इलैक्ट्रॉनिक मीडिया की चमक-दमक देख कर ऐसा लग सकता है कि इसमें कार्यरत एंकर और पत्रकार अच्छे वेतन के साथ ही अच्छे माहौल और सेवा शर्तों के अधीन कार्य करते हैं। लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता। तनु शर्मा प्रकरण ने मीडिया की चमक के पीछे की सच्चाई को सामने ला दिया है जहां संविदा(कॉन्ट्रैक्ट) कर्मियों को मालिकों की अजीबो-गरीब शर्तों के अधीन काम करना पड़ता है। मालिकान ऐसी शर्तों के साथ कॉनट्रैक्ट करते हैं कि कर्मचारी के लिए नौकरी छोड़ना मुश्किल भरा कदम हो जाता है। ये भी सही है कि कर्मचारी भी मीडिया की चमक, उसके ग्लैमर पॉवर और पैसे के लालच में ऐसे कॉनट्रैक्ट में खुद को बांध लेते हैं।
तनु शर्मा ने इंडिया टीवी के साथ तीन साल का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था। कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों के अनुसार तनु को नौकरी छोड़ने का अधिकार नहीं था। यदि तनु अपनी इच्छाानुसार ऐसा करती तो उसे भारी भरकम राशी जुर्माना के तौर पर इंडिया टीवी को देनी होती। कॉन्ट्रैक्ट के टर्मिनेशन क्लॉज़ में लिखा है कि इंडिया टीवी तो तनु को तीन महीने का नोटिस देकर कॉन्ट्रैक्ट समाप्त कर सकता है लेकिन ‘The Presenter does not have any right to terminate this agreement’ अर्थात प्रजेन्टर को कॉन्ट्रैक्ट समाप्त करने का कोई अधिकार नहीं है। यदि तनु नौकरी छोड़ती है तो उसे छह महीने के वेतन के बराबर राशी इंडिया टीवी को देनी होती।
तनु द्वारा भेजे गए एक एसएमएस को इस्तीफा मानते हुए इंडिया टीवी ने उसका कॉन्ट्रैक्ट समाप्त तो कर दिया है लेकिन अभी ये साफ नहीं हुआ है कि इंडिया टीवी तनु द्वारा कॉन्ट्रैक्ट तोड़ने पर जुर्माने का दावा करेगा या नहीं या कर दिया है।
narain
June 29, 2014 at 9:22 am
contract पढ़ कर ऐसा लगता है कि रजत जी कोई मीडिया संस्थान नहीं बल्कि लाला जी की दुकान चला रहे हैं. समझ में नहीं आता कि ये कैसा करार है जिसमें लाला जी को सब कुछ काम करने वाला मानो कोई बंधुआ मजदूर . शर्म आनी चाहिए ऐसे संस्थान को इसमें काम करने वालों को.
Raj
June 30, 2014 at 1:17 am
ऐसे एकतरफा कांट्रेक्ट की कोई कानूनी अहमियत होती है क्या