-विवेक सत्य मित्रम-
बात पुरानी है। जब टीआरपी का पैमाना टैम हुआ करता था, और मैं एक चैनल का संपादकीय प्रमुख, तब टैम से जुड़े अधिकारी ने अनौपचारिक बातचीत में खुलासा किया था कि राजधानी दिल्ली में टीआरपी मापने वाले सबसे ज़्यादा बक्से सीलमपुर में लगाए गए है़ं! और दूसरे शहरों में भी कमोबेश ऐसे ही इलाक़ों में ज़्यादा बक्से लगे हैं।
अगर बार्क वालों ने इन बक्सों की लोकेशन से छेड़छाड़ नहीं की हो तो इस हफ़्ते टीआरपी में नंबर वन होने पर आजतक की खुल्लमखुल्ला बेइज्ज़ती करने वाले रिपब्लिक भारत को कल ही सीलमपुर जैसे सभी इलाक़ों में मिठाई बांट देनी चाहिए ताकि अगले हफ़्ते भी वो चिल्ला सकें न्यूज़रूम में!
बाक़ी आपके लिए (ग़ैरचैनलवालों के लिए) ये जान लेने में कोई हर्ज़ नहीं है कि इस देश के नेशनल न्यूज़ चैनलों की औक़ात तय करने वाले लोगों का सामाजिक, आर्थिक और बौद्धिक (शैक्षिक पढ़ा जाए) परिवेश कैसा है?
और, ये भी कि टीवी व्यूइंग पैटर्न डेटा कलेक्शन के लिए उन्हें टीवी देखने के पैसे दिए जाते हैं! अब आपके लिए समझना आसान होगा कि हर चैनल पर जो चिल्लमचिल्ली होती है उसका टारगेट ऑडिएंस कौन है?
PS: इस पोस्ट का मकसद केवल तथ्य रखना है, इसे किसी ख़ास क्लास के विरूद्ध ना माना जाए। बाक़ी आपकी श्रद्धा!
कई न्यूज़ चैनलों में कार्यरत रहे और वर्तमान में बतौर एंटरप्रेन्योर सक्रिय विवेक सत्य मित्रम की एफबी वॉल से।
Amit
August 22, 2020 at 2:04 pm
इस पर “आज तक” आप चुप क्यों थे??