ना जाने क्यों टीवी एंकर्स के चेहरों पर दो किस्म के भाव रहते हैं। अव्वल तो यह मान कर टीवी एंकर्स चलते हैं, सामने वाला शख्स मूर्ख है और मैं यह भी तय करूंगा कि सामने वाले को क्या बोलना है। दूसरे, कुछेक एंकर्स ऐसी अदा से कैमरे को ताकते हुए मेहमान पर मुस्कराते हैं मानो कह रहे हों, जरा इस लल्लू को देखो तो..या फिर इस कदर आक्रामक हो उठते हैं..लगता है कि दर्शक मेहमान को नहीं, एंकर को सुनने टीवी खोल के बैठा है।
स्मृति ईरानी के इंटरव्यू में अंजना ओम कश्यप और अशोक सिंघल ने साफ कर दिया कि अध्ययन और पढ़ाई-लिखाई से टीवी पत्रकारों का कोई वास्ता नहीं है। धन्य हो। सवाल जो पूछे जाने चाहिए थे..
1. 2011 से संसद में शिक्षा पर कोई रिपोर्ट पेश नहीं की गई है…मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में यह बिंदू कहां हैं..?
2. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शिक्षा का मुख्य बिंदू रहा है. शिक्षा का व्यावसायीकरण रोकना…वो प्रश्न कहां लुफ्त है..?
3. बतौर प्रोफेसर और बतौर मानव संसाधन मंत्री डा. मुरली मनोहर जोशी के होने के बाद भी मोदी ने क्यों स्मृति ईरानी को चुना..?
4. क्या कभी इस बात की तस्दीक होगी कि सरकारी इमदाद पर चलने वाली यूनिवर्सिटीज तक पहुंचने वाले छात्रों में कितने छात्र वास्तविक दलित और मुस्लिम हैं..?
5. लिंगदोह के मसले पर मोदी सरकार का क्या रुख है….?
सवाल और भी है..फिलहाल इतना ही.
सुमंत भट्टाचार्य के एफबी वाल से
Batham
June 3, 2015 at 6:54 am
सुमंत जी फेसबुक पर दौ कौड़ी के सवाल लिखकर खुद को महा Gyani ना समझें. कैमरे के सामने जुबान नहीं खुलेगी और पूरी एंकर बिरादरी को गाली देने चले हैं ये सरकार के दलाल