Mahendra Mishra : दीपांशु का जाना अंदर से खल गया। एक बेलौस, बेअंदाज और बिल्कुल हरफनमौल शख्स। जो कभी भी और किसी के लिए भी उपलब्ध रहता था। ऐसी शख्सियत जो बनी ही शायद दूसरों के लिए थी। ये भी कोई उम्र होती है जाने की दीपांशु। एकबारगी मन में ख्याल आया कि आखिर आए ही क्यों थे तुम।
अंदर से खीज भी हुई कुदरत को भी क्या ऐसे ही लोगों की जरूरत होती है जो समाज में कुछ अच्छा करते हैं अच्छा सोचते हैं। अभी तो उसकी जिंदगी ठीक से शुरू भी नहीं हुई थी। 10 महीने पहले शादी हुई थी। न्यूज़एक्सप्रेस के बाद कुछ महीने पहले एक चैनल का सर्वेसर्वा बन गया था। फिर वहां के बाद आजकल अपना एक यूट्यूब चैनल चला रहा था। और सचिन के मुताबिक इसी 10 को उसे जयपुर जाना था पत्रिका में ज्वाइन करने के लिए। लेकिन नियति को शायद कुछ और ही मंजूर था। कोई भी काम उसे देकर आप निश्चिंत हो सकते थे। महेंद्र भैइया मैं इसको देख लूंगा आप चिंता मत करिये। यही उसके शब्द हुआ करते थे।
कल शाम को अचानक ह्वाट्सप देखा तो पुराने चैनल के ग्रुप में दीपांशु के बारे में कुछ संकेत करता हुआ इश्तियाक भाई का मेसेज था। आगे पढ़ा तो इस बात की पुष्टि हो चुकी थी कि दीपांशु अब नहीं रहा। सचिन भाई को जो इस समय न्यूज-24 में हैं, फोन मिलाया तो पता चला कि उसका शव कड़कड़डूमा के पास हेडगेवार अस्पताल में है और एक घंटे बाद ही कानपुर उसके पैतृक स्थान के लिए रवाना हो जाएगा। मैंने कहा मैं भी आता हूं। अस्पताल पहुंचा तो पुराने साथी राजू, सोनू और नगमा पहले से ही वहां मौजूद थे। वो लोग भी 20-25 मिनट पहले ही आए होंगे। बाद में सचिन भी आ गए।
टीवी एंकर दीपांशु
उन लोगों ने बताया कि उसे दिल का दौरा पड़ा था। इसके पहले भी एक बार उसे ऐसा हो चुका था। इस लिहाज से ये दूसरा था। अभी दिल्ली में अकेला था और इस कठिन समय में उसके पास कोई नहीं था। इस हालत में भी वो खुद अपनी गाड़ी चलाकर हेडगेवार अस्पताल पहुंचा। अब इसके बाद अस्पताल के लोगों की जिम्मेदारी शुरू हो जानी चाहिए थी। लेकिन राजधानी के एक अस्पताल में किस स्तर का जाहिलपना है और वो कितने पिछड़े हो सकते हैं ये घटना उसका नायाब उदाहरण है। एक दिल के दौरे के मरीज को खुद बाहर से अपनी दवा लाने के लिए भेज दिया जाता है। जिस शख्स को वहां पहुंचने पर तत्काल आक्सीजन मास्क लगा कर भर्ती किया जाना चाहिए था और तत्काल जरूरी दवाएं, इंजेक्शन और दूसरे इलाज शुरू कर दिए जाने चाहिए थे, उसको गेट के बाहर बाजार से दवा लाने के लिए भेज दिया जाता है। लोगों ने बताया कि मेडिकल स्टोर पर दीपांशु को एक और दौरा पड़ा जो शायद तीसरा था और दीपांशु वहीं कोलैप्स कर गया। फिर लोगों ने सीने पर पंप करने की बहुत कोशिश की। लेकिन उसे लौटाया नहीं जा सका। इसके साथ ही सब कुछ खत्म हो गया।
दीपांशु न तुम्हें श्रद्धांजलि देते बन रही है और न छोड़ते हुए ही। बहरहाल जीवन में तुम कभी नहीं भुलाए जा सकोगे। अलविदा दोस्त।
कुमार अम्बुजेश : न्यूज एक्सप्रेस में काम करते वक्त मिला था दीपांशु से….सहज व्यक्तित्व का धनी ये साथी अचानक से ही अजीज हो गया, दफ्तर में काम करते हुए थोडा टाइम मिलने पर चाय वाय होती थी साथ में….दीपांशु के बारे में एक चीज जो मुझे प्रभावित करती थी वो थी उसकी सीखने की ललक….यही वजह थी कि न्यूज एक्सप्रेस से निकलने के बाद वो जल्दी ही एक चैनल का बॉस बन गया, न्यूज एक्सप्रेस जब मैने छोडा तो उसके बाद दीपांशु से गिनी चुनी मुलाकातें ही हो पाई….हां फोन पर महीने दो महीने में बात हो जाया करती….फोन पर उसके बोलने का अंदाज कभी नहीं बदला, भले ही उसने कम वक्त में कई उपलब्धियां अपने नाम कर ली थी…..