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टीवी

लैपटॉप, कंप्यूटर, मोबाइल पर देख पायेंगे इंटरनेट के बिना टीवी चैनल

यात्रा के दौरान यदि आप टीवी देखना चाहें और आपका मोबाइल फोन इंटरनेट से नहीं जुड़ा है या कनेक्शन कैच नहीं कर पा रहा है, तो भी आप टीवी देख पायेंगे. दूरदर्शन इस नयी तकनीक का तेजी से परीक्षण कर रहा है. दूरदर्शन के अधिकारी एम एस दुहन का कहना है कि दूरदर्शन अपने ग्राहकों को अच्छी क्वालिटी का प्रसारण मुफ्त मुहैया करायेगा. नयी योजना के तहत दूरदर्शन से प्रसारित किये जाने वाले कार्यक्रम अब आप न केवल टीवी पर, बल्कि मोबाइल फोन पर भी देख सकते हैं. फिलहाल ग्राहकों के पास टेलीविजन देखने के लिए डिश, केबल और एंटीना का विकल्प है. प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर सिरकार ने हाल ही में बताया है कि उपभोक्ताओं को टेलीविजन के लिए चौथा विकल्प भी मुहैया कराया जायेगा, जो डिजिटल एंटीना के रूप में होगा.

<p>यात्रा के दौरान यदि आप टीवी देखना चाहें और आपका मोबाइल फोन इंटरनेट से नहीं जुड़ा है या कनेक्शन कैच नहीं कर पा रहा है, तो भी आप टीवी देख पायेंगे. दूरदर्शन इस नयी तकनीक का तेजी से परीक्षण कर रहा है. दूरदर्शन के अधिकारी एम एस दुहन का कहना है कि दूरदर्शन अपने ग्राहकों को अच्छी क्वालिटी का प्रसारण मुफ्त मुहैया करायेगा. नयी योजना के तहत दूरदर्शन से प्रसारित किये जाने वाले कार्यक्रम अब आप न केवल टीवी पर, बल्कि मोबाइल फोन पर भी देख सकते हैं. फिलहाल ग्राहकों के पास टेलीविजन देखने के लिए डिश, केबल और एंटीना का विकल्प है. प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर सिरकार ने हाल ही में बताया है कि उपभोक्ताओं को टेलीविजन के लिए चौथा विकल्प भी मुहैया कराया जायेगा, जो डिजिटल एंटीना के रूप में होगा.</p>

यात्रा के दौरान यदि आप टीवी देखना चाहें और आपका मोबाइल फोन इंटरनेट से नहीं जुड़ा है या कनेक्शन कैच नहीं कर पा रहा है, तो भी आप टीवी देख पायेंगे. दूरदर्शन इस नयी तकनीक का तेजी से परीक्षण कर रहा है. दूरदर्शन के अधिकारी एम एस दुहन का कहना है कि दूरदर्शन अपने ग्राहकों को अच्छी क्वालिटी का प्रसारण मुफ्त मुहैया करायेगा. नयी योजना के तहत दूरदर्शन से प्रसारित किये जाने वाले कार्यक्रम अब आप न केवल टीवी पर, बल्कि मोबाइल फोन पर भी देख सकते हैं. फिलहाल ग्राहकों के पास टेलीविजन देखने के लिए डिश, केबल और एंटीना का विकल्प है. प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर सिरकार ने हाल ही में बताया है कि उपभोक्ताओं को टेलीविजन के लिए चौथा विकल्प भी मुहैया कराया जायेगा, जो डिजिटल एंटीना के रूप में होगा.

* डीवीबी- टी2 लाइट टेक्नोलॉजी

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इस माध्यम से प्रसारण के लिए दूरदर्शन फिलहाल डीवीबी-टी2 (डिजिटल वीडियो ब्रॉडकास्ट-टेरेस्ट्रियल) तकनीक का इस्तेमाल करेगा, जिसे डोंगल के जरिये उपयोग किया जा सकता है. द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रसार भारती की योजना है कि उपभोक्ताओं को डीटीएच प्लेटफॉर्म के माध्यम से सभी फ्री-टू-एयर चैनल मुहैया कराये जायें. निजी कंपनियों को इसमें साझेदारी निभाने के लिए कहा गया है.

इस तकनीक के तहत डीवीबी-टी टीवी टावर से सिगनल को ट्रांसमिट करेगा और टीवी देखने के लिए मोबाइल में इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत नहीं होगी. यह ट्रांसमिशन एक खास एप्लीकेशन की सुविधा से युक्त होगा, जो मोबाइल फोन्स में स्विच ऑन करने पर टीवी सर्विस की तरह कार्य करेगा.

