इंडियन एक्सप्रेस में बीते दिनों कूमी कपूर ने प्रेस क्लब आफ इंडिया को लेकर एक मजेदार खुलासा किया. उनने बताया कि किन्हीं अंचा राव ने प्रेस क्लब आफ इंडिया की जमीन के सौदे को कैंसल करवा दिया.
अंचा राव जिसे एए राव भी कहा जाता है, शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी का बेहद खास माना जाता है. वह प्रेस क्लब मैनेजिंग कमेटी से बहुत नाराज था जिसने जमीन के सौदे को लेकर राज्यसभा टीवी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था.
आइए पढ़ते हैं कि कूमी कपूर ने क्या लिखा और ये अंचा राव हैं कौन…
कौन है ये अंचा राव, जिसने प्रेस क्लब की ज़मीन रद्द करवा दी?
कौन है ये अंचा राव, जो पूरी पत्रकार बिरादरी को अंगूठे पर रखता है, प्रेस क्लब के अध्यक्ष को धमकाता है? आख़िर गौतम लाहिड़ी को दी गयी उसकी धमकी सच साबित हो गयी। लम्बे संघर्ष के बाद 2002 में प्रेस क्लब को राजेंद्र प्रसाद रोड पर प्लॉट आवंटित हुआ था। 15 साल लग गए पत्रकारों 5.5 करोड़ रुपए जुटाने में, जो प्लॉट की लाइसेन्स फ़ीस थी।जून में ये पूरी रक़म जमा कर दी गयी और 20 जून, 2018 को प्लॉट का हस्तांतरित होना था। लेकिन अंचा राव ने, एक शाम पहले, आवंटन रुकवा दिया। कोई वजह नहीं बताई गयी, कोई नोटिस नहीं दिया, सिर्फ़ कहा कि ‘अपरिहार्य कारण’ से ये फ़ैसला लिया गया है!
अंचा राव की प्रेस क्लब अध्यक्ष गौतम लाहिड़ी को दी गयी धमकी सच साबित हुई। कुछ महीने पहले, अंचा राव ने गौतम लाहिड़ी को राज्य सभा टीवी के तालकटोरा स्टेडियम वाले ऑफ़िस में बुला कर खुली धमकी दी थी कि वो प्रेस क्लब वाले प्लॉट को राज्य सभा टीवी के साथ साझे में बनाने के लिए प्रेस क्लब समिति को राज़ी करे, अन्यथा उस प्लॉट का आवंटन वह रद्द करवा देगा। उसने ये भी कहा कि पत्रकार उसकी ताक़त को नहीं जानते। भले भी प्रेस क्लब पूरे साढ़े पाँच करोड़ जमा करवा दे, भले ही सभी शर्तें पूरी
हो जायें, प्लॉट उन्हें नहीं मिलेगा।
गौतम लाहिड़ी ने इसके बाद राज्य सभा टीवी का प्रस्ताव प्रेस क्लब की जेनरल बॉडी मीटिंग में रखा था, जिसे GBM ने भारी बहुमत से नकार दिया था। इस बात से अंचा राव पूरी तरह बौखला गया, और उसने गौतम लाहिड़ी को लगातार धमकाना शुरू किया कि प्रेस क्लब अपने फ़ैसला बदल दे।लेकिन प्रेस क्लब अपने फ़ैसले पर अडिग रहा और पूरी 5.5 करोड़ की रक़म कुछ ही हफ़्तों में जमा भी करवा दी।
तब, नियम क़ानून की, पत्रकारों की सामूहिक ताक़त की, पत्रकार समुदाय के संवैधानिक हक़ों की परवाह किए बग़ैर, सत्ता के नशे में चूर अंचा राव ने वाक़ई प्रेस क्लब के प्लॉट का आवंटन, बिना किसी आधार के, रद्द करवा दिया। राव ने राज्य सभा टीवी में दम्भ भरते हुए भरे पूरे न्यूज़ रूम में कहा भी कि उसने पूरे पत्रकार समुदाय को उसकी औक़ात दिखा दी है।