ऐसे दौर में जबकि जरा सी कामयाबी पर लोग जमीन छोड़ देते हैं….ऐसे दौर में भी उसके पैर जमीन पर ही रहे…….मगर कुछ तो चल रहा था उसके भीतर…वरना 30-32 साल की उम्र में हार्ट अटैक आना, भला कौन यकीन करेगा…..उपर से दिल्ली के अस्पताल की संवेदनहीनता तो देखिए….अटैक आने के बाद जिस मरीज को अस्पताल में तुरंत भर्ती करना चाहिए था, उसे ही दवा लेने भेज दिया…….दीपांशु की मौत मीडिया के तनाव और सरकारी अस्पतालों की हद दर्जे की निकृष्टतम हो चुकी व्यवस्था का नतीजा है…वरना अपने करियर को संभालने और सवांरने की जद्दोजहद में लगा एक ऊर्जावान युवा पत्रकार ऐसे जाता है क्या भला????जबसे ये खबर सुनी है, मेरा सारा शरीर सुन्न है….समझ नहीं आता कि इस सिस्टम को कोसूं या माथा पीटूं…..दीपांशु तुम्हें इतना जल्दी नहीं जाना था यार……………..श्रद्दांजलि मेरे भाई
Pratikksha Kukreti : life is unpredictable. आज ये महसूस भी कर लिया। कुछ दिन पहले ही बात हुई थी Deepanshu Dubey से। News Express के दौरान जब मुलाकात हुई थी तो सबसे पहला मेरा रिएक्शन था He is just like me. इतने बिंदास, इतने कूल अक्सर हम चाय पीने साथ जाते थे. कई बार लाइव या फोनो देते वक्त एंकर वो ही होते थे. बहुत ही ज़्यादा क्यूट थे. मुझे हमेशा कहते थे लोड मत लिया कर ज़्यादा, तू बहुत बड़ी स्टार बनेगी. He recently got married. यकीन नही होता that He is no more. RIP Deepanshu ji. बहुत तकलीफ हो रही है इस वक़्त. You were such a pure soul like you. Hard to believe this fact that you are no more with us now.
Suresh Pratap Singh : अफसोस ! अस्पताल में उनका इलाज शुरू हो गया होता, तो शायद बचाया जा सकता था. यह दुनिया बहुत जालिम है, मेरे दोस्त ! जो बीमार था, उसे ही भेज दिया दवा लेने के लिए ! बंद करो इन अस्पतालों को…..! ये खूनचुसवा हैं. इन्हें सिर्फ रुपया चाहिए ! इनको आदमी की जिन्दगी से कोई मतलब नहीं ! श्रद्धांजलि !!
आशू अद्वैत : ऐसा लग रहा है दीपांशु सही समय पर पहुँच गए थे ,अस्पताल के डॉ की लापरवाही और निकम्मापन ने उनकी जान ली है
विशद कुमार : ओह! अव्यक्त पीड़ादायी हादसा, जिसकी सारी जिम्मेवारी हेडगेवार अस्पताल की संवेदनहीनता को जाती है। श्रद्धांजलि।
Shyam Krishna : दुखद उन्होंने इस संकट के समय अपने किसी मित्र परिचित को काल नहीं किया और भी दुखद। अस्पताल प्रशासन पर क्रिमिनल नेग्लेजेन्स का केस करना चाहिए भविष्य में कुछ जिंदगियां बच जायेगी
Anjali Mishra : बेहद दुखद अस्पताल प्रशाशन की लापरवाही के कारण एक नौजवान की जान गई।
Pratibha Rai : बेहद दुखद,उससे भी अधिक दुखद अस्पतालों डॉक्टरों की लापरवाही..कैसे कोई हार्ट अटैक से पीड़ित को दवा लेने भेज सकता है..सिस्टम बर्बाद हो चुका है
Sumitra Mehrol : पोस्ट पढ़ कर बहुत दुख हुआ एक होनहार का इस तरह से असमय चले जाना बेहद दुखद है दिल्ली के उस हस्पताल के विरुद्ध हत्या का केस दर्ज किया जाना चाहिए इस तरह की लापरवाही के के लिए दीपांशु को विनम्र श्रद्धांजलि।
Vinod Sharma : डॉक्टरी मूर्खता ने और एक जिंदगी छीन ली ।।
Apurva Rai : बेहद दुखद ख़बर है. मैं निजी तौर से तो दीपांशु को नहीं जानता था, लेकिन उसके साथ हुए अन्याय ने विचलित कर दिया. हम लोग मीडिया में हैं और दुनिया भर के लोगों की तकलीफों को सबके सामने उजागर करते हैं. अफसोस होता है जब अपना ही कोई भाई बंधु पीड़ित होता है और कोई अखबार, न्यूज चैनल उसे उठाता नहीं. हो सके तो आप ही जनचौक के माध्यम से आवाज़ बुलंद करें. ईश्वर दिवंगत आत्मा को सद्गति दे.
