Shishir Soni : जिस तरह से @ABPNewsHindi के रिपोर्टर एंकर #AmritsarTrainAccident के बहाने अपनी मूर्खता का मुजाहिरा कर रहा है वो पत्रकारिता के लिए बड़ा कलंक है। सवाल ऐसे उठाया जा रहा है जैसे नवजोत कौर ने लोगों को पटरी पर खड़ा कर कटवा दिया। सवाल डीएम एसपी के सस्पेंशन का उठना चाहिए। निश्चिततौर पे ये आरामतलब नौकरशाह होंगे जिन्हें उनके क्षेत्र में एक जगह पर इतनी भीड़ जमा होने की जानकारी नहीं मिली। जानकारी मिली होती तो कार्यक्रम आयोजित करने के लिए प्रशासनिक मंजूरी ली गयी या नहीं उन्हें ये भी पता होता।
ये पता चलता तो सुरक्षा के वहाँ इंतज़ाम किये जाते। लोगों को पटरी से अलग खड़े होने को कहा जाता। पंजाब के सीएम को अविलंब जिले के दोनों कप्तानों को जांच तक ससपेंड किये जाने का आर्डर देना चाहिए। ये समझना होगा कि तय स्पीड में चल रही रेलवे ड्राइवर ने पटरी पर भीड़ को देख कर अगर इमरजेंसी ब्रेक भी लगाई होती तब भी पटरी पर खड़े होकर अपनी मौत को आमंत्रित कर रहे लोगों को नहीं बचाया जा सकता था मगर ट्रेन के अंदर सफर कर रहे सैंकड़ों की जान अचानक ब्रेक लगने से जाती, सो अलग।
अभी ये सवाल उठाने का हालांकि समय नहीं मगर सवाल ये उठने ही चाहिए कि पटरी के समीप रेलवे भूमि को कब्ज़ा कर लोगों का पक्का मकान कैसे बन गया ? रेलवे और राज्य सरकार की जीआरपी आँखें क्यों मूंदे रहा ? ऐसे हादसों के बाद मीडिया को जिस जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए दुर्भाग्यवश हमारे देश में ऐसा नहीं हो पा रहा है। शोक में डूबे परिजनों के आगे माइक लगा कर उनकी पीड़ा को और नहीं बढ़ाना चाहिए। जले पर नमक नहीं छिड़कना चाहिए। माहौल को भड़काने का प्रयास नहीं होना चाहिए। मीडिया का काम ऐसे समय में सकारात्मक होना चाहिए। हताहतों के ज़ख्म पे मरहम लगाने का होना चाहिए समाज को जोड़ने का होना चाहिए।
दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार शिशिर सोनी की एफबी वॉल से.