-निर्मलकांत शुक्ला
पीलीभीत के भाजपा सांसद वरुण गांधी लगातार किसान आंदोलन के दौरान किसानों की मांगों का समर्थन कर सुर्खियों में हैं। वह देश के एकमात्र ऐसे सांसद हैं जो अपनी ही सरकार के लाए गए तीनों कृषि कानूनों का सार्वजनिक रूप से विरोध करते रहे। समय-समय पर केंद्र सरकार को पत्र लिखकर और ट्विटर के जरिए किसानों की मांगों के समर्थन में उनकी बात को रखते रहे हैं।
शनिवार को उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर एक चिट्ठी लिखी जिसमें तीनों कृषि कनून को वापस लिए जाने पर उनका साधुवाद किया है। प्रधानमंत्री के फैसले का स्वागत किया। मगर किसान आंदोलन में 700 से ज्यादा किसानों की शहादत के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराने से भी नहीं चूके। उन्होंने प्रधानमंत्री से पत्र में साफ कहा कि यह निर्णय यदि पहले ले लिया जाता तो इतनी बड़ी जनहानि नहीं होती। अब वरुण ने शहीद किसानों के लिए एक-एक करोड़ों रुपए मुआवजा दिये जाने की सिफारिश की है।
उन्होंने किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज की गई सभी एफआईआर निरस्त करने की भी मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि एमएसपी पर कानून के बगैर यह आंदोलन समाप्त नहीं होगा और किसानों में रोष बना रहेगा, किसानों की इस मांग को भी तत्काल मान लेना चाहिए।
शनिवार को पीएम को लिखी चिट्ठी में वरुण ने लखीमपुर कांड के लिए अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बयान और किसान आंदोलन को लेकर सरकार की उपेक्षा पूर्ण रवैया का ही नतीजा लखीमपुर की घटना है।
सांसद वरुण गांधी ने अपनी ही पार्टी की सरकार के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री को लखीमपुर की घटना में लिप्त बताते हुए उन पर सख्त कार्रवाई की मांग पीएम को लिखी चिट्ठी में की है।