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उत्तर प्रदेश

त्रिवेंद्र रावत सरकार पर भारी पड़ रहे ‘समाचार प्लस’ वाले उमेश कुमार !

ब्लैकमेलिंग और स्टिंगबाजी में गिरफ्तार समाचार प्लस चैनल के सीईओ उमेश कुमार फिलहाल उत्तराखंड की त्रिवेंद्र रावत सरकार पर भारी पड़ते हुए दिख रहे हैं. पुलिस के कमजोर प्रयासों के चलते उमेश कुमार और उनकी आरोपी टीम को लगातार कोर्ट से फायदे मिल रहे हैं. उमेश जे कुमार की दोबारा कस्टडी रिमांड लेने की पुरजोर कोशिश में लगी राजपुर पुलिस को झटका लगा.

एसीजेएम चतुर्थ की अदालत में डेढ़ घंटे तक चलीं अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने कस्टडी रिमांड, वायस सैंपल लेने और इलेक्ट्रानिक उपकरणों के पासवर्ड की जानकारी करने के पुलिस के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया. अदालत ने बचाव पक्ष की ओर से दी गई जमानत अर्जी को भी खारिज कर दिया है. वहीं, रायपुर पुलिस की ओर से दर्ज एक अन्य मामले में कस्टडी रिमांड लेने के प्रार्थना पत्र पर अब आठ नंवबर को सुनवाई होगी.

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उत्तराखंड के कद्दावर नेताओं व वरिष्ठ नौकरशाहों के स्टिंग की साजिश रचने के आरोप में 28 अक्टूबर को गाजियाबाद से गिरफ्तार समाचार प्लस चैनल के सीईओ उमेश जे कुमार 29 अक्टूबर से न्यायिक अभिरक्षा में जेल में हैं. सीएम का स्टिंग करने जाने के दौरान समाचार प्लस चैनल के एडिटर इनवेस्टिगेशन आयुष गौड़ द्वारा सीएम आवास के गेट पर रखी गई खुफिया कैमरा लगी जैकेट व विजिटिंग कार्ड बाक्स की बरामदगी के लिए गुरुवार को मिली सात घंटे की कस्टडी रिमांड के बाद भी पुलिस खाली हाथ रह गई थी.

ऐसे में राजपुर पुलिस ने एक बार फिर तीन दिन की कस्टडी रिमांड के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया. अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए संयुक्त निदेशक विधि जेएस बिष्ट ने कहा कि उमेश ने पूछताछ में बताया है कि यह उपकरण कहीं और रखे गए हैं. वहीं, भड़ास पर अपलोड उमेश-आयुष के बीच बातचीत के आडियो क्लिप की आवाज के मिलान के लिए आरोपित का वायस सैंपल लेना आवश्यक है. जबकि इलेक्ट्रानिक उपकरणों को अनलॉक किए बगैर पूर्व में हुए स्टिंग के बारे में पता नहीं चल पा रहा है.

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वहीं, बचाव पक्ष के अधिवक्ता एमएम लांबा ने दोबारा कस्टडी रिमांड दिए जाने का विरोध करते हुए कहा कि सर्च वारंट के दौरान पुलिस ने उनके मुवक्किल के गाजियाबाद स्थित आवास और कार्यालय की तलाशी ले चुकी है और सात घंटे की कस्टडी की रिमांड के दौरान मसूरी रोड स्थित घर की भी तलाशी ले चुकी है, लेकिन पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा. वहीं, वायस सैंपल और इलेक्ट्रानिक उपकरणों के पासवर्ड के लिए मुवक्किल को बाध्य नहीं किया जा सकता है.

बचाव पक्ष के अधिवक्ता और अभियोजन अधिकारियों की बहस के दौरान हल्की नोकझोंक भी हुई. बचाव पक्ष ने कहा कि राजपुर पुलिस उमेश को टारगेट कर कार्रवाई कर रही है. पुलिस खुद कह रही है कि स्टिंग की साजिश हुई. ऐसे में जब कोई ब्लैकमेल नहीं हुआ तो वह धाराएं स्वत: आधारहीन हो जाती हैं. बचाव पक्ष ने नैनीताल हाईकोर्ट की ओर से तीन आरोपितों की गिरफ्तारी पर दिए गए स्टे के आदेश की पत्रावली भी अदालत के समक्ष रखीं. उमेश के अधिवक्ता केपी सिंह ने बताया कि वे अब जमानत के लिए ऊपरी अदालत में अपील करेंगे.

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