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सिरकार का मानना है कि भारत में इस साल के आखिर तक स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करने वालों की संख्या 22.5 करोड़ से ज्यादा हो जायेगी. ऐसे में इस सुविधा से बहुत से लोगों को जोड़ा जा सकता है. कम लागत के कारण यूरोप में डिजिटल टेरेस्ट्रियल तकनीक बेहद लोकप्रिय है. बताया गया है कि इस तकनीक से टीवी प्रसारण के लिए 44 देशों में कार्ययोजना बनायी जा रही है.

* डीवीबी- टी सिस्टम

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भारत में डिजिटल टीवी के लिए डीवीबी- टी का परीक्षण जुलाई, 1999 में शुरू किया गया था. 26 जनवरी, 2003 को पहले डीवीबी- टी ट्रांसमिशन की शुरुआत की गयी थी. केबलक्वेस्ट डॉट ओआरजी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि फिलहाल टेरेस्ट्रियल ट्रांसमिशन डिजिटल और एनालॉग, दोनों ही फॉरमेट में उपलब्ध होगा. देश के चार महानगरों- दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में उच्च क्षमता वाले 40 डीवीबी- टी ट्रांसमीटर्स इंस्टॉल किये गये हैं, जिन्हें अब डीवीबी- टी2 + एमपीइजी4 और डीवीबी- एच स्टैंडर्ड के तौर पर अपग्रेड किया जा रहा है. इसके अलावा, दूरदर्शन वर्ष 2017 तक देश के अन्य कई शहरों में भी 190 उच्च क्षमता वाले और 400 कम क्षमता वाले डीवीबी- टी2 ट्रांसमीटर्स स्थापित करेगा.

* डिजिटल टेरेस्ट्रियल टेलीविजन

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प्रसारण की यह नयी तकनीक भविष्य में बेहद लोकप्रिय हो सकती है. डिजिटल टेरेस्ट्रियल टेलीविजन (डीटीटी) से ग्राहकों को टीवी पर ज्यादा अच्छी तसवीर दिखाई देगी और इसकी साउंड क्वालिटी भी पहले के मुकाबले बेहतर है. अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, जापान, चीन समेत कई यूरोपीय देशों में यह तकनीक कारगर साबित हो रही है.

दूरदर्शन की कोशिश है कि 12वीं पंचवर्षीय योजना की समाप्ति अवधि यानी वर्ष 2017 तक टेरेस्ट्रियल नेटवर्क के डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया को लोकप्रिय बनाते हुए इसका नेटवर्क ज्यादा से ज्यादा भौगोलिक इलाके तक पहुंचा दिया जाये. हालांकि, डिजिटल ट्रांसमिशन की प्रक्रिया अपनाये जाने के बावजूद अगले कुछ वर्षों तक एनालॉग ट्रांसमिशन तकनीक भी साथ-साथ जारी रहेगी और जब तक देश की पूरी आबादी डिजिटल प्रक्रिया को अपना नहीं लेगी, तब तक इस सिस्टम को जारी रखा जायेगा.

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* क्या है डिजिटल टेरेस्ट्रियल टेलीविजन

यह एक नयी तकनीक है, जो एनालॉग टेरेस्ट्रियल टेलीविजन की तकनीक को बदल देगी. दरअसल, डीटीटी यानी डिजिटल टेरेस्ट्रियल टीवी डिजिटल सिगनल ट्रांसमिटिंग का एक जरिया है, जिससे तसवीर और ध्वनि को एनालॉग सिगनल की तुलना में कम आरएफ स्पेक्ट्रम पर किसी एरियल को भेजा जाता है. इसकी बड़ी खासियत यह है कि एक ही डीटीटी के माध्यम से कई टीवी ओर रेडियो चैलनों को सिगनल रिले किया जा सकता है. ग्राहक के टीवी सेट में लगे सेट टॉप बॉक्स के जरिये एरियल डिजिटल सिगनल प्राप्त कर उसे डिकोड करता है और इस तरह से टीवी कार्यक्रम देखा जा सकता है. साथ ही यह कम ऊर्जा की खपत करता है.  

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* टीवी कैसे हासिल करेगा डीटीटी सिगनल

इसके लिए महज एक साधारण एंटीना की जरूरत है, जिसे एनालॉग टीवी में इस्तेमाल करने की भांति घर के भीतर या बाहर कहीं भी लगाया जा सकता है. साथ ही इसके लिए सेट टॉप बॉक्स भी जरूरी है. हालांकि, कुछ इंटीग्रेटेड डिजिटल टीवी (आइडीटीवी) सेट्स बाजार में ऐसे आ रहे हैं, जिनमें सेट टॉप बॉक्स इनबिल्ट होता है यानी उसमें यह पहले से ही लगा होता है. किसी भी सामान्य एंटीना के माध्यम से टीवी इस सिगनल को कैच करने में सक्षम होगा.

