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बिना इंटरनेट ही मोबाइल पर 20 टीवी चैनलों को देख पाना हुआ संभव

एनालॉग तकनीक के माध्यम से ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर दिखानेवाला यह टीवी आज डीवीबी-टी2 तकनीक के जरिये हाइ डेफिनिशन डिजिटल वीडियो से लोगों का मनोरंजन कर रहा है. भारत में मोबाइल पर बगैर इंटरनेट के टीवी की सुविधा इसी तकनीक से के माध्यम से मुहैया करायी जायेगी. यानी मोबाइल उपभोक्ता बगैर किसी इंटरनेट कनेक्शन के अपने स्मार्टफोन पर टेलीविजन  देख पायेंगे. जल्द ही इसके शुरू होने की संभावना जतायी जा रही है. 

<p>एनालॉग तकनीक के माध्यम से ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर दिखानेवाला यह टीवी आज डीवीबी-टी2 तकनीक के जरिये हाइ डेफिनिशन डिजिटल वीडियो से लोगों का मनोरंजन कर रहा है. भारत में मोबाइल पर बगैर इंटरनेट के टीवी की सुविधा इसी तकनीक से के माध्यम से मुहैया करायी जायेगी. यानी मोबाइल उपभोक्ता बगैर किसी इंटरनेट कनेक्शन के अपने स्मार्टफोन पर टेलीविजन  देख पायेंगे. जल्द ही इसके शुरू होने की संभावना जतायी जा रही है. </p>

एनालॉग तकनीक के माध्यम से ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर दिखानेवाला यह टीवी आज डीवीबी-टी2 तकनीक के जरिये हाइ डेफिनिशन डिजिटल वीडियो से लोगों का मनोरंजन कर रहा है. भारत में मोबाइल पर बगैर इंटरनेट के टीवी की सुविधा इसी तकनीक से के माध्यम से मुहैया करायी जायेगी. यानी मोबाइल उपभोक्ता बगैर किसी इंटरनेट कनेक्शन के अपने स्मार्टफोन पर टेलीविजन  देख पायेंगे. जल्द ही इसके शुरू होने की संभावना जतायी जा रही है. 

स्मार्टफोन उपभोक्ता को बगैर इंटरनेट कनेक्टिविटी के 20 चैनल देखने की सुविधा मिलेगी. इसमें पांच चैनल दूरदर्शन के हो सकते हैं, जबकि 15 अन्य चैनलों को नीलामी के जरिये शामिल किया जा सकता है.  मोबाइल पर यह सुविधा देने के लिए दूरदर्शन डिजिटल वीडियो ब्रॉडकास्टिंग थ्रू टेरेस्ट्रियल सेकेंड (2) जेनरेशन (डीवीबी-टी2) तकनीक का इस्तेमाल करेगा. डोंगल की मदद से उपभोक्ता अपने स्मार्टफोन में इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे. डीवीबी-टी2 तकनीक पर आधारित ‘डीजी दर्शन’ नामक डोंगल को स्मार्टफोन में लगाने पर यह सर्विस आइफोन और एंड्रॉयड मोबाइल पर काम करने लगेगा. कुछ मोबाइल कंपनियां अपने नये प्रोडक्ट भी लॉन्च करनेवाली हैं, जिसमें डीवीबी-टी2 तकनीक इनबिल्ट होगा. ऐसा होने पर गूगल प्ले से ‘टीवी ऑन गो दूरदर्शन’ एप डाउनलोड करने पर स्मार्टफोन में मोबाइल टीवी का आनंद उठाया जा सकेगा.  फिलहाल इस सुविधा का प्रसारण सिर्फ आइफोन व एंड्रॉयड फोन पर करने की बात है. एडवांस्ड तकनीक डीवीबी-टी2 के इस्तेमाल की वजह से 180 किलोमीटर की स्पीड से यात्रा के दौरान भी मोबाइल में टीवी देखा जा सकेगा.
 
शुरुआत में देश के 16 शहरों में मोबाइल पर बगैर इंटरनेट के टीवी की सुविधा शुरू की जायेगी. ये 16 शहर हैं: दिल्ली, लखनऊ, पटना, रामपुर, मुंबई, चेन्नई, अहमदाबाद, कोलकाता, बेंगलुरु, भोपाल, रांची, इंदौर, गुवाहाटी, कटक, जालंधर और हैदराबाद.  दुनिया के अधिकांश देशों में टीवी प्रसारण के लिए अब ज्यादा फोकस डीवीबीटी और डीवीबी-टी2 तकनीक पर दिया जा रहा है.  अमेरिका, इंगलैंड, चीन, जापान, भारत, फ्रांस, खाड़ी देशों के साथ दुनिया के अन्य देशों में टीवी प्रसारण में डीवीबी-टी व डीवीबी-टी 2 के अलावा आइपीटीवी, डीटीएच, सेटेलाइट और केबल टीवी का इस्तेमाल हो रहा है. कई दशकों तक टीवी प्रसारण को सुलभ बनानेवाली एनालॉग तकनीक अब धीरे-धीरे खत्म हो रही है. एनालॉग से कई गुना बेहतर क्वालिटी आ जाने की वजह से अब 2020 तक इसे समाप्त करने के कयास लगाये जा रहे हैं.
 
