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‘कला स्रोत’ त्रैमासिक पत्रिका का लोकार्पण 29 को

पत्रकार और कला समीक्षक आलोक पराड़कर द्वारा सम्पादित ‘कला स्रोत’ त्रैमासिक पत्रिका का लोकार्पण 29 अप्रैल को अपराह्न 4.30 बजे लखनऊ के अलीगंज स्थित कला स्रोत केन्द्र परिसर में होगा।  कला, संगीत और रंगमंच पर आधारित इस पत्रिका के लोकार्पण समारोह  के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध रंगकर्मी एवं फिल्मकार रंजीत कपूर होंगे जबकि अध्यक्षता वयोवृद्ध रंग अध्येता कुंवर जी अग्रवाल करेंगे। गौरतलब है कि ‘जाने भी दो यारो’, ‘कभी हां कभी ना’, ‘लीजेण्ड आफ भगत सिंह’, ‘बैण्डिट क्वीन’ सहित कई लोकप्रिय फिल्मों के संवाद एवं पटकथा लेखक रंजीत कपूर ने ‘चिण्टू जी’ के बाद हाल में ही ‘जय हो डेमोक्रेसी’ फिल्म का निर्देशन किया है।

<p>पत्रकार और कला समीक्षक आलोक पराड़कर द्वारा सम्पादित 'कला स्रोत' त्रैमासिक पत्रिका का लोकार्पण 29 अप्रैल को अपराह्न 4.30 बजे लखनऊ के अलीगंज स्थित कला स्रोत केन्द्र परिसर में होगा।  कला, संगीत और रंगमंच पर आधारित इस पत्रिका के लोकार्पण समारोह  के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध रंगकर्मी एवं फिल्मकार रंजीत कपूर होंगे जबकि अध्यक्षता वयोवृद्ध रंग अध्येता कुंवर जी अग्रवाल करेंगे। गौरतलब है कि 'जाने भी दो यारो', 'कभी हां कभी ना', 'लीजेण्ड आफ भगत सिंह', 'बैण्डिट क्वीन' सहित कई लोकप्रिय फिल्मों के संवाद एवं पटकथा लेखक रंजीत कपूर ने 'चिण्टू जी' के बाद हाल में ही 'जय हो डेमोक्रेसी' फिल्म का निर्देशन किया है।</p>

पत्रकार और कला समीक्षक आलोक पराड़कर द्वारा सम्पादित ‘कला स्रोत’ त्रैमासिक पत्रिका का लोकार्पण 29 अप्रैल को अपराह्न 4.30 बजे लखनऊ के अलीगंज स्थित कला स्रोत केन्द्र परिसर में होगा।  कला, संगीत और रंगमंच पर आधारित इस पत्रिका के लोकार्पण समारोह  के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध रंगकर्मी एवं फिल्मकार रंजीत कपूर होंगे जबकि अध्यक्षता वयोवृद्ध रंग अध्येता कुंवर जी अग्रवाल करेंगे। गौरतलब है कि ‘जाने भी दो यारो’, ‘कभी हां कभी ना’, ‘लीजेण्ड आफ भगत सिंह’, ‘बैण्डिट क्वीन’ सहित कई लोकप्रिय फिल्मों के संवाद एवं पटकथा लेखक रंजीत कपूर ने ‘चिण्टू जी’ के बाद हाल में ही ‘जय हो डेमोक्रेसी’ फिल्म का निर्देशन किया है।

राजनीति पर चुटीले व्यंग्य से परिपूर्ण इस फिल्म को उत्तर प्रदेश सरकार और छतीसगढ़ सरकार ने टैक्स फ्री कर दिया है। कुंवर जी अग्रवाल को इस बात का श्रेय है कि उन्होंने ही वाराणसी में पहले हिन्दी नाटक ‘जानकी मंगल’ के मंचन की खोज की जिसके बाद से हिन्दी रंगमंच दिवस को मनाने की शुरूआत हुई। वे प्रसिद्ध नाट्य समीक्षक हैं। लोकार्पण के अवसर पर नगर के कई प्रसिद्ध साहित्यकारों, रंगकर्मियों, चित्रकारों-मूर्तिकारों, संगीतकारों  की उपस्थिति रहेंगी।

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रंगकर्मी सूर्यमोहन कुलश्रेष्ठ, उर्मिल कुमार थपलियाल, आतमजीत सिंह, जुगुल किशोर, मृदुला भारद्वाज, ललित सिंह पोखरिया, राजेश कुमार, जितेन्द्र मित्तल, चित्रकार जयकृष्ण अग्रवाल, योगेन्द्र नाथ योगी, शरद पाण्डेय, एन.खन्ना, राजीव मिश्र, शीला, पंकज गुप्ता,  कला महाविद्यालय के प्राचार्य पी.राजीव नयन, छायाकार अनिल रिसाल सिंह, रवि कपूर, आजेश जायसवाल, साहित्यकार शिवमूर्ति, नरेश सक्सेना, वीरेन्द्र यादव, अखिलेश, हरेप्रकाश उपाध्याय, विजय राय, लखनऊविद् योगेश प्रवीन, रवि भट्ट, गायक अग्निहोत्री बन्धु, पखावज वादक राज खुशीराम सहित कई प्रमुख संस्कृतिकर्मी समारोह में भाग लेंगे।

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