इंडियन एक्सप्रेस तथा विवेक गोयनका द्वारा श्री प्रशांत गोयनका और अन्य लोगों के खिलाफ माननीय बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष एक मुकदमा दायर किया गया है, जिसके तहत यह आरोप लगाया गया है कि स्वर्गीय श्री रामनाथ गोयनका के नाम और छवि का उपयोग बेंगलुरु से प्रकाशित श्री गोयनका के अखबार में किया जा रहा है। इंडियन एक्सप्रेस तथा विवेक गोयनका के आरोपों के अनुसार, श्री प्रशांत गोयनका खुद को स्वर्गीय श्री रामनाथ गोयनका के पोते बताते हैं और इस तरह वे अपनी पहचान को इंडियन एक्सप्रेस समूह के साथ भी जोड़ते पाए गए हैं।
यह मामला 20 नवंबर, 2019 को अंतरिम राहत के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया था, जहां इंडियन एक्सप्रेस तथा विवेक गोयनका का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ वकील दीनयार मैडोन ने किया, वहीं श्री प्रशांत गोयनका की ओर से दलील काउंसलर नौशेर कोहली ने कोर्ट के समक्ष रखी। दोनों पक्षों की संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद, बॉम्बे हाई कोर्ट ने श्री प्रशांत गोयनका के समाचार पत्र में स्वर्गीय श्री रामनाथ गोयनका के नाम और छवि के उपयोग पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है।
फैसले पर प्रशांत गोयनका ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित पूर्वकथित आदेश केवल एक अल्पकालिक यानी अस्थायी आदेश है। उन्होंने बताया, इसका मतलब यह कतई नहीं है कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा इंडियन एक्सप्रेस समूह तथा विवेक गोयनका के तर्कों को विशेष रूप से स्वीकार किया गया है या उनके (प्रशांत गोयनका के) तर्कों को पूर्णत: खारिज या अनदेखा किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि कानूनी मुद्दों को अभी अंतिम रूप से सुलझाया जाना बाकी है और वह अगली तारीख यानी 6 सप्ताह के बाद माननीय न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे।
प्रशांत गोयनका ने कहा कि उन्हें कानूनी प्रणाली पर पूरा भरोसा है और ये विश्वास है कि इंडियन एक्सप्रेस गु्रप तथा विवेक गोयनका द्वारा दायर मुकदमे को अंतत: माननीय उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया जाएगा। श्री गोयनका वर्तमान में अपनी कानूनी सलाहकार श्रीमान आदित्य दीवान से परामर्श कर रहे हैं ताकि उपलब्ध कानूनी विकल्पों का लाभ उठाया जा सके।
श्री गोयनका ने आगे कहा कि किसी भी परिस्थिति में, उन्हें इंडियन एक्सप्रेस का नाम या उस समुह का लोगो (चिह्न) का उपयोग करने में कोई दिलचस्पी नहीं है और न ही वह ऐसा कर रहे हैं। श्री गोयनका ने यह भी बताया कि उनके खिलाफ दायर मामला इंडियन एक्सप्रेस के प्रबंधन और मामलों से संबंधित नहीं है। यह मामला केवल इस बात तक प्रतिबंधित है कि वे अपने पूर्वज श्री रामनाथ गोयनका की छवियों का उपयोग कर सकते हैं या नहीं। उनके अनुसार, श्री रामनाथ गोयनका के प्रति उनके मन में आदर, प्रेम व असीम सम्मान है और वे कई वर्षों से यह प्रयास कर रहे हैं कि श्री रामनाथ गोयनका को उनके योगदानों के लिए भारत के सर्वोच्च सम्मान यानी भारत रत्न से सम्मानित किया जाए।
हालांकि अब यह मामला बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष आगामी 6 सप्ताह के बाद प्रस्तुत किया जाना है।