अंचा राव एक विवादास्पद IIS ऑफ़िसर है, जो वर्तमान में राज्य सभा सचिवालय में डेप्युटेशन पर अडिशनल सेक्रेटेरी के पद पर है और राज्य सभा टीवी की ज़िम्मेदारी उसे ही दी गयी है। पूर्व में भी अंचा राव लोक सभा सचिवालय में डेप्युटेशन पर आया था, लेकिन विवादों के चलते कार्यकाल पूर्ण होने से पहले ही तत्कालीन स्पीकर ने उसे वापिस भेज दिया था। बाद में वह UPA के कोयला राज्य मंत्री दसारी नारायण राव के निजी स्टाफ़ में था। कोयला घोटाले में उसका भी नाम आया था, लेकिन वेंकैय्या नायडू नज़दीकियों के कारण मोदी सरकार ने उसे बक्श दिया।
अंचा राव इतना बदनाम ऑफ़िसर है कि जब आन्ध्र सरकार में उसकी पोस्टिंग की गयी, तो मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने बक़ायदा प्रेस रिलीज़ जारी कर उसकी पोस्टिंग को ख़ारिज किया था। किसी सरकार द्वारा किसी ऑफ़िसर की पोस्टिंग के ख़िलाफ़ प्रेस रिलीज़ जारी करने का शायद देश में ये अकेला मामला होगा।
हाल ही में, संसद के वर्तमान मॉनसून सेशन में तेलुगु देशम पार्टी के विरोध में दो अधिकारिक प्रेस रिलीज़ जारी कर दी थी। इस पर राज्य सभा में विपक्षी पार्टियों ने जम कर हंगामा किया था। तब उपराष्ट्रपति वेंकैय्या नायडू को ख़ुद उस प्रेस रिलीज़ को वापिस लेना पड़ा और मामले की जाँच का आदेश देना पड़ा।
एक मामूली IIS ऑफ़िसर ने यूँ विपक्षी दलों और पत्रकार समुदाय, सभी को जूते की नोक पर रखने का आत्मविश्वास कहा से पाया है? प्रेस क्लब की ज़मीन का आवंटन रुकवाने का पूरा क़िस्सा मुंबई के ज़मीन माफ़िया की तर्ज़ पर है। या तो क़ब्ज़ा हमें दो, या ज़मीन से हाथ धो लो! मफ़ियागिरी की ये अजब कहानी ख़ुद राज्य सभा सचिवालय से लिखी गयी है। उपराष्ट्रपति का ये नज़दीकी सलाहकार ख़ुद सरकारी नियम क़ानून से बांधा है, लेकिन किसी डॉन की तरह प्रेस क्लब के अध्यक्ष को धमकाता भी है और धमकी को सच भी कर दिखाता है।
सवाल अब यही है कि संसद के परिसर में बैठ कर ये ज़मीन मफ़ियागिरी उपराष्ट्रपति की सहमति से हो रही है, या अंचा राव उनसे नज़दीकी का नाजायज़ इस्तेमाल कर रहा है? कहीं कहानी उस 200 करोड़ रुपए में भ्रष्टाचार करने की तो नहीं है, जो अंचा राव ने राज्य सभा टीवी के नए ऑफ़िस के निर्माण के लिए उपराष्ट्रपति से माँगे है, एर जिसके लिए प्रेस क्लब का प्लॉट मिलना ज़रूरी है? आख़िर अगर प्लान पैसा खाने का नहीं है, तो देश के उपराष्ट्रपति को पूरे पत्रकार समुदाय का दुश्मन बनाने की आख़िर का ज़रूरत है? ज़रा सोचिए.
Rao AA
August 6, 2018 at 2:53 pm
I’m AA Rao mentioned in this false, malicious, outrageous report. I would have out rightly ignored this but thought it wise to clarify factual position as it concerns media friends.
I just spoke to Mr Vinay, General Secretary of Press Club if India. I did so not because a villain was made out of me. I spoke to him worried if land alloted to PCI was really cancelled. Mr Vinay clarified that it was not cancelled. So, my being villain doesn’t arise.
If the very basis of this story is established as false, rest of the nonsense proves to b nonsense.
Where’s this online journalism going to?