Connect with us

Hi, what are you looking for?

दिल्ली

व्यापार मेला देखने अवश्य जाएं और इस एडवाइजरी पर गौर करें

कुछ संभलकर ही ट्रेड फेयर जाएं क्योंकि जो दिखता है वही सुंदर नहीं है! यह पोस्ट मैं नहीं भी डाल सकता था क्योंकि यह एक सामान्य-सी निजी घुमक्कड़ी है जिसे आप चाहें तो विंडो शापिंग भी कह सकते हैं। लेकिन डाल रहा हूं। दरअसल मुझे इस बात से कभी संतोष नहीं होता कि एक सामान्य दर्शक की भांति एक पत्रकार व्यवहार करे। पत्रकार के कुछ सामाजिक दायित्व होते हैं और चुनौतियां भी। वह महज एक प्रचारक या जस का तस दिखाने वाला, बताने वाला संजय नहीं कि हर धृतराष्ट्र उससे पूछे कि बताओ संजय क्या हुआ कुरुक्षेत्र में।

<p>कुछ संभलकर ही ट्रेड फेयर जाएं क्योंकि जो दिखता है वही सुंदर नहीं है! यह पोस्ट मैं नहीं भी डाल सकता था क्योंकि यह एक सामान्य-सी निजी घुमक्कड़ी है जिसे आप चाहें तो विंडो शापिंग भी कह सकते हैं। लेकिन डाल रहा हूं। दरअसल मुझे इस बात से कभी संतोष नहीं होता कि एक सामान्य दर्शक की भांति एक पत्रकार व्यवहार करे। पत्रकार के कुछ सामाजिक दायित्व होते हैं और चुनौतियां भी। वह महज एक प्रचारक या जस का तस दिखाने वाला, बताने वाला संजय नहीं कि हर धृतराष्ट्र उससे पूछे कि बताओ संजय क्या हुआ कुरुक्षेत्र में।</p>

कुछ संभलकर ही ट्रेड फेयर जाएं क्योंकि जो दिखता है वही सुंदर नहीं है! यह पोस्ट मैं नहीं भी डाल सकता था क्योंकि यह एक सामान्य-सी निजी घुमक्कड़ी है जिसे आप चाहें तो विंडो शापिंग भी कह सकते हैं। लेकिन डाल रहा हूं। दरअसल मुझे इस बात से कभी संतोष नहीं होता कि एक सामान्य दर्शक की भांति एक पत्रकार व्यवहार करे। पत्रकार के कुछ सामाजिक दायित्व होते हैं और चुनौतियां भी। वह महज एक प्रचारक या जस का तस दिखाने वाला, बताने वाला संजय नहीं कि हर धृतराष्ट्र उससे पूछे कि बताओ संजय क्या हुआ कुरुक्षेत्र में।

खैर हुआ यह कि आज दोपहर 12 बजे मैं प्रगति मैदान में लगे ट्रेड फेयर को देखने-घूमने गया। और शाम सात बजे तक वहीं रहा। हर पैवेलियन तथा हर स्टाल को देखा। किसी के अंदर गया और किसी के नहीं। रक्षा मंत्रालय का निराकार पैवेलियन देखने के बाद मैं उसके ठीक सामने के जेएंडके पैवेलियन गया। मुझे वहां से कुछ सामान खरीदना था। एक तो मेरी प्रिय केसर और बादाम। बादाम मनचाहा नहीं मिला तो मैने एक कश्मीरी टोपी खरीदी और बाहर आकर एक कप कहवा खरीदा और कहीं बैठने का जुगाड़ तलाशने लगा। उसके बगल में बिहार पैवेलियन था जिसके बाहर एक चबूतरा-सा बना था और उस पर घास लगाई गई थी। पैवेलियन खाली था, कोई भी उधर का रुख नहीं कर रहा था इसलिए खाली देख मैं उस चबूतरे पर जाकर बैठा और मजे से कहवा पीने लगा। कहवा स्वादिष्ट था, उसमें केसर भी पड़ी थी और कुछ ड्राई फ्रूट्स भी। तभी एक अधेड़ महिला की कर्णकटु आवाज सुनाई पड़ी- ओए, तू उत्थे किद्दर जा रही ए? वो तो बिहार है उत्थे कुच्छ नहीं ए।

Advertisement. Scroll to continue reading.

यह वाक्य मुझे खला और कहवा का कप डस्टबिन में फेक मैं बिहार पैवेलियन के अंदर चला गया। अंदर भी जो दर्शक आए थे उसमें से अधिकांश ऐसा सलूक कर रहे थे मानों वे बिहार पैवेलियन को उपकृत करने के मकसद से अंदर आए हों। दिल्ली के छोकरे हरियाणवी लहजे में कह रहे थे कि यहां तो सत्तू मिलेगा। पर मैं जब अंदर गया तो सनाका खा गया। बहुत ही सुंदर पैवेलियन बनाया हुआ है। वहां जाकर मधुबनी कला की तमाम कलाकृतियां मैने खरीदीं और खासकर राजबाड़ी चाय। बहुत अच्छी और बिहार की पुरानी चाय। जीविका से कुछ हस्तकला की सामग्री खरीदी और बाहर निकलते समय गैलरी में मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की आदमकद फोटो देखीं और साथ में श्री मांझी द्वारा किए गए कार्यों का भी उल्लेख था। उनसे पता चला कि बिहार के मुख्यमंत्री ने तो वहां के अपने पूर्ववर्ती मुख्यमंत्रियों को बहुत पीछे छोड़ दिया है। मसलन बिहार ने कन्या भ्रूण हत्या रोकने का ही काम नहीं किया है बल्कि कन्या के जन्म पर परिवार को 2000 रुपये का अनुदान मांझी सरकार उदारतापूर्वक दे रही है। इसके अलावा कन्या शिक्षा तथा विवाह तक सरकार कुछ न कुछ करती ही रहती है। मेरा दिल भर आया और बिहार के मुख्यमंत्री श्री जीतनराम मांझी के प्रति मेरा मन कृतज्ञ हो उठा।
खैर आप टीवी और अखबारी पत्रकारों के झांसे में मत आइएगा। मैं लोक कल्याणार्थ कुछ एडवाइजरी डाल रहा हूं। आप यह व्यापार मेला देखने अवश्य जाएं और खूब घूमें पर मेरी एडवाइजरी के हिसाब से चलेंगे तो कम खर्च कर और कम थक कर इस मेले का पूरा मजा लेंगे। एडवाइजरी पर गौर करें-

