दिलीप खान-
ट्रोलिंग के टिप्स…
- अगर अदालत का कोई बयान आता है, जिसमें दक्षिण टोले की भावनाओं की मलामत की गई हो, तो उसे फ़ैलाइए.
- आप चाहें तो दुत्कार वाले अंदाज़ में भी इन लोगों के मुंह पर ऐसी टिप्पणी मार सकते हैं.
- अगर किसी ऑथेंटिक किताब में कोई तथ्य मिलता है जिससे दक्षिण टोले की भावनाएं आहत हो, तो फैलाइए. अपनी मर्जी से सिंदबाद बनकर समंदर में मत कूदिए.
- भावनाओं के आहतालय में अगर सरकार का कोई किरदार कुछ मैटिरियल दे रहा है, तो उसे फैलाइए.
- सत्ता के बयानों के विरोधाभासों पर खेलिए. रह-रहकर भक्तों के आंखों के सामने उन विरोधाभासों से कील निकालकर टांगिए.
- किसी डेवलपिंग घटना के वक़्त ली गई आपकी पोज़िशन को अगर स्टेट की संस्थाएं वर्षों बाद भी सही करार देती हैं, तो उसे आगे ठेलिए.
- विवादित वन-लाइनर से बचिए.
- अगर आपकी रीच ठीक-ठाक है तो आपकी बातों से खुन्नस खाए लोग इस फिराक़ में बैठे रहते हैं कि कोई एक मैटिरियल मिले कि आपको क़ानूनी पेंच में फंसाया जा सके. इसलिए सतर्क रहें.
- सबूत और लॉजिक के बग़ैर पर्सनल अटैक से परहेज बरतिए. सबूत मिलने पर धांय-धांय दागिए.
- धार्मिक-जातीय टिप्पणी करते वक़्त क़ानूनी एंगल का ध्यान रखिए.
- वन-लाइनर मारते हैं, तो बीच-बीच में गंभीर पोस्ट भी लिखिए. इससे आपकी पोज़िशन क्लीयर रहेगी. वरना, वन लाइनर में पचड़े वाला स्पेस मत छोड़िए. लोगों का आईक्यू लगातार कम हुआ है. लॉजिक की मौत हो चुकी है.
- आवेश में मत आइए. ग़ुस्से पर क़ाबू रखिए. आवेग में आकर उल्टी-सीधी बातें मत लिखिए. गाली तो कतई नहीं.