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* किन शहरों में मिलेगी यह सुविधा

डीटीटी को देशभर के 40 शहरों में दो चरणों में इंस्टॉल किया जायेगा. हालांकि, देश के चारों महानगरों समेत कई अन्य शहरों में तेजी से इसका परीक्षण किया जा रहा है और इन शहरों में यह सुविधा जल्द मुहैया करायी जायेगी. इस वित्तीय वर्ष के दौरान कई शहरों में यह सुविधा उपलब्ध करा दी जायेगी. इन डीटीटी से टीवी टावर के सभी दिशाओं में तकरीबन 60- 70 किमी की रेंज में सिगनल को प्रेषित किया जायेगा. प्रथम चरण में यह सुविधा इन शहरों में दी जायेगी- अहमदाबाद, जालंधर, औरंगाबाद, कोलकाता, बेंगलुरु, लखनऊ, भोपाल, मुंबई, चेन्नई, पटना, कटक, रायपुर, दिल्ली, रांची, गुवाहाटी, श्रीनगर, हैदराबाद, तिरुअनंतपुरम, इंदौर. दूसरे चरण में कई अन्य शहरों में इसका परीक्षण किया जायेगा और उसके बाद यह सेवा शुरू की जायेगी.

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* किस प्रकार के रिसिवर से हासिल किया जा सकता है डीटीटी सिगनल

डीटीटी सिगनल हासिल करना बेहद आसान है. डीटीटी सिगनल को फिक्स्ड, पोर्टेबल और मोबाइल मोड में हासिल किया जा सकता है. लैपटॉप, टैबलेट्स, फिक्स्ड टीवी और टी2 रेडियो रिसिवर समेत गाडि़यों में यात्रा के दौरान भी डीटीटी सिगनल हासिल किया जा सकता है. डीटीटी का कवरेज एरिया इस बात पर निर्भर करेगा कि सिगनल हासिल करने वाले इलाके में ट्रांसमीटर आरएफ पैरामीटर्स और भौगोलिक हालात किस प्रकार हैं. सामान्य तौर पर छह किलोवॉट आरएफ पावर वाला डीटीटी किसी ट्रांसमीटर के 70 किमी के दायरे तक कवरेज देने में सक्षम हो पायेगा.

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* लैपटॉप/ पीसी और स्मार्ट फोन्स को कैसे मिलेगा डीटीटी सिगनल

लैपटॉप/ पीसी में भी डोंगल का इस्तेमाल करते हुए डीटीटी सिगनल हासिल किया जा सकता है. पीसीटीवी, अल्टोबीम, तेवी जैसी कई निर्माता कंपनियां हैं, जो इस तरह के डोंगल बनाती हैं. स्मार्ट फोन्स में इस्तेमाल किये जाने वाले इस तरह के डोंगल भी निर्माणाधीन हैं और उम्मीद की जा रही है कि आम लोगों के लिए इसे जल्द ही बाजार में मुहैया कराया जायेगा. उपभोक्ता अपने लैपटॉप/ पीसी और स्मार्ट फोन्स में डोंगल का इस्तेमाल करते हुए बिना कोई शुल्क चुकाये टीवी देख सकते हैं. (स्रोत : दूरदर्शन)

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* टेलीविजन प्रसारण की विभिन्न तकनीक

– डीटीएच : डीटीएच यानी डायरेक्ट-टू-होम. प्रसारण की यह ऐसी तकनीक है, जिसमें केबल ऑपरेटर के बिना टीवी सिगनल सीधे ट्रांसमिट होते हैं. डिजिटल आधारित यह तकनीक दर्शकों को कई महत्वपूर्ण और सुविधाजनक फीचर मुहैया कराती है. डीटीएच सर्विस के माध्यम से एक साथ कई चैनलों को एक विशेष कोड देकर कम्प्रेस्ड कर दिया जाता है. इसके बाद सिगनल को उच्च क्षमता वाले सेटेलाइट से भेजा जाता है. इस तकनीक में विभिन्न प्रोग्राम को घरों में बैठकर सीधे प्राप्त किया जा सकता है. ऐसे सिगनल को छोटे आकार के डिश एंटिना (60 से 80 सेंटीमीटर व्यास के  आकार में) से प्राप्त किया जाता है.

