सुजीत सिंह प्रिंस-
फ्लैट के एवज में ले ली लाखों की धनराशि फिर भी नहीं दिया फ्लैट… बिल्डर पर धोखाधड़ी और फ्लैट हड़पने का आरोप…
गाजियाबाद के सिद्धार्थ विहार में टी-एंड-टी नाम की सोसाइटी में मंजू अग्रवाल ने एक फ्लैट बुक कराया था। इसके एवज में उन्होंने 60 लाख से भी ज्यादा की धनराशि बिल्डर कंपनी को दे दिया लेकिन जब फ्लैट लेने का समय आया तो बिल्डर ने एक लेटर जारी कर फ्लैट का आवंटन रद्द कर दिया गया।
मंजू अग्रवाल का आरोप है कि बिल्डर के पास किसी तरह का कोई वैध कारण नहीं है कि वह उनके फ्लैट के आवंटन को रद्द कर सके। उनके फ्लैट पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से लोन है जिसके असली दस्तावेज स्टेट बैंक के पास गिरवी है। ऐसे में जब बिल्डर के पास कोई असली दस्तावेज ही नहीं तो बिल्डर कैसे उनके फ्लैट का आवंटन रद्द कर सकता है।
मंजू अग्रवाल ने आरोप लगाया कि टीएंडटी कंपनी का डायरेक्टर अंकुश त्यागी उनके फ्लैट को हड़प कर किसी अन्य तीसरे को लाखों का मुनाफा कमाकर बेचना चाहता है। इसके बाबत उन्होंने गाजियाबाद पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव को शिकायत भेजी है जिस पर जांच जारी है।
उनका यह भी आरोप है कि बिल्डर द्वारा उन पर लगातार फ्लैट आवंटन रद्द करने का दबाव बनाया जाता रहा है लेकिन जब वह नहीं मानी तो बिल्डर द्वारा सभी नियम कानूनों को ताक पर रखकर उनसे करीब ₹ सात लाख की अवैध मांग की गई जिसे लेट पेनल्टी बताया गया। इसके खिलाफ उन्होंने रेरा में केस दायर कर दिया। रेरा में केस दायर होने के बावजूद बिल्डर ने उनको फ्लैट आवंटन रद्द किए जाने का दस्तावेज जारी कर दिया।
उनका यह भी आरोप है कि बिल्डर द्वारा उन पर दबाव बनाने के लिए यह दस्तावेज जारी किया गया है जब बिल्डर के पास असली दस्तावेज ही नहीं है तो बिल्डर कैसे उनके फ्लैट के आवंटन को रद्द कर सकता है। फ्लैट की पूरी कीमत वह बिल्डर कंपनी को अक्टूबर 2022 में ही अदा कर चुकी हैं। ऐसे में बिल्डर ने उन्हें नॉन-पेमेंट का डिफॉल्टर बता आवंटन रद्द करने का लेटर जारी कर दिया। उनका कहना है कि बिल्डर द्वारा किया गया यह कृत्य पूरी तरह धोखाधड़ी और अमानत में खयानत की श्रेणी में आता है। इसके लिए उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस को मुकदमा दर्ज करने तथा बिल्डर पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए शिकायत दे दी है जिस पर जांच जारी है।
गौरतलब है कि इस तरह के आरोप कई बार बिल्डर कंपनियों पर लगाए गए हैं। इसी के चलते केंद्र सरकार द्वारा रेरा बनाया गया था। फिर भी बिल्डरों की मनमानी जारी है।
हाल ही में जनवरी माह 2023 में इसी तरह के एक मामले में हरियाणा रेरा द्वारा एक आदेश पारित किया गया जिसमें यह कहा गया है कि 50% राशि बिल्डर को अदा करने के बाद बिल्डर किसी भी सूरत में आवंटन रद्द नहीं कर सकता। वहीं एक अन्य आदेश में रेरा का आदेश ना मानने पर बिल्डर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। लोगों को उनके आशियाने का सपना दिखाकर उनकी गाढ़ी कमाई से प्रोजेक्ट बनाया जाता है और जब सोसाइटी बनकर तैयार होती है तो अधिकतर खरीददार का यह सपना सपना बनकर ही रह जाता है।