Mukul Saral : बेहद दुःखद। और शर्म और गुस्सा आ रहा है अपने अस्पतालों पर। बेहद संवेदनहीन रैवय्या है। उनके ऊपर तो मुकदमा होना चाहिए।
Harish Morya : बेहद दुखद, दीपांशु भाई आपसे इंडिया न्यूज़ छोड़ने के बाद कभी मुलाक़ात नहीं हो सकी लेकिन मुझे आज भी याद हे की आपका और मेरा जन्मदिन एक ही तारीख का है, बहुत अफ़सोस हुआ की मेरे दोस्त का दुनिया से चला जाना (अस्पताल का लचर रवैया ही रहा) भगवान आपकी आत्मा को शांति दे
Stuti Narayan : ओह सर,ये तो ज्यादती है नियति की… ये बिल्कुल नहीं होना चाहिए था… बहुत दुखद…
Syed Mohd Irfan : ये बहुत दुखद ब्यौरा है। दीपांशु को मैं नहीं जानता लेकिन ऐसी मौत ठीक नहीं है।
Bhogendra Thakur : Very sad news and a telling comment on apathy of the people in public service. The action must be taken against the hospital staff and authorities.
Rajul Tiwari : Bahut dukhad. Very very sad…. I met him. Can’t digest the news….
Parvez Ahmed : बेहद अफ़सोस। लापरवाही की हद है।अस्पतालवालों के दिल में इंसान के लिये कोई दर्द ही नहीं है।
Tariq Nasir : ये बहुत ही अफ़सोसनाक ख़बर है, अस्पताल मौत के लिये पूरी तरह से ज़िम्मेदार है,pure negligency .
Satyendra Prasad Srivastava : ओह। बेहद दुखद। अस्पताल ने जरा सी भी मानवता दिखाई होती तो शायद दीपांशु बच जाते।
Dheeresh Saini : मौत और हत्या में अंतर खत्म हो गया है।
सौजन्य : फेसबुक
विकास चौधरी
October 6, 2018 at 3:59 pm
बहुत ही दुखद समाचार मित्र ऐसे भी कोई जाता है क्या अनुशासनहीनता के लिए अस्पताल पे कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए जिनके द्वारा ऐसा किया गया भगवान उनको कभी माफ नहीं करेगा.
Vikas chowdhary
October 6, 2018 at 4:02 pm
बहुत ही दुखद समाचार मित्र ऐसे भी कोई जाता है क्या अनुशासनहीनता के लिए अस्पताल पे कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए जिनके द्वारा ऐसा किया गया भगवान उनको कभी माफ नहीं करेगा.
Pankaj sharma
October 6, 2018 at 7:01 pm
Bhai bhaut yaad aaoge 28 tarik ko 1 ghanta baat hui aapse sirf aap kisi frnd ki help karna cahate the muje nai pta kon the wo but aap us vayakti ke liye sajag the or logo ka bacho ka jo new media mai aate hai unka bhala cahate the delhi govt dunia mai chilla chilla ke bol rhai hai dawai govt hospital se milegi aapko pvt kuch nai lena padega to kyo aapko bhaar bheja ye saaf saaf kaam chori hai or laparwahi us wakt jo duty per the or delhi govt fail hai is metter per ki agar govt dawai nai de sakti ilaj nai kar sakti to humanity ke naate insan ko normal to kar lete waha bitha ya lita kar fail hai baaki bhagwan ki jesi marji bhai jaldi logo ki bhalai ke liye wapas aao bhaut gande log bhare pade hai aapke pariwar ko is dukh se ladne ki bhagwan shakti pradaan kare