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इस एंटिना को घर के किसी भी छोटे स्थान पर लगाया जा सकता है. उपभोक्ता सीधे सर्विस प्रोवाइडर यानी सेवा प्रदाता कंपनी से जुड़ सकता है. ट्रांसमिशन के लिए केयू बैंड सबसे उपयुक्त है और इसी वजह से इसका इस्तेमाल भी सबसे अधिक होता है. मालूम हो कि एनकोड किया गया ट्रांसमिशन सिगनल डिजिटल होता है- इसलिए पिक्चर क्वालिटी और साउंड परंपरागत एनालॉग सिगनल की अपेक्षा बेहतर होता है. डिजिटल ट्रांसमिशन की तकनीक टेरेस्ट्रियल ट्रांसमिशन और सेटेलाइट ट्रांसमिशन में भी इस्तेमाल की जा सकती है.

* केबल टीवी – केबल टीवी तकनीक से प्रसारण में कई अहम बदलाव आये. शुरुआती दौर में  केबल सिस्टम में सिगनल को घरों तक पहुंचने के दौरान 30 से 40 एम्प्लीफायरों से होकर गुजरना पड़ता था. प्रत्येक एम्प्लीफायर से गुजरने के दौरान सिगनल में शोर व कुछ हद तक विरूपता आ जाती थी. 1970 में इस समस्या का हल निकाल लिया गया. इसके लिए केबल सर्विस में कुछ अन्य प्रोग्रामिंग को जोड़ा गया.

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प्रोग्राम के विकल्पों को बढ़ाने के लिए केबल सिस्टम की बैंडविड्थ को बढ़ा दिया गया. शुरुआती सिस्टम में 200 मेगाहर्ट्ज तक की फ्रिक्वेंसी पर 33 चैनल उपलब्ध होते थे. बैंडविड्थ को 550 मेगाहर्ट्ज तक बढ़ाया गया, जिससे चैनलों की संख्या 91 तक पहुंच गयी. फिर कुछ अन्य अहम तकनीकों का विकास हुआ, जिससे इसमें बड़ा बदलाव आया.

* एंटिना टीवी – टेलीविजन सिगनल को रिसीव करने के लिए एंटिना की संरचना तैयार की जाती है. विभिन्न देशों में यह अलग-अलग बैंड पर सिगनल रिसीव करता है. कम फ्रिक्वेंसी के लिए वीएचएफ बैंड और हाइ फ्रिक्वेंसी के लिए यूएचएफ बैंड का प्रयोग किया जाता है. टेलीविजन प्रसारण के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एंटिना दो प्रकार का होता है- इनडोर व आउटडोर. इनडोर एंटिना टेलीविजन सेट के ऊपरी हिस्से पर लगा होता है, जबकि आउटडोर एंटिना छतों पर लगाया जाता है. आम तौर पर यह दो ध्रुवीय और लूप एंटिना होता है. इनडोर सिस्टम में दो ध्रुवीय एंटिना वीएचएफ बैंड (कम फ्रिक्वेंसी के लिए) और लूप एंटिना (ज्यादा फ्रिक्वेंसी के लिए) प्रयोग में लाया जाता है.

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* डीवीबी – डिजिटल वीडियो ब्रॉडकास्टिंग (डीवीबी) तकनीक मौजूदा सेटेलाइट, केबल और टेरेस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर पर प्रयोग में लायी जा सकती है. डीवीबी तकनीक में एमपीइजी-2 सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें ऑडियो और वीडियो सिगनल को कंप्रेस किया जाता है. एमपीइजी-2 सिगनल को 166 एमबिट्स से पांच एमबिट्स तक कम कर ब्रॉडकॉस्टरों को मौजूदा केबल, सेटेलाइट व टेरेस्ट्रियल सिस्टम पर डिजिटल सिगनल को ट्रांसमिट करने की सुविधा देता है. सिगनल ट्रांसमिशन के दौरान कुछ डाटा के गायब होने की दशा में पिक्चर पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है. डिजिटल टेलीविजन के दो प्रारूपों- स्टैंडर्ड डेफिनेशन टेलीविजन (एसडीटीवी) व हाइ डेफिनेशन टेलीविजन (एचडीटीवी) में एमपीइजी-2 तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है.

(प्रभात खबर अखबार में प्रकाशित कन्हैया झा की रिपोर्ट.)

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0 Comments

  1. Devraj singh

    August 6, 2015 at 11:37 am

    इस सुबिधा से हम अपने मोबाइल फोन पर टी बी देख सकते है योजना बहुत कारगर साबित होगी ।

  2. Devraj singh

    August 6, 2015 at 11:37 am

    इस सुबिधा से हम अपने मोबाइल फोन पर टी बी देख सकते है योजना बहुत कारगर साबित होगी ।

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