैर्ली हैब्दो ने हर धर्म के देवताओं – भगवानों के सरकास्टिक कार्टून बनाए हैं। जीसस के सर्वाधिक।
यहां एक और जिक्र करना चाहूंगी। ब्रिटेन के भावी राजा प्रिंस विलियम और उनकी नवेली पत्नी कैट मिडिलटन किसी अज्ञात टापू पर छुट्टियां मना रहे थे। किसी पैपराजी ने हाई-डेफिनेशन कैमरे से कई किलोमीटर से उनकी टॉपलैस फोटो खींच ली और क्लोज नामक फ्रैच पत्रिका ने इसे फ्रंट पर छाप दिया। बहुत बवाल हुआ।
ब्रिटेन की महारानी से स्यू किया पत्रिका को और फोटो हटाने और माफी मांगने को कहा। पत्रिका की संपादक एक अधेड़ महिला थीं। उसने साफ मना कर दिया, न माफी मांगेगी, न फोटो हटाएगी। सोचिए, दुनिया की सबसे ताकतवर महिला है ब्रितानी महारानी। उसे भी कोई आंखें दिखा गया। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर। और मजे की बात ये थी कि फ्रांस सरकार ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया।
क्यों, क्योंकि स्वतंत्रता उनके जीवन मूल्य हैं। समानता, स्वतंत्रता और भ्रातृत्व के मोटो वाले फ्रांस स्वतंत्रता खुलकर जीने वाला देश है। फिर चाहे वे किसी भी प्रकार की हो।
यह मुस्लिम आतंकवादी एक शरणार्थी था। अध्यापक ने क्लास शुरू करने से पहले कहा था कि अगर मुस्लिमों की भावनाएं आहत होती हैं तो वे क्लास छोड़कर जा सकते हैं और मुस्लिम लड़के छोड़कर भी चले गए। इसे कहीं से पता लगा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की क्लास में शैर्ली हैब्दो का जिक्र था तो उसने टीचर को न केवल दबोचा, बल्कि सरेआम सर कलम किया और फोटो सोशल मीडिया पर डाली।
आप अंदाज लगा लीजिए कि जो मैक्रोन कर रहे हैं, वह उन्हीं जीवन मूल्यों का हिस्सा है। आपके लिए गलत है तो आंख-कान-नाक-मुंह बंद करके गुफा में छिप जाओ, पर भीख में मिली शरण में ये आंतक दिखाकर अपना मुंह काला तो मत करो (वैसे उसकी जरूरत नहीं है।)
मैक्रोन के लिए सिर्फ यह शब्द कहूंगी कि यह वो व्यक्तित्व है, जो स्थापित मान्यताओं को ध्वस्त करने को साकार करता है। आपने प्रेम की उम्र नहीं होती,खूब सुना होगा। पर अपनी टीचर से विवाह करके मैक्रोन ने दुनिया को दिखाया है कि खोखली पंरपराएं सिर्फ ध्वस्त करने के लिए होती हैं। मैक्रोन को समर्थन देकर भारत सरकार ने मेरा पुरजोर समर्थन लिया है।