1. ध्यान रखें मेला परिसर में बहुत चलना पड़ता है इसलिए मेले में जाते समय आप कैजुयल ड्रेस पहनें। फार्मल जूतों की बजाय स्पोर्टस शू ही पहनें।
2. पीने का पानी अवश्य ले जाएं।
3. अगर कुछ खरीदारी करनी है और जरूर करनी चाहिए तो अपने घर से एक बड़ा-सा झोला जरूर ले जाएं। वहां के कैरीबैग बहुत छोटे और जल्दी ही फट जाते हैं।
4. आप बेहतर रहे कि अपने साथ किसी साथी को भी ले जाएं। परस्पर बातचीत करते रहने से आप कम थकेंगे और कम बोर होंगे।
5. हर पैवेलियन में कुछ खाएं-पिएं जरूर। खासकर राजस्थान और महाराष्ट्र के पैवेलियन में। राजस्थान में आप खाखड़ा के साथ लहशुन की चटनी खा सकते हैं और मीठे में तिलपट्टी तथा महाराष्ट्र में पाव-भाजी, पाव बड़ा या बटाटा बड़ा। और गर्मागर्म चाय।
6. जेएंडके में आप कहवा पीकर आएं। यह कम ही मौका मिलेगा।
7. खरीदारी करनी हो तो आप जेएंडके से गर्म कपड़े, फिरन, और शालें खरीद सकते हैं। हिमाचल में भी गर्म ऊनी कपड़े तथा सेब का जूस भी ले सकते हैं।
8. असम से चाय जरूर खरीदें। खासकर अगर आप चाय की किस्मों के शौकीन हैं तो टी बोर्ड के स्टाल से किस्म-किस्म की चाय पत्ती खरीदें।
9. मणिपुर से रंग-बिरंगे स्वेटर और बांस का सामान खरीद सकते हैं तथा बांस का अचार भी लें।
10. नगालैंड से स्वेटर, रंग-बिरंगे मफलर और बांस का हस्तशिल्प ले सकते हैं।
11. सिल्क की साडिय़ां व कुर्ते खरीदना चाहें तो बंगाल व असम का टसर और बिहार के भागलपुर स्टाल से ले सकते हैं।
12. कुछ और पैसा खर्च करना चाहें तो कर्नाटक से हस्तशिल्प की तमाम नायाब चीजें खरीद सकते हैं। सिल्क भी और एक से बढ़कर एक सुंदर और मंहगी साडिय़ां भी। चंदन की लकड़ पर उत्कीर्ण मूर्तियां और जड़ाऊ गहने व कपड़े।
13. आंध्र से आप फ्रूट हलवा जरूर खरीदें और मदरासी मैथा भी। यह मैथा डायबिटीज के लिए उपयोगी है। लेकिन वहां पर मैथा बेचने वाला व्यक्ति उत्तर भारतीय है और उससे बारगेन जरूर करिए। जो दाम वह बताए उससे आधा दाम लगाएं।
14. तेलांगना से आप यूनानी दवाएं खरीद सकते हैं। यहां घुटने के दर्द और जुखाम तक के ड्राप मिल जाएंगे।
15. तेलांगना पैवेलियन में आप बेहद खूबसूरत लेकिन बुर्के में ढकी, सिर्फ चेहरा छोड़कर तन्वंगी हैदराबादी बालाओं को देखकर दंग रह जाएंगे।
16. केरल के पेय, सूखी मछली के अचार, समुद्री जल-जंतुओं की चटनी खरीद सकते हैं पर मुझ सरीखे शाकाहारियों के लिए ये लाजवाब लुभावनी पर लजीज चीजें बस देखने भर की हैं। यहां आप आयुर्वेदिक दवाएं और मालिश के लिए तेल किस्म-किस्म के खरीद सकते हैं। यहां से आप काली मिर्च और जावित्री जरूर खरीदें।
17. तमिलनाडु मुझे बहुत पसंद है। आप यहां से इडली, सांभर बनाने का सामान, तमाम तरह के मसाले और आर्ट ज्वेलरी जरूर लें। महंगी से महंगी और ईमानदारी भी।
18.यूपी, हरियाणा, दिल्ली और पंजाब तथा गुजरात में खरीददारी न ही करें। यहां कोई चीज असली नहीं दिखी।
19. जूतों पर लूट मची है। पर अगर आपको जूते खरीदने हों तो महाराष्ट्र के कोल्हापुर स्टाल से ही लें।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बाकी आप ठगाही से बचें और जेबकतरों से भी तथा अन्य जिनसे भी आपको एलर्जी हो। पर जाएं जरूर। मेला सुंदर है स्थल के लिहाज से भी और आने वालों के लिहाज से भी।

वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ शुक्ल के फेसबुक वॉल से.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement