संजीव पालीवाल-
इकबाल रिज़वी से मेरी पहली मुलाकात 1989 में हुई थी। बरेली में हम दोनो एक ही इवेंट को कवर करने गये थे। मैं तब ‘आज’ में और इकबाल ‘दैनिक जागरण’ में था। बस उस दिन जो मिले तो आजतक साथ हैं। जब तक बरेली में रहा हर शाम इकबाल के साथ गुज़री। इसी में साथ आ मिले तस्लीम खान। इनसे मुलाकात भी इकबाल के ज़रिये ही हुई। और भी बहुत से साथी मिले इकबाल की वजह से। रिश्ते बनते चले गये। इकबाल ने मेरे लिये नयी दुनिया के दरवाज़े खोले। एक ऐसी दुनिया जिसमें शायरी थी। रूमानियत थी। किस्से थे। अदब था।
हमारी दोस्ती दैनिक जागरण में लोगों को खटकती थी। बाद में मैं भी जागरण आ गया था। हम एक ही डेस्क पर थे। तीन साल हमने साथ काम किया। फिर मैं 1993 में मुरादाबाद अमर उजाला आ गया। इकबाल बरेली अमर उजाला चला गया। और अमर उजाला ने तस्लीम को कानपुर भेज दिया। तस्लीम का तबादला मेरी वजह से हुआ था। क्यूंकि हम तीनो अमर उजाला मे थे। वहां मेरी और तस्लीम की दोस्ती किसी को खटकने लगी थी। वैस तो हमारे शहर अलग थे लेकिन किसी को हमारा हॉटलाईन पर बात करना पसंद नही था। पहले तस्लीम का तबादला मुरादाबाद हो रहा था। लेकिन उसकी भी चुगली की गयी। अरे ऐसा करके तो आप प्रमोशन कर रहे हैँ। दोनो को एक साथ रखना ठीक नहीं है। कयामत आ जायेगी। ऐसा था हमारा खौफ। और खां साहब कानपुर भेज दिये गये।
कुछ महीनो में मैं दिल्ली आ गया। TVI में नौकरी करने । ये बात है 1994 की। TVI देश का पहला प्राईवेट टीवी न्यूज़ चैनल था। फिर तस्लीम और इकबाल भी कुछ ही दिनों में इस चैनल का हिस्सा बन गये। यहां हम एक ही डेस्क पर थे। हम फिर निशाना बनने लगे। बरेली गैंग का नाम हमें दिया गया। पर हम बेपरवाह रहे। फिर मैं सुबह सवेरे चला गया।
मेरा ठिकाना इसके बाद आजतक बना। ये भी इत्तेफाक की बात है कि इकबाल औऱ तस्लीम भी आजतक का हिस्सा बन गये। ज़िंदगी अपनी रफ्तार से चल रही थी। उतार चढ़ाव आते रहे।
हां, ये बताना तो मैं भूल गया कि हम तीनो दिल्ली में साथ ही रहते थे। एक ही घर में। मैं शाकाहारी और ये स्वाभाविक तौर पर मांसाहारी। मैं रम और स्कॉच का शौक़ीन ये दोनो यहां भी परहेज़ी। लेकिन हमारे घर में कुछ भी हराम नहीं था।
पहले मैने शादी की। तो तस्लीम और इकबाल साथ हो गये। फिर तस्लीम की शादी हुई और आखीर में इकबाल की।
आजतक तक के बाद मैं दूरदर्शन आ गया। इकबाल BAG Films में और तस्लीम Zee News होते हुए Star News Mumbai. यहां पहली बार हम अलग अलग काम कर रहे थे। हम फिर मिले। इस बार मुलाकात हुई Channel 7 में जो बाद में IBN7 बना और आज NEWS18 कहलाता है। यहां हमारा साथ 11-12 साल चला। यहां हम फिर बदनाम हुए । फिर हमारी दोस्ती को नज़र लगायी गयी। हर वो शख्स जिसका कुछ नही होता था या जो नाकाम होता था वो हमारी दोस्ती पर नज़र लगाता। बरेली गैंग चलता रहा। सरवाईव करता रहा। मैंने 2015 में IBN7 छोड़ दिया। तस्लीम और इकबाल भी अब यहां नहीं हैं। लेकिन हम साथ है।
हम किताबें लिख रहे हैं। बहुत कुछ नया कर रहे हैं। हम मिलते रहते हैं। 32 साल से हम साथ है। बहुत घूमे हैं। खुश रहे हैं। भरोसा करते हैँ। हमें कॉल करने या मिलने के लिये सोचना नहीं पड़ता। धर्म से हमें फर्क नहीं पड़ता। देश में क्या होता है इससे हम विचलित नहीं होते।
आज उन सब लोगों का शुक्रिया जिनके निशाने पर हम और हमारी दोस्ती रही। आप सबकी वजह से ये जोड़ आज तक बरकरार है। लव यू दोस्तों। कोई गिला नहीं। हम तीनो बहुत खुश हैं। आप हमारे नज़रबट्टू हैं।
शुक्रिया उन साथियों का जिन्होंने हमें समझा। हमारी दोस्ती को सराहा। ऐसे लोग बहुत ज़्यादा हैं।
शुक्रिया इकबाल और तस्लीम एक खूबसूरत ज़िंदगी के लिये। ये कारवां यूं ही चलता रहे। कुछ तस्वीरें अलग अलग मौकों की हैं…
सौजन्य- फ़ेसबुक