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लेबर कमिश्नर तो दैनिक भास्कर के तोते की तरह बोल रहा!

राजस्थान में मजीठिया वेज बोर्ड के तहत अपने हक के लिए लड़ाई लड़ रहे मीडियाकर्मियों के केस को श्रम विभाग बिलकुल ही गंभीरता से नहीं ले रहा. श्रम विभाग के बड़े अधिकारी ऐसे बोल रहे हैं जैसे वो दैनिक भास्कर के तोते हों. जिस श्रम विभाग की स्थापना आम कर्मियों के हित की देखभाल के लिए की गई थी, वही श्रम विभाग अब प्रबंधन का सबसे बड़ा रक्षक बन गया है. मामला दैनिक भास्कर कोटा और दैनिक भास्कर भरतपुर की यूनिटों का है. यहां के दर्जनों कर्मियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद श्रम विभाग में मजीठिया वेज बोर्ड के तहत अपना बकाया मांगने हेतु केस लगाया है.  इस मामले में रिकवरी डेट 30 नवंबर को जयपुर में थी. इसमें दैनिक भास्कर ने अपने जवाब में 20जे के अंडरटेकिंग को पेश किया है.

राजस्थान में मजीठिया वेज बोर्ड के तहत अपने हक के लिए लड़ाई लड़ रहे मीडियाकर्मियों के केस को श्रम विभाग बिलकुल ही गंभीरता से नहीं ले रहा. श्रम विभाग के बड़े अधिकारी ऐसे बोल रहे हैं जैसे वो दैनिक भास्कर के तोते हों. जिस श्रम विभाग की स्थापना आम कर्मियों के हित की देखभाल के लिए की गई थी, वही श्रम विभाग अब प्रबंधन का सबसे बड़ा रक्षक बन गया है. मामला दैनिक भास्कर कोटा और दैनिक भास्कर भरतपुर की यूनिटों का है. यहां के दर्जनों कर्मियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद श्रम विभाग में मजीठिया वेज बोर्ड के तहत अपना बकाया मांगने हेतु केस लगाया है.  इस मामले में रिकवरी डेट 30 नवंबर को जयपुर में थी. इसमें दैनिक भास्कर ने अपने जवाब में 20जे के अंडरटेकिंग को पेश किया है.

इस 20जे अंडरटेकिंग वाले पेपर पर 31 मई 2014 को मीडियाकर्मियों से हस्ताक्षर कराए गए थे लेकिन कागज पर 16 nov 2011 की तारीख अंकित है, जो गलत है. साथ में दैनिक भास्कर की तरफ से जवाब भी प्रस्तुत किया गया है. कई कर्मियों ने नोटरी हुए कागज़ पर खुद के साइन न होने की बात कही है. ये सब कुछ दैनिक भास्कर प्रबंधन की चार सौ बीसी का मामला लग रहा है.

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लेबर कमिश्नर धनराज का कहना है कि भास्कर कर्मियों का कोई प्रापर केस नहीं बनता. उनके मुताबिक ना तो सुप्रीम कोर्ट डिसाइड कर रहा है और न कोई अन्य कोर्ट. उन्होंने अगली डेट 26 दिसंबर 2016 दी है और कहा है कि ये अंतिम डेट है, इसके बाद कोई डेट नहीं मिलेगी. लेबर कमिश्नर का कहना है कि कर्मियों के पास कोई साक्ष्य नहीं है और वे कर्मियों द्वारा दिए गए पेपर्स से सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि कर्मियों ने जो अंतरिम बकाया राशि पेश किया है, उसे कैसे मान लें. भास्कर कोई राशि देने को तैयार नहीं है. कर्मियों की राशि का निर्धारण ना तो लेबर कोर्ट से हुआ है और न ही सुप्रीम कोर्ट से.

इस तरह लेबर कमिश्नर की बात से साफ लग रहा है कि वे भास्कर के तोते की तरह बोल रहे हैं और भास्कर के पालतू की तरह आचरण कर रहे हैं. उनके पास खुद का कोई तर्क नहीं है. लगता है जैसे भास्कर वालों ने उन्हें अच्छे से खिला पिला कर लिखा पढ़ा दिया है और वही बातें वे दोहरा रहे हैं. ये भी बताया जा रहा है कि धनराज लेबर कमिश्नर के पद से जल्द रिटायर होने वाले हैं. ऐसे में कई भास्कर कर्मी अब आगे इन अधिकारी महोदय के खिलाफ केस करने की तैयारी कर रहे हैं.

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0 Comments

  1. Hemant Rajput

    December 8, 2016 at 4:01 am

    Sathiyo ab apneko ek he rasta bacha he ke majithia ki ladai lad rahe sabhi sathi jis tarah apne prabandhan ke khilaf sanghatan karke lad rahe ho usi taraha Labour Department ke kilaf High Cour me jana chaiye aur cour me 20 je ka clause, working journalist act aur majithia notification me diye clause in sabhi ko sabout taur pe labour department ke kilaf high court me jana chahie. Mane maharashtra se ye karvai karne ki tayari chalu kar diya he

    Dhanyawad

    Hemant Rajput
    Dainik Divya Marathi Aurangabad
    Cell No9689942149

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