क्या नोएडा में लॉ एंड ऑर्डर बचा है? अपराधी मानसिकता के संपादक के ख़िलाफ़ ऐक्शन लेने में क्यों घिग्घी बंध जाती है पुलिस की?
नोएडा पुलिस सच में प्रभावशाली लोगों के चंगुल में है? आईपीएस बढ़ गए, फिर भी थानों में नहीं होती ग़रीबों की सुनवाई!
कल से भड़ास पर विशेष सीरिज़ पढ़ेंगे आप!
खुलासा होगा कि नोएडा पुलिस की ऐसी तैसी करने वाले अपराधी संपादक अतुल अग्रवाल के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई करने से क्यों घबड़ाते हैं पुलिस कमिश्नर?
अतुल अग्रवाल के चंगुल से बची महिला पत्रकार की लिखित शिकायत को क्यों हज़म कर गए कमिश्नर आलोक सिंह?
फ़र्ज़ी लूटकांड की कहानी रचने वाले अतुल अग्रवाल ने नोएडा पुलिस को नचा दिया। पर फ़र्ज़ीवाड़े का खुलासा करने के बावजूद झूठी सूचना देने, पुलिस को बदनाम करने की साज़िश रचने, पुलिस को जानबूझ कर परेशान करने का केस क्यों नहीं लिखवा पाए कमिश्नर? सोचिए अतुल अग्रवाल की जगह कोई दूसरा शख़्स यही हरकत किया होता तो उसका क्या हश्र करती पुलिस?
फ़र्ज़ी लूटकांड की पुलिसिया खुलासे की खबर छापने वाले पत्रकारों पर अतुल अग्रवाल की दो कौड़ी की कंप्लेन पर क्यों झूठी एफआईआर दर्ज कर लेती है नोएडा की साइबर क्राइम थाने की पुलिस?
ओयो कांड और फ़र्ज़ी लूट कांड के पुलिसिया खुलासे से बौखलाए अतुल अग्रवाल ने अपने चैनल हिंदी खबर पर नोएडा पुलिस और इसके कमिश्नर आलोक सिंह के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया। क्या कुछ नहीं दिखाया, क्या कुछ नहीं कहा, क्या कुछ आरोप नहीं लगाया! लेकिन अतुल अग्रवाल के सारे खून माफ़। अतुल अग्रवाल का नाम सामने आते ही ध्यान मुद्रा में चले जाते हैं आलोक सिंह!
अतुल अग्रवाल ने नोएडा के पुलिस कमिश्नर की कौन सी कमजोर नस दबा ली है जो उसके सौ खून माफ़ और हम गरीब पत्रकारों पर बिना कुछ किए ही मुक़दमा?
सारे मसलों सवालों पर सिलसिलेवार बात होगी क्योंकि बात निकली है तो दूर तलक जाएगी! अपराधी संपादक की पोल तो खुलेगी ही, उसके सामने थर थर कांपती नोएडा पुलिस की भी असलियत अब सामने आएगी!
-यशवंत (एडिटर, भड़ास)