पटना : ये हैरत की बात नहीं तो और क्या है कि मीडिया समाज के अंदर छिपे गुनाहगारों को सामने लाती है लेकिन उसी मीडिया के नाम पर अब ठगी का काम जोरों पर जारी है। देश के नामचीन चैनल एबीपी न्यूज चैनल और वहां कार्यरत एक वरिष्ठ पत्रकार के नाम पर बेहद शातिर ढंग से ठगी का खेल जारी है।
दरअसल इस पूरे जालसाजी की शुरुआत एबीपी न्यूज चैनल की महिला एंकर चित्रा त्रिपाठी के नाम पर बनी एक फेसबुक आईडी से शुरू होती है। यहां उनकी निजी तस्वीरों के अलावा उनके चैनल में रिक्त पदों का एक विज्ञापन लगा होता है। पत्रकारिता से सम्बंध रखने वाले या फिर शिक्षित बेरोजगारों की एक लम्बी फौज यहाँ अपनी इच्छा जाहिर करती है कि कैसे वो एबीपी चैनल से जुड़ सकता है। तुरंत चित्रा त्रिपाठी के फेक आईडी से सामने वाले का ह्वाटसअप नंबर माँगा जाता है। ह्वाटसप पर चंद सवालों के बाद उससे पाँच हजार रुपये की धरोहर राशि माँगी जाती है।
आवेदक से उसके मनपसंद कार्यस्थल की सूची माँगी जाती है। सामने वाला अगर धरोहर राशि जमा करने को तैयार हो गया तो उसे एक मोबाइल नंबर दिया जाता है। इस मोबाइल नंबर पर फोन करते ही अनुप कुमार नामक व्यक्ति फोन उठाता है। अपने लम्बे पत्रकारिता जीवन का परिचय देने के बाद बताता है कि फिलहाल वो हैदराबाद में रहकर पूरे हिन्दुस्तान में रिक्तियों का कार्यभार देख रहा है। मूल रूप से वो बिहार का रहने वाला है। फिर सामने वाले को पत्रकारिता के सम्मानित और चमकदार दुनिया का सपना दिखाता है। अंत में उससे पाँच हजार की धरोहर राशि बैंक खाते या पेटीएम के माध्यम से माँगी जाती है। यहाँ पेटीएम से पैसा भेजने पर विशेष जोर दिया जाता है।
इस खेल का पर्दाफाश तब हुआ जब पटना के एक स्वतंत्र पत्रकार के फेसबुक आईडी पर चित्रा त्रिपाठी के नाम से बने एक फेसबुक एकाउंट से फ्रेंड रिक्वेस्ट आया। स्वतंत्र पत्रकार ने इसे स्वीकार कर लिया। चंद दिनों के बाद चित्रा के वॉल पर उनके चैनल की रिक्ती दिखी तो उत्सुकतावश उस पत्रकार ने एबीपी से जुड़ने की इच्छा जाहिर की। तुरंत चित्रा नामक उस एफबी आईडी ने उस पत्रकार से उसका ह्वाट्सअप नंबर माँगा। चंद सवालों के बाद उस चित्रा नामक एफबी एकाउंट को संचालित करने वाले ठग ने ये कह कर एक नंबर दिया गया कि ”ये हमारे सर का नंबर है, मैंने आपके विषय में बात कर ली है, आप उनसे बात कर लें”।
इस नंबर को डायल करते ट्रू-कालर इसे अनूप कुमार एपीएन बताता है। अनूप कुमार अपने परिचय के साथ ये बताना नहीं भूलते की पत्रकारिता से उनका जुड़ाव बेहद पुराना है। फिर आईकार्ड, लोगो, माईक, साफ्टवेयर के नाम पर पाँच हजार की राशि तुरंत पेटीएम से ट्रांसफर करने की बात दुहराते हैं। दूसरी ओर इस बातचीत के तुरंत बाद चित्रा त्रिपाठी की आईडी से नये चेहरे एबीपी न्यूज का लोगो लिये दिखते हैं। शीर्षक होता है नयी नियुक्ति। बहरहाल इस विषय में जब स्वतंत्र पत्रकार ने पटना के एबीपी न्यूज संपादक प्रकाश कुमार से जानकारी चाही तो उनका सीधा जबाब था- “ये सब फर्जीवाड़ा है।”
अब सवाल है जो एबीपी न्यूज चैनल समाज के झूठ-सच को सामने लाने का दावा करता है क्या वो अपने दामन पर लगने वाले इस दाग की सच्चाई को सामने नहीं ला सकता? जो चित्रा त्रिपाठी दुनिया भर की खबरें दिखाती बताती हैं, वे अपने नाम से चल रहे ठगी के धंधे के खिलाफ पुलिस में कंप्लेन नहीं कर सकतीं? क्या ये दुस्साहसी किस्म के ठग पकड़े नहीं जाने चाहिए जो मीडिया में कार्य करने के इच्छुक लोगों को दिनदहाड़े ठग रहे हैं.
और हां, ये गांठ बांध लीजिए. अगर आपसे कोई भी किसी भी रूप में मीडिया में नौकरी देने के नाम पर पैसे मांगे तो फौरन उसे ठग मानते हुए पचास गालियां दीजिए और इस वार्तालाप को फोन पर रिकार्ड कर भड़ास पर छपने के लिए भेज दीजिए.