Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

आज के समय में शायद ही कोई ऐसी खबर छापे

द टेलीग्राफ का आज का पहला पन्ना भी देखने लायक है। पढ़ने लायक तो रोज होता है। अखबार की लीड खबर सबसे अलग है। आज के समय में शायद ही कोई ऐसी खबर छापे और आज शायद ही कहीं किसी अखबार में यह लीड हो। चार कॉलम में तीन लाइन का शीर्षक वैसे भी अपवाद है। इस खबर और शीर्षक से संबंधित टिप्पणी पोस्ट कर चुका। अब देखिए टॉप बॉक्स में क्या गया है। आपकी सुविधा के लिए अनुवाद पेश है। जल्दबाजी में कामचलाऊ….

प्रधानमंत्री जी अभी जनवरी ही है अगर आपने एक अप्रैल समझ लिया हो तो

नीचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण के अंश हैं जो उन्होंने आईआईएम कोझिकोड में आयोजित एक सेमिनार में गुरुवार को कहे। विषय था, ग्लोबलाइजिंग इंडियन थॉट (यानी भारतीय विचारों का भूमंडलीकरण या वैश्वीकरण)। मोदी इसमें दिल्ली से वीडियो के जरिए बोले। उत्तर केरल के कोझीकोड में नए नागरिका मैट्रिक्स (आव्यूह – एक सांस्कृतिक, सामाजिक या राजनीतिक माहौल जिसमें कुछ विकसित होता है के लिए हिन्दी शब्द) के खिलाफ कई विरोध चल रहे हैं – कुछ अभिनव।

भाजपा शासित उत्तर प्रदेश और दिल्ली में जहां पुलिस केंद्र को रिपोर्ट करती है, ऐसे विरोध के खिलाफ बर्बर शक्ति का उपयोग किया गया है। संकेत यह नहीं था कि असम मामले से अलग, प्रधानमंत्री प्रदर्शन के कारण कोझीकोड नहीं गए। जहां सीएए आंदोलन ने मोदी को एक द्विपक्षीय सम्मेलन को रद्द करने और एक खेल आयोजन में जाने से बचने के लिए मजबूर किया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अब भाषण के अंश (बिन्दुवार)

मोटे तौर पर कुछ आदर्श हैं जो भारतीय मूल्यों के केंद्र में बने हुए हैं। ये हैं दया, सद्भाव, न्याय, सेवा और खुलापन। सदियों से हमने अपने यहां दुनिया का स्वागत किया है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

नासमझ घृणा, हिन्सा, टकराव और आतंकवाद से आजादी चाहने वाली दुनिया में भारतीय जीवनशैली उम्मीद की किरण है। टकराव से बचने का भारतीय तरीका बर्बर शक्ति नहीं है बल्कि बातचीत की ताकत है।

पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष ने कहा भाजपा शासित राज्यों में सीएए विरोधियों को कुत्तों की तरह मारा गया।

द टेलीग्राफ ने आज यह खबर छापी है। शीर्षक का हिन्दी अनुवाद कुछ इस तरह होगा, अगर प्रदर्शनकारियों को कुत्तों की तरह मारा गया तो पुलिस वालों पर ‘सौम्य’ पेलेट चले

Advertisement. Scroll to continue reading.

नेताओं के झूठ और बयानों का मुकाबला अखबारों को ऐसे ही करना चाहिए।

लखनऊ डेटलाइन से अखबार के संवाददाता पीयूष श्रीवास्तव ने इस खबर में लिखा है, उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक ओपी सिंह ने कहा, पुलिस ने नागरिकता संशोधन के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों पर गोली नहीं चलाई। गोलियां ज्यादातर प्रदर्शनकारियों में शामिल अपराधियों ने चलाई।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अपने भिन्न सूत्रों से बातचीत के आधार पर टेलीग्राफ ने लिखा है कि 40 नागरिकों (प्रदर्शनकारियों और वहां से गुजरने वालों) को गोली (गनशॉट) लगी जो राइफल या रिवॉल्वर से चलाई गई थी। ज्यादातर को सिर, सीने और पेट में गोली लगी। इसके ठीक उलट ऐसा लगता है कि सभी 61 पुलिसवालों, सीआरपीएफ वालों और नागरिक प्रशासन के 18 अधिकारियों को आग्नेयास्त्रों से लगे जख्म ‘पेलेट’ के थे।

सूत्रों ने कहा कि ये सभी जख्म बाहों और पैरों में थे और तकरीबन सभी जख्मी 40 घंटे के अंदर अस्पताल से छोड़ दिए गए। जिन 40 नागरिकों को गोली लगी थी उनमें से 19 की मौत हो गई। तीन हफ्ते बाद, 12 जनवरी को पांच अब भी अस्पताल में हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह की वॉल से.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement