शनिवार रात राष्ट्रीय सहारा की नोएडा, लखनऊ, देहरादून, गोरखपुर, वाराणसी यूनिटों में तो हालात असामान्य रहें, अखबार कर्मियों ने कार्य बहिष्कार जारी रखा लेकिन कानपुर और पटना यूनिट के सहारा कर्मियों ने दगाबाजी कर दी। कानपुर और पटना के न्यूज रूम में प्रबंधन की चाल कामयाब रही। मीडिया कर्मियों ने स्थानीय स्तर पर खबरें संकलित-संपादित कर मास्टर एडिशन छाप दिया। इससे डूबते प्रबंधन को तिनके का सहारा मिल गया।
उधर, राष्ट्रीय सहारा देहरादून के कर्मचारियों की एकजुटता रंग लायी । प्रबंधन की लाख कोशिश के बाद भी कर्मचारी नहीं झुके। हलांकि संपादक और यूनिट हेड ने लाख कोशिश की कि आफिस कापी ही छापने के लिए सहमत हो जाएं लेकिन कर्मचारी टस से मस नहीं हुए । इस बीच अफवाह फैलाई गई कि कानपुर, पटना और गोरखपुर सिटी और उर्दू संस्करण छप रहे हैं, आप लोग ही क्यों नोएडा-नोएडा की रट लगाए हो । अंत में प्रबंधन ने ब्रह्मास्त्र के रूप में प्रिंटिंग हेड दिगम्बर को भेजा लेकिन उनकी भी मुस्कुराहट काम नहीं आई। रात्रि पाली के कर्मचारी एक साथ पूरी रात बैठे रहे । अगली रणनीति के तहत अब लेबर आफिस का दरवाजा खटखटाने को सोचा जा रहा है ।
गौरतलब है कि सहारा नोएडा की हड़ताल देहरादून (उत्तराखंड) तक दस्तक दे चुकी है। पटना, वाराणसी, गोरखपुर, लखनऊ सहारा में कल शाम से जारी आंदोलन की सुगबुगाहट ने शनिवार शाम नया मोड़ ले लिया। लखनऊ में मीडिया कर्मियों ने कार्य-बहिष्कार कर दिया। देहरादून में हड़ताल हो गई। पटना, गोरखपुर, वाराणसी में भी मीडिया कर्मी हाथ-पर-हाथ धर लिए। बाद में कानपुर और पटना के सहारा कर्मी प्रबंधन के झांसे में आ गए। बताया गया है कि इस दौरान प्रबंधन के चमचे पूरी तरह से सक्रिय रहे।
वैसे सहारा में अदंर ही अदंर हालात इतने गंभीर हो चले हैं कि ग्रुप के मुख्यालय में ही शनिवार को भी नोएडा में संपादकीय प्रमुख की एक न चली। हड़ताल जारी रही। सहारा की सभी यूनिटों में वेतन न मिलने से भारी रोष है। लखनऊ सहारा में शनिवार शाम जनरल डेस्क के इंचार्ज शशिधर द्विवेदी से स्थानीय संपादक मनोज तोमर की पेज बनाने को लेकर झड़प हो गई। सारे मीडिया कर्मी काम छोड़कर बरामदे में बैठ गए। डेस्क और रिपोर्टिंग सेक्शन दोनों के मीडिया कर्मियों ने नोएडा के हालात से खुद को जोड़ते हुए कार्य बहिष्कार कर दिया। हालात यहां तक पहुंच गए कि अखबार के लिए कोई संपादकीय लिखने वाला नहीं। रिटायर हो चुके रिपोर्टिंग इंचार्ज विजय शंकर पंकज को किसी तरह संपादकीय लिखना पड़ा। मीडिया कर्मी उनकी इस दयनीय हालत पर खिल्ली उड़ाते नजर आए। लखनऊ के अलावा देहरादून, वाराणसी, गोरखपुर आदि यूनिटों में भी कमोबेश यही हालात रहे।
ashok
July 12, 2015 at 7:45 am
गोरखपुर में भी छपा मास्टर एडीशन
adnan
July 13, 2015 at 4:01 pm
kanpur me manager ne kisi se paisa le rakha hoga khabar chhapne ke liye becoz salary to mil nahi rahi hai to manager raddi bechkar kam chala lete hain inki purani aadat hai jb bhi ye knp me rahe hain khoob paisa kamate hai to inko sangthan se matlab hi nahi hai jb bachare reportaro ki samajh aaya tb strike ki knp me
adnan
July 13, 2015 at 4:02 pm
kanpur me manager ne kisi se paisa le rakha hoga khabar chhapne ke liye …..purani aadat hai jb bhi ye knp me aaye hain khoob paisa kamaya hai to inko sangthan se matlab hi nahi hai jb bachare reportaro ki samajh aaya tb strike ki knp me
adnan
July 13, 2015 at 4:05 pm
kanpur me manager ne kisi se paisa le rakha hoga khabar chhapne ke liye …..purani aadat hai jb bhi ye knp me aaye hain khoob paisa kamaya hai to inko sangthan se matlab hi nahi hai jb bachare reportaro ki samajh aaya tb strike ki knp me
abcd
July 13, 2015 at 4:09 pm
[/quote]
sss