Yashwant Singh : दिल्ली के युवा, प्रतिभावान और तेजतर्रार पत्रकार राहुल पांडेय अपने घर पर रोज आने वाली बिल्ली से कुछ यूं दोस्ती गांठ चुके हैं कि वे अब उसके सुख-दुख को लेकर इंटरव्यू करने लगे हैं. जरा देखिए तो ये इस मीनू का इंटरव्यू. मीनू इन बिल्ली महोदया का नाम है. राहुल जी बिल्ली को बिल्ली नहीं कहते, मीनू जी कहकर पुकारते हैं. उसके लिए दूध हरवक्त तैयार रखते हैं. कब मीनू जा आ जाएं और खाने-पीने को लेकर आवाज लगा दें. सो, उनके लिए खाना-पीना सब तैयार रखते हैं. अकेले रहने वाले पत्रकार राहुल अपने लिए भले न कुछ पकाएं, लेकिन मीनू का मेनू तैयार रखते हैं.
(पत्रकार राहुल पांडेय के घर पर नए मेनू के लिए चिंतन करतीं मीनू जी की एक मुद्रा)
तो देखिए कैसे तैयार हो गया एक बिल्ली उर्फ मीनू जी का साक्षात्कार. राहुल पांडेय ऐसे पत्रकार बन चुके हैं जिन्होंने एक बिल्ली का इंटरव्यू किया है, यानि मनुष्यों का तो सब कोई इंटरव्यू करता है लेकिन किसी बिल्ली का इंटरव्यू कर गुजरने का तमगा हासिल सिर्फ पत्रकार राहुल पांडेय को हुआ है. इस उपलब्धि के लिए उन्हें पुरस्कार से नवाजने हेतु कई पुरस्कार प्रदाता मीडिया और एनीमल वेलफेयर संस्थाओं द्वारा गंभीरता से विचार चल रहा है. वैसे बिल्ली के इंटरव्यू से संबंधित इस वीडियो को देखने पर पत्रकार राहुल पांडेय के सवाल तो समझ में आ रहे हैं कि वे क्या कह पूछ बोल बतिया रहे हैं लेकिन जवाब में बिल्ली क्या कह रही है, यह तो पांड़े जी ही जानें क्योंकि अपन के पल्ले ही नहीं पड़ रहा.
मीनू जी के इंटरव्यू का वीडियो लिंक ये है: https://goo.gl/nnOZ8y
पत्रकार राहुल पांड़े जी और उनकी बिल्ली पर मेरी पिछली सचित्र पोस्ट तो आप लोग पढ़ ही चुके हैं. जो न पढ़े हो तो उसके लिए पुरानी पोस्ट फिर से दे रहा हूं…
राहुल पांड़े क बिलार
बड़ होसियार
म्याउं म्याउं बोल के
दूध कटोरा मांगे रोज
चपर चपर चांप के
एहर ओहर भांजे रोज
एक रहें राहुल पांड़े
एक रही उनकै बिलार…
राहुल और उनकी बिल्ली प्रेम पर लिखी गई इस लघु कविता पर कितने और किस-किस तरह के कमेंट आए, इसे जानने के लिए आप इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं: https://www.facebook.com/yashwantbhadas/posts/830962960322112
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से.
राजकुमार जैन
May 13, 2015 at 9:32 am
सरकारी महकमों में खबर से अपनी पकड़ बनाने वाला चैनल ने अपनी परंपरा बदल थी है, मेरी जानकारी के मुताबिक नेटवर्क हेड जगदीश चंद्र कातिल राजस्थान कैडर के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं इसलिए उनकी कार्यशैै ली उनके प्रशासनिक सेवा के अधार पर है। ईटीवी बिहार हो या एमपी या यूपी कमोबेश हाल यही है बिहार में नौकरी जाती है, लेकिन यूपी में अभी नौकरी सुरक्षित रहती है। यहां संवाददताओं का ट्रांसफर किया जाता है और फिर स्टेट को प्रसन्न करने के बाद ट्रांसफर रोक दिया जाता है…एक लंबे अरसे से छोटे-बड़े सभी जनपदों में रिपोर्टरों के तबादलें नहीं हुए है जिससे अधिकाश रिपोर्टर प्रापर्टी डीलर बन गए हैं तो बुंदेलखंड साइड खनन माफियाओं के साथ गठजोड़ कर रहे हैं। ईटीवी नेटवर्क ने कभी इस तथ्य को समझने की कोशिश नही कि समय समय पर संवादाताओं के ट्रासफर भी किए जाएं..मुरादाबाद से लेकर मेरठ तक बरेली से लकनऊ तक कानपुर से इलाहाबाद तक यही हाल है..अच्छा होगा संवादाताओं को निकालने से पहले उनके सीनियर के बारे में भी इनपुट ले लिया जाए.।