मुंबई : मीडियाकर्मियों के लिये गठित जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश को सही तरीके से लागू कराने के लिये महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित त्रिपक्षीय समिति की पहली बैठक में मुंबई के अखबार मालिकों के प्रतिनिधि गायब रहे। कल हुयी बैठक में नवाकाल की रोहिणी खांडिलकर सहित कुछ और सदस्य गैर-हाजिर रहे। जो सदस्य आये भी वे इस बात पर ज्यादा जोर दे रहे थे कि उन्हें वो लिस्ट दी जाये जो कामगार विभाग ने तैयार किया है कि किन किन प्रतिष्ठानों में जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश पूरी तरह नहीं लागू है या आंशिक रूप से लागू है ताकि वे अखबार मालिकों से इसे नैतिक रुप से लागू करने का आग्रह करें।
त्रिपक्षीय समिती की पहली बैठक मुंबई में कामगार आयुक्त कार्यालय के समिती कक्ष में ३० नवंबर को दोपहर तीन बजे से आयोजित की गयी थी। इस बैठक में पत्रकारों की तरफ से पांच प्रतिनिधि नेशनल यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट की महाराष्ट्र महासचिव शीतल हरीश करदेकर, बृहन मुंबई यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट के मन्त्रराज जयराज पांडे, रवींद्र राघवेंन्द्र देशमुख, इंदर जैन कन्वेनर ज्वाइन्ट एक्शन कमेटी ठाणे और किरण शेलार शामिल हैं। मालिकों की तरफ से जो पांच लोग शामिल हैं उनमें जयश्री खाडिलकर पांडे, वासुदेव मेदनकर, विवेक घोड़ वैद्य, राजेंद्र कृष्ण रॉव सोनावड़े और बालाजी अन्नाराव मुले हैं। इस समिति में लोकमत की तरफ से दो प्रतिनिधि शामिल किये गए हैं जिनके नाम बालाजी अन्ना रॉव मुले और विवेक घोड़ वैद्य हैं जबकि रोहिणी खाडिलकर नवाकाल की हैं। इसी तरह राजेंद्र सोनावड़े दैनिक देशदूत नासिक से हैं। वादुदेव मेदनकर सकाल मराठी पेपर से हैं।
बैठक की अध्यक्षता करते हुये कामगार आयुक्त महाराष्ट्र श्री यशवंत केरुरे ने कहा कि वे माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश का पालन कराने के लिये कटिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के सभी अखबार मालिकों से ३०० रुपये के स्टांप पेपर पर एफिडेविट मंगाया है और जिन अखबार मालिकों ने एफिडेविड नहीं दिया है उनके खिलाफ कठोर कारवाई की जायेगी। समिति का कोई भी सदस्य आरटीआई डालकर एफिडेविट की प्रति ले सकता है। इस अवसर पर नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट की महाराष्ट्र महासचिव शीतल करंदेकर ने कामगार आयुक्त को एक ज्ञापन भी दिया। शीतल करंदेकर ने समिति के पावर पर चर्चा की। उन्होंने महाराष्ट्र के अखबार प्रतिष्ठानों में हुये सर्वे पर सवाल उठाया और कहा कि इस कमेटी के सदस्यों को साथ लेकर अखबारों का सर्वे होना चाहिये। उन्होंने क्लेम करने पर पत्रकारों के साथ हो रहे शोषण पर भी चर्चा की।
इस बैठक में बृहन्मुंबई यूनियन आफ जर्नलिस्ट के मंत्रराज जयराज पांडे ने मांग की कि आर टी आई के जरिये जो एफिडेविट देने की बात हो रही है उसमें अलग अलग जगहों पर एफिडेविट देने की जगह सिर्फ एक डिविजन से पूरे प्रदेश के एफिडेविट की कापी उपलब्ध करायी जाये। इस मांग को कामगार आयुक्त ने मंजूर कर इसकी जवाबदारी श्री वागल को दी। इस अवसर पर अखबारों के प्रतिनिधियों ने मांग की कि उन्हें पूरी लिस्ट दी जाये जिससे उन्हें पता चल सके कि कहां कहां पूरी तरह मजिठिया वेज बोर्ड की सिफारिश नहीं लागू है और कहां आंशिक रूप से लागू है ताकि वे अखबार मालिकों पर अपनी तरफ से नैतिक रूप से दबाव बना सकें। उनकी इस मांग को मंजूर कर लिया गया और कहा गया कि कामगार आयुक्त कार्यालय अखबार मालिकों के प्रतिनिधियों और मीडियाकर्मियों के प्रतिनिधियों दोनो को मेल के जरिये पूरी लिस्ट देंगे।
इस बैठक में यह भी तय किया गया कि जो भी विवादित मुद्दे हैं जिन पर सुप्रीमकोर्ट में १० जनवरी को सुनवाई होनी है उस पर निर्णय आने तक कोई चर्चा नहीं की जायेगी और कोई कदम नहीं उठाया जायेगा। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय आने के बाद ही इन मुद्दों पर चर्चा की जायेगी। इस बैठक में इस बात पर नाराजगी जतायी गयी कि एफिडेविट की प्रति आखिर बिना आरटीआई डाले कमेटी को क्यों नहीं दी जा सकती है। इस पर आयुक्त ने कहा कि ये एफिडेविट सुप्रीमकोर्ट को भेजने के लिये मंगाया गया है और उसे सरकार की तरफ से भी कमेटी को देने का कोई निर्देश नहीं प्राप्त हुआ है। इस बैठक मे लोकमत और सकाल के प्रतिनिधियों ने कहा कि जहां वेज बोर्ड की सिफारिश लागू नहीं है वहां नैतिक आधार पर इसे लागू कराने का आग्रह करेंगे।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टीविस्ट
९३२२४११३३५
amrik singh
December 1, 2016 at 4:07 am
Wage board theek taraeh se laagu karvana mein kitna samay lagega. bahut saare saathi retire hone wale hain.