विश्व दीपक-
कल अमेरिका की मशहूर ‘टाइम’ मैगज़ीन ने बताया कि सुपर पीएम ने भारत के लोगों के लिए पर्याप्त वैक्सीन नहीं खरीदी जिसका खामियाजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ रहा.आज एक आरटीआई मिली जिससे साबित होता है कि ‘टाइम’ का दावा सही था. भारत तो भुगत ही रहा सात साल से अब दुनिया को भी भुगतना पड़ेगा.
पिछले 70 साल की सबसे मजबूत और सक्षम सरकार ने डेढ़ अरब की आबादी वाले देश के लिए अब तक वैक्सीन की करीब 29 करोड़ डोज ही खरीदी है. इसमें से 21 करोड़ डोज पूनावाला के सीरम इंस्टीट्यूट से और करीब 8 करोड़ डोज भारत बायोटेक से खरीदी गई.
जबकि भारत को चाहिए कितनी डोज?
1 अरब 40 करोड़ x2 = 2.800000000
खुद तय कीजिए कि यह सरकार कितनी तेज़, निर्णायक और काबिल है?आंकडे़ 28 मई तक के यानि सिर्फ एक दिन पहले तक के हैं.
हिसाब लगते हुए ज़रूर याद रखियेगा कि भारत में महामारी का पहला केस करीब डेढ़ साल पहले 27 जनवरी 2020 को दर्ज किया गया था, कि एक साल बाद वैक्सिनेशन की 16 जनवरी 2021 को कर दी गई थी, कि भारत वैक्सीन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है फिर भी आज आबादी के पांचवें हिस्से तक के लिए वैक्सीन नहीं है सरकार के पास.
थाली, शंख और छाती पिटवाने की सुप्रीम लीडर की सुपर योजनाओं पर नहीं जाऊंगा. बस इतना और जान लीजिए की इस साल सक्षम सरकार ने वैक्सिनेशन के लिए बजट निर्धारित किया था 35 हज़ार करोड़. इसमें से पांच हजार करोड़ भी खर्च नहीं हुए.
यानि तीस हज़ार करोड़, जो कि हमारा आपका पैसा है, खजाने में पड़ा है. सरकार बहादुर का दावा है कि अभियान जारी है और दिसंबर तक सबको टीका लगा जाएगा. तब तक आप इंतजार कीजिए…गर सलामत रहे तो टीका भी मिल ही जाएगा.