डीवीबी-टी 2 दुनिया का सबसे एडवांस्ड डिजिटल टेरेस्ट्रियल टेलीविजन सिस्टम है. इसका पूरा नाम डिजिटल वीडियो ब्रॉडकास्टिंग थ्रू टेरेिस्ट्रयल  सेकेंड (2) जेनरेशन है. यह डीवीबी-टी का अपग्रेड वर्जन है.  डीवीबी ने मार्च, 2006 में डीवीबी-टी को अपग्रेड करने के लिए काम शुरू किया और अप्रैल, 2007 में डीवीबी-टी2 बना कर तैयार किया. आज के समय में यह तकनीक तेजी से विश्वभर में अपनायी जा रही है. डीवीबी-टी2 डिजिटल टेरेस्ट्रियल टेलीविजन (डीटीटी) सिस्टम को मजबूती और लचीलापन प्रदान करता है. साथ ही किसी अन्य डीटीटी सिस्टम की तुलना में इसकी कार्यक्षमता 50 तक फीसदी ज्यादा है. यह स्टैंडर्ड डेफिनिशन (एसडी), हाइ डेफिनिशन (एचडी), यूएचडी, मोबाइल टीवी और इनमें से किसी के कॉम्बिनेशन से बने अन्य सिस्टम को बेहतर तरीके से सपोर्ट करता है. लैपटॉप, कंप्यूटर, कार रिसिवर, स्मार्टफोन, डोंगल और अन्य सभी इनोवेटिव रिसिविंग डिवाइस के लिए भी इसे तैयार किया गया है.
 
डीवीबी-टी2 में ओएफडीएम (ऑर्थोगोनल फ्रीक्वेंसी डिवीजन मल्टीप्लेक्स) मॉड्यूलेशन और एलपीडीसी व बीसीएच कोडिंग से तैयार नयी तकनीक रोटेडेट कॉन्स्टेलेशन्स का इस्तेमाल किया गया है. डीवीबीटी 2 सिस्टम डिजिटल ऑडियो, वीडियो और अन्य डाटा को सबसे एडवांस मॉड्यूलेशन ओएफडीएम मॉड्यूलेशन के माध्यम से फिजिकल लेयर पाइप (पीएलपी) में ट्रांसमिट करता है. फिर सैटेलाइट या लोकल टीवी सिगनल्स को डिजिटल फॉरमेट में बदलता है.  डीवीबी-टी2 सिस्टम में 256 क्यूएएम मॉड्यूलेशन के इस्तेमाल पर आठ मेगाहर्ट्ज चैनल में 40.2 एमपीबीएस तक दे सकता है, जिससे सिंगल आठ मेगाहर्ट्ज चैनल में 5-6 एचडी प्रोग्राम या 15-20 टीवी प्रोग्राम आसानी से प्रसारित किया जा सकता है. सामान्य शब्दों में इसे ऐसे समझा जा सकता है कि इस तकनीक के इस्तेमाल के लिए मोबाइल या टीवी या अन्य डिवाइस में इस तकनीक को फिट किया जाता है. यह तकनीक टीवी टावर से ट्रांसमिट सिगनल को डिवाइस से कनेक्ट करता है और संबंधित डिवाइस पर टीवी प्रोग्राम को प्रसारित करने का काम करता है.
 
डीवीबी-टी2 में मॉड्यूल्स, कोडिंग समेत कई नयी तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है. ये सभी नयी तकनीक इसे बेहद खास बनाने का काम कर रहे हैं और डिजिटल ब्रॉडकास्टिंग की राह को आसान बना रहे हैं.  यह सिगनल को मजबूती प्रदान करने के साथ-साथ पिक्चर क्वालिटी को भी बेहतर बनाता है. एसडी, एचडी, यूएचडी और मोबाइल टीवी सभी में यह बेहतर तरीके से काम कर सकता है. हाइ स्ट्रेंथ सिगनल पावर की वजह से इस तकनीक से मोबाइल में बगैर इंटरनेट के ही टीवी देखा जा सकता है. डीवीबी की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक 150 देशों में डीवीबी-टी2 अपनाने को लेकर तेजी से काम चल रहा है. कुछ देशों में इसका इस्तेमाल शुरू किया जा चुका है, तो कई देशों में ट्रायल प्रक्रिया जारी है. अमेरिका और ब्रिटेन समेत यूरोप, एशिया व अफ्रीका के कई देशों में इसका प्रसारण शुरू हो चुका है. वर्ष 2014 में अफगानिस्तान यूके, इटली, फिनलैंड, स्वीडन, थाइलैंड, सर्बिया, यूक्रेन, क्रोएशिया, डेनमार्क और कई अन्य देशों में मल्टीप्लेक्स, एसडी चैनल, एचडी चैनल टेलीविजन में इसका प्रसारण किया गया. भारत में भी इस क्षेत्र में काफी तेजी से काम चल रहा है.

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प्रभात खबर में प्रकाशित प्रसन्न प्रांजल की रिपोर्ट का एक अंश.

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0 Comments

  1. Himanshu

    July 19, 2016 at 7:10 am

    Hi

  2. Himanshu

    July 19, 2016 at 7:10 am

    :):